"ऊर्जा सुरक्षा के लिए भारत को बहुआयामी रणनीति अपनानी होगी" – एस. जयशंकर

भारत को व्यापक और विविध ऊर्जा संबंध विकसित करने होंगे: एस. जयशंकर

"ऊर्जा सुरक्षा के लिए भारत को बहुआयामी रणनीति अपनानी होगी" – एस. जयशंकर


विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने रविवार को एक महत्वपूर्ण बयान देते हुए कहा कि भारत को ऊर्जा सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए व्यापक और विविध ऊर्जा साझेदारियों की जरूरत है। उन्होंने यह टिप्पणी अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा सम्मेलन में की, जहां भारत की बढ़ती ऊर्जा आवश्यकताओं और वैश्विक आपूर्ति चुनौतियों पर चर्चा हुई।

🔹 भारत की ऊर्जा जरूरतें और वैश्विक परिदृश्य

जयशंकर ने कहा कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, और ऊर्जा खपत के मामले में भी यह शीर्ष देशों में शामिल है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस, हाइड्रोजन, सौर और परमाणु ऊर्जा जैसे सभी स्रोतों पर ध्यान देने की जरूरत है ताकि भारत अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं को संतुलित कर सके।

"भारत को अपनी ऊर्जा आपूर्ति को केवल कुछ देशों तक सीमित नहीं रखना चाहिए। हमें एक संतुलित और विविध ऊर्जा रणनीति अपनानी होगी, ताकि किसी भी वैश्विक आपूर्ति संकट का असर कम किया जा सके," – एस. जयशंकर

🔹 ऊर्जा सहयोग को बढ़ाने की योजना

विदेश मंत्री ने बताया कि भारत ने हाल ही में कई देशों के साथ ऊर्जा साझेदारी को मजबूत किया है, जिसमें रूस, अमेरिका, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, ईरान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं। उन्होंने कहा कि भारत को पारंपरिक ईंधन स्रोतों से आगे बढ़ते हुए हरित ऊर्जा (ग्रीन एनर्जी) और हाइड्रोजन तकनीक पर भी निवेश बढ़ाना होगा।

उन्होंने यह भी कहा कि सरकार रिन्युएबल एनर्जी (नवीकरणीय ऊर्जा) में आत्मनिर्भरता लाने के लिए तेजी से काम कर रही है, और यह भारत की लॉन्ग-टर्म ऊर्जा रणनीति का महत्वपूर्ण हिस्सा होगा।

🔹 रूस और ईरान से कच्चे तेल की खरीद जारी रहेगी

जयशंकर ने संकेत दिया कि भारत रूस और ईरान से सस्ती दरों पर कच्चे तेल की खरीद जारी रखेगा, भले ही पश्चिमी देशों का इस पर दबाव बना रहे। उन्होंने कहा कि भारत की ऊर्जा नीति पूरी तरह से राष्ट्रीय हितों पर आधारित होगी और किसी भी बाहरी दबाव के आगे झुकेगी नहीं।

🔹 भारत में हरित ऊर्जा और सौर ऊर्जा का विस्तार

विदेश मंत्री ने यह भी बताया कि सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और हरित हाइड्रोजन में निवेश बढ़ाकर भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा को और मजबूत करेगा। उन्होंने कहा कि भारत 2047 तक नेट ज़ीरो लक्ष्य की दिशा में काम कर रहा है और इसके लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग को और बढ़ावा दिया जाएगा।

🔹 निष्कर्ष

भारत की ऊर्जा नीति को लेकर एस. जयशंकर का बयान यह संकेत देता है कि देश अपने ऊर्जा स्रोतों को विविधता देने और दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठा रहा है। भारत आने वाले वर्षों में पारंपरिक और नवीकरणीय दोनों ऊर्जा स्रोतों पर जोर देगा, जिससे न केवल आर्थिक स्थिरता बनी रहेगी, बल्कि वैश्विक ऊर्जा बाजार में भी भारत की स्थिति मजबूत होगी।

📌 WORLD HEADLINES पर पढ़ते रहिए देश-विदेश की महत्वपूर्ण खबरें सबसे पहले!

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.