भारत-फ्रांस रक्षा सहयोग: भारतीय नौसेना के लिए 26 राफेल मरीन लड़ाकू विमानों की खरीद को मिली मंजूरी
WORLD HEADLINES | 11 अप्रैल 2025
भारत ने हाल ही में अपनी समुद्री सुरक्षा को और अधिक सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा और रणनीतिक कदम उठाया है। केंद्र सरकार ने फ्रांस से 26 अत्याधुनिक राफेल मरीन (Rafale M) लड़ाकू विमानों की खरीद को मंजूरी दे दी है। यह निर्णय भारत की नौसैनिक क्षमताओं को नई मजबूती प्रदान करेगा और हिन्द महासागर क्षेत्र (IOR) में भारत की भूमिका को और प्रभावशाली बनाएगा।
इस सौदे की खास बात यह है कि इन विमानों को भारत के पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत (INS Vikrant) पर तैनात किया जाएगा। यह एक महत्वपूर्ण संकेत है कि भारत अब अपने समुद्री सैन्य ढांचे को वैश्विक मानकों पर पहुंचाने के लिए तैयार है।
राफेल मरीन विमान: बहु-भूमिका में महारत रखने वाला लड़ाकू विमान
राफेल मरीन लड़ाकू विमान, फ्रांस की प्रतिष्ठित एयरोस्पेस कंपनी डसॉल्ट एविएशन (Dassault Aviation) द्वारा निर्मित है। इसे विशेष रूप से विमानवाहक पोत से उड़ान भरने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह 4.5वीं पीढ़ी का बहु-भूमिका (Omnirole) लड़ाकू विमान है, जो हवा से हवा, हवा से ज़मीन, टोही, और परमाणु प्रतिरोध जैसी सभी प्रकार की युद्धक ज़रूरतों को पूरा करने में सक्षम है।
प्रमुख तकनीकी विशेषताएं:
- गति: अधिकतम 1.8 मैक (लगभग 2,220 किमी/घंटा)
- रेंज: 3,700 किमी तक (बिना रिफ्यूलिंग)
- वजन: लगभग 10 टन
- हथियार क्षमता: 9 से अधिक हार्डपॉइंट्स पर विभिन्न मिसाइलें, बम, और अन्य हथियार लोड किए जा सकते हैं
- रडार: RBE2 AESA – उन्नत इलेक्ट्रॉनिक स्कैनिंग क्षमता
- अन्य तकनीकें: फ्रंटल इंफ्रारेड सर्च और ट्रैक सिस्टम (IRST), हेल्मेट माउंटेड डिस्प्ले सिस्टम (HMDS), और स्टील्थ क्षमताएं
INS विक्रांत और राफेल मरीन का तालमेल
भारतीय नौसेना का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत INS Vikrant देश की आत्मनिर्भर रक्षा नीति (Atmanirbhar Bharat) का गौरवशाली प्रतीक है। इसे कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (CSL) द्वारा निर्मित किया गया है और यह भारत को उन चंद देशों की सूची में लाता है जो खुद अपने विमानवाहक पोत बना सकते हैं।
INS Vikrant की क्षमता को पूरी तरह उपयोग करने के लिए एक ऐसे फाइटर की आवश्यकता थी जो भारी हथियारों के साथ कम रनवे से टेक-ऑफ और लैंडिंग कर सके। राफेल मरीन इस ज़रूरत को बखूबी पूरा करता है। यह विमान पोत पर लगे "स्की-जंप" से उड़ान भरने की क्षमता रखता है, जो भारतीय विमानवाहक पोतों पर इस्तेमाल होती है।
भारतीय वायुसेना का अनुभव और नौसेना के लिए नया अध्याय
2016 में भारत ने फ्रांस के साथ 36 राफेल लड़ाकू विमानों का सौदा किया था, जिनका सफलतापूर्वक उपयोग वायुसेना द्वारा किया जा रहा है। अब नौसेना के लिए इन विमानों की खरीद भारतीय सैन्य बलों में सामंजस्य को दर्शाता है। इससे लॉजिस्टिक्स, मेंटेनेंस और ट्रेनिंग के क्षेत्र में भी लाभ मिलेगा।
यह कदम भारतीय रक्षा नीति में एकरूपता और दीर्घकालिक रणनीतिक सोच का परिचायक है। राफेल मरीन के आने से नौसेना को "ब्लू वाटर नेवी" बनने की दिशा में नया बल मिलेगा – अर्थात एक ऐसी नौसेना जो न केवल तटों की रक्षा करे, बल्कि वैश्विक जलक्षेत्रों में भी प्रभावशाली उपस्थिति रख सके।
छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों की वैश्विक दौड़ और भारत की स्थिति
जहाँ भारत अभी 4.5वीं पीढ़ी के विमानों को शामिल कर रहा है, वहीं दुनिया के कुछ प्रमुख देश छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों के विकास में आगे निकल चुके हैं।
अमेरिका: F-47 प्रोजेक्ट
संयुक्त राज्य अमेरिका ने F-47 नामक छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमान की विकास योजना को आधिकारिक रूप से शुरू कर दिया है। यह विमान पूरी तरह से AI-संचालित, हाइपरसोनिक गति से युक्त और मानवरहित क्षमताओं से लैस होगा। इसमें "स्वार्म ड्रोन" तकनीक, नेटवर्क-सेंट्रिक युद्ध क्षमता, और मल्टी-डोमेन इंटीग्रेशन जैसी विशेषताएं होंगी।
चीन: J-36 और J-50
दिसंबर 2024 में चीन ने J-36 और J-50 नामक दो छठी पीढ़ी के फाइटर जेट्स के सफल परीक्षण की घोषणा की। चीन का यह कदम अमेरिका के वर्चस्व को चुनौती देने वाला माना जा रहा है।
पीढ़ी-दर-पीढ़ी लड़ाकू विमान: तकनीकी विकास की झलक
भारत अभी 5वीं और 6वीं पीढ़ी की ओर बढ़ने के लिए Advanced Medium Combat Aircraft (AMCA) प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है, जो पूरी तरह से स्वदेशी होगा।
रणनीतिक लाभ: भारत के लिए क्या मायने रखता है यह सौदा?
1. हिन्द महासागर में शक्ति संतुलन
हिन्द महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती उपस्थिति को देखते हुए भारत का यह कदम सामरिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण है। राफेल मरीन की तैनाती भारतीय नौसेना को इस क्षेत्र में एक निर्णायक बढ़त देगी।
2. फ्रांस के साथ मजबूत रणनीतिक साझेदारी
राफेल सौदा भारत-फ्रांस रक्षा साझेदारी को और गहरा बनाता है। दोनों देशों के बीच रक्षा, तकनीकी सहयोग, इंडो-पैसिफिक रणनीति और आतंकवाद विरोध जैसे मुद्दों पर साझा हित हैं।
3. रक्षा आत्मनिर्भरता की दिशा में संतुलन
हालांकि यह एक विदेशी खरीद है, लेकिन यह INS विक्रांत जैसे स्वदेशी संसाधनों के साथ संयुक्त रूप से भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता नीति को संतुलन प्रदान करती है।
भारत की सुरक्षा नीति में नया अध्याय
राफेल मरीन की यह खरीद न केवल भारत की समुद्री सुरक्षा को अभूतपूर्व बल प्रदान करेगी, बल्कि यह देश की सैन्य रणनीति, विदेश नीति और तकनीकी आत्मनिर्भरता के समन्वय का भी प्रतीक है। INS विक्रांत पर इन विमानों की तैनाती आने वाले वर्षों में भारतीय नौसेना को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा में आगे बढ़ाएगी।
भारत अब सिर्फ रक्षात्मक सोच से आगे बढ़कर एक सक्रिय और आत्मनिर्भर वैश्विक शक्ति बनने की दिशा में अग्रसर है।
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