104% टैरिफ के साथ अमेरिका का चीन पर हमला, भारत पर भी बढ़ा दबाव

 अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध का नया अध्याय: ट्रंप ने ठोका 104% टैरिफ, भारत समेत 60 देशों पर भी असर
अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध का नया अध्याय: ट्रंप ने ठोका 104% टैरिफ, भारत समेत 60 देशों पर भी असर

लेखक: WORLD HEADLINES डेस्क | अपडेटेड: 9 अप्रैल 2025

दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच व्यापार युद्ध ने अब एक नया और अधिक तीखा मोड़ ले लिया है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन के खिलाफ 104% टैरिफ की घोषणा कर दी है, जो अब तक का सबसे बड़ा आयात शुल्क माना जा रहा है। यह निर्णय सिर्फ चीन तक सीमित नहीं रहा, बल्कि भारत समेत 60 से अधिक देशों को भी अपने प्रभाव में ले चुका है।

104% टैरिफ: अमेरिका की अब तक की सबसे बड़ी कारोबारी कार्रवाई

डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को चीन को चेतावनी दी थी कि यदि वह अपने 34% टैरिफ को वापस नहीं लेता, तो अमेरिका अतिरिक्त 50% शुल्क लगाएगा। जब चीन ने झुकने से इनकार कर दिया, तो ट्रंप ने अचानक ही 104% का भारी-भरकम शुल्क लगाने का फैसला लिया। यह अब तक किसी भी देश पर लगाया गया सबसे बड़ा आयात शुल्क है, जिससे वैश्विक व्यापार व्यवस्था में हलचल मच गई है।

ट्रंप का बयान: चीन समझौता चाहता है, लेकिन दिशा नहीं जानता

अपने बयान में ट्रंप ने कहा:

“चीन किसी तरह का व्यापार समझौता करना चाहता है, लेकिन उसे समझ नहीं आ रहा कि इसकी शुरुआत कैसे करे। हम उसकी कॉल का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन अमेरिका अब और समझौता नहीं करेगा।”

यह बयान संकेत देता है कि ट्रंप प्रशासन अब पूरी तरह सख्त रुख अपना चुका है और चीन को झुकने पर मजबूर करना चाहता है।

चीन की तीखी प्रतिक्रिया: अमेरिका की 'ब्लैकमेलिंग' बर्दाश्त नहीं

टैरिफ की घोषणा के तुरंत बाद बीजिंग से प्रतिक्रिया आई। चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने इसे अमेरिका की ब्लैकमेलिंग की नीति करार देते हुए कहा:

“अगर अमेरिका अपने फैसले पर अड़ा रहा, तो चीन भी अंत तक लड़ाई के लिए तैयार है। हम किसी भी तरह के दबाव के आगे नहीं झुकेंगे।”

अमेरिकी शेयर बाजारों में गिरावट

टैरिफ की घोषणा से पहले मंगलवार को अमेरिकी बाजारों में तेजी देखी गई थी। डाओ जोंस 1400 अंक ऊपर था, लेकिन जैसे ही टैरिफ की खबर आई, बाजार नीचे आ गया और यह 260 अंक की गिरावट के साथ बंद हुआ। नैस्डैक ने भी 500 अंक की तेजी के बाद 280 अंकों की गिरावट दर्ज की।

इससे यह स्पष्ट है कि अमेरिकी निवेशकों को भी ट्रंप की इस नीति को लेकर चिंता है।

भारत पर प्रभाव: 26% अतिरिक्त टैरिफ लागू

अमेरिका ने भारत से आयात होने वाले सभी उत्पादों पर 26% का अतिरिक्त शुल्क लगाने की घोषणा की है, जो बुधवार यानी आज से लागू हो गया है। यह शुल्क अमेरिका में पहले से लागू आयात शुल्क के अतिरिक्त होगा। इसका अर्थ है कि भारतीय उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मकता अमेरिकी बाजार में घट सकती है।

यह कदम भारत के लिए चिंता का विषय हो सकता है, क्योंकि अमेरिका भारतीय निर्यात का प्रमुख गंतव्य है।

अन्य प्रमुख देशों पर टैरिफ (प्रतिशत में)

इसके अलावा भी कई छोटे-बड़े देशों पर 10 से 50 फीसदी तक टैरिफ लगाया गया है।

भारतीय वित्त मंत्री का बयान: हमारी घरेलू मांग मजबूत

भारतीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा कि भारत की घरेलू मांग काफी मजबूत है और इससे अर्थव्यवस्था को स्थिर बनाए रखने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा:

“हम इस मुद्दे को लेकर अमेरिका से लगातार संवाद कर रहे हैं और उम्मीद है कि जल्द ही कोई संतुलित समाधान निकलेगा।”

भारतीय शेयर बाजार में रिकवरी

सोमवार को टैरिफ के डर से गिरावट के बाद, मंगलवार को भारतीय शेयर बाजारों में जबरदस्त रिकवरी देखी गई।

  • सेंसेक्स 1,089 अंक चढ़ा
  • निफ्टी में 374 अंकों की तेजी

यह सुधार निवेशकों के उस भरोसे को दर्शाता है कि भारत इस स्थिति से निपटने में सक्षम है।

दुनियाभर में तनाव घटाने के प्रयास

इस व्यापारिक उथल-पुथल के बीच कई देश अमेरिका से वार्ता के जरिए समाधान निकालने की दिशा में बढ़ रहे हैं:

  • भारत: अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर काम तेज किया गया है। भारत ने शुल्क को अस्थायी रूप से स्थगित करने का प्रस्ताव भी दिया है।
  • यूरोपीय संघ:Zero for Zero’ टैरिफ योजना का प्रस्ताव रखा है, जिससे सभी औद्योगिक वस्तुओं पर शुल्क समाप्त हो सकता है।
  • जापान: अमेरिका के साथ नई व्यापार संधि की बात कर रहा है। ट्रंप प्रशासन ने शुरुआती बातचीत को मंजूरी दे दी है।
  • ताइवान: कोई जवाबी शुल्क नहीं लगाएगा और बातचीत के जरिए समाधान चाहता है।
  • इंडोनेशिया: एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल को अमेरिका भेजने का फैसला किया है ताकि कूटनीतिक तरीके से मसले को सुलझाया जा सके।

भविष्य की दिशा: वैश्विक व्यापार पर मंडराता संकट

ट्रंप का यह कदम सिर्फ अमेरिका और चीन के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए चुनौती बन सकता है। एक तरफ जहां यह अमेरिका को तात्कालिक लाभ दे सकता है, वहीं दीर्घकालिक रूप से यह वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को बाधित कर सकता है।

भारत जैसे विकासशील देशों के लिए यह समय है कि वह घरेलू मांग को और मजबूत करें, नवाचार और उत्पादन को बढ़ावा दें, और नए वैश्विक व्यापारिक साझेदारों की तलाश करें।


बदलते वैश्विक व्यापार में भारत की रणनीति अहम

अमेरिका द्वारा उठाया गया यह कदम निश्चित रूप से वैश्विक व्यापार के समीकरणों को बदलने वाला है। ऐसे में भारत को एक मजबूत, संतुलित और दूरदर्शी रणनीति अपनाने की आवश्यकता है। सरकार की ओर से चल रही वार्ताएं और आर्थिक नीतियां यदि सटीक साबित होती हैं, तो भारत इस संकट को अवसर में बदल सकता है।



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