भारत-अमेरिका परमाणु समझौता: SMR टेक्नोलॉजी ट्रांसफर से भारत को मिलेगा ऊर्जा में आत्मनिर्भरता का रास्ता

 भारत-अमेरिका परमाणु सहयोग में क्रांतिकारी कदम: SMR प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण और संभावनाएँ

भारत-अमेरिका परमाणु सहयोग में क्रांतिकारी कदम: SMR प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण और संभावनाएँ
WORLD HEADLINES स्पेशल रिपोर्ट

भूमिका:
भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक सहयोग में एक बड़ा और ऐतिहासिक कदम तब दर्ज हुआ जब अमेरिकी ऊर्जा विभाग ने होल्टेक इंटरनेशनल को भारत के साथ SMR (Small Modular Reactor) प्रौद्योगिकी साझा करने की अनुमति प्रदान की। यह अनुमति 10 वर्षों तक वैध रहेगी और इसे अमेरिकी परमाणु नियमन 10CFR810 के तहत स्वीकृति मिली है। यह परमाणु सहयोग, स्वच्छ ऊर्जा और तकनीकी नवाचार के क्षेत्र में भारत के लिए एक नई सुबह का संकेत है।


क्या है SMR (Small Modular Reactor) प्रौद्योगिकी?

SMR, पारंपरिक परमाणु रिएक्टरों से आकार में छोटे होते हैं लेकिन सुरक्षा, लचीलापन और लागत के मामले में कहीं अधिक उन्नत माने जाते हैं। इनकी कुछ मुख्य विशेषताएँ इस प्रकार हैं:

  • कॉम्पैक्ट डिज़ाइन: इन्हें फैक्टरी में बनाकर स्थान विशेष पर असेंबल किया जा सकता है।
  • कम लागत: इनकी निर्माण लागत पारंपरिक रिएक्टरों से कम होती है।
  • सुरक्षा: पैसिव सेफ्टी सिस्टम्स के कारण ऑपरेशनल जोखिम कम होता है।
  • लचीलापन: दुर्गम और सीमित स्थानों में भी इनकी स्थापना संभव है।
  • कई उपयोग: विद्युत उत्पादन के साथ-साथ जल शुद्धिकरण और हाइड्रोजन उत्पादन में भी प्रयोग संभव।

10CFR810 क्या है?

यह अमेरिका की एक नियामक व्यवस्था है, जो अमेरिकी परमाणु तकनीक के विदेशों में हस्तांतरण को नियंत्रित करती है। इसके तहत:

  • किसी अमेरिकी कंपनी को अन्य देशों को परमाणु तकनीक साझा करने से पहले अनुमति लेनी होती है।
  • भारत को यह अनुमति मिलने का अर्थ है कि अमेरिका भारत को एक विश्वसनीय और दीर्घकालिक रणनीतिक सहयोगी मानता है।

भारत-अमेरिका परमाणु समझौते की पृष्ठभूमि:

  • वर्ष 2008 में दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक 123 परमाणु समझौता हुआ था, जिसने भारत को वैश्विक परमाणु व्यापार के लिए खोल दिया।
  • इसके बाद दोनों देशों ने लगातार रणनीतिक ऊर्जा सहयोग को बढ़ाया।
  • SMR प्रौद्योगिकी हस्तांतरण इस श्रृंखला की नवीनतम और बेहद महत्वपूर्ण कड़ी है।

भारत के लिए संभावित लाभ:

1. ऊर्जा सुरक्षा और स्थिरता:

भारत में तेजी से बढ़ती ऊर्जा मांग के बीच SMR तकनीक एक स्थिर, स्वच्छ और दीर्घकालिक समाधान बन सकती है। यह कोयला आधारित उत्पादन पर निर्भरता घटा सकती है।

2. हरित ऊर्जा लक्ष्य:

भारत ने 2070 तक नेट ज़ीरो कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य तय किया है। SMR तकनीक इस लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में मजबूत समर्थन प्रदान कर सकती है।

3. औद्योगिक उपयोग और रोजगार:

स्वदेश में SMR तकनीकों का निर्माण और संचालन लाखों रोजगार के अवसर भी उत्पन्न करेगा और मेक इन इंडिया को मजबूती देगा।

4. रणनीतिक शक्ति में वृद्धि:

परमाणु प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता भारत को वैश्विक मंच पर एक तकनीकी शक्ति के रूप में स्थापित करेगी।


होल्टेक इंटरनेशनल और भारत का संभावित सहयोग:

  • होल्टेक इंटरनेशनल अमेरिका की अग्रणी न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी कंपनी है, जो SMR-160 नामक SMR मॉडल विकसित कर चुकी है।
  • कंपनी के अनुसार SMR-160 अत्यधिक सुरक्षित, कम लागत वाली और पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ रिएक्टर प्रणाली है।
  • भारत में संभावित साझेदारों के साथ मिलकर इसका निर्माण, परीक्षण और संचालन किया जा सकता है।

चुनौतियाँ क्या हैं?

1. नीतिगत ढांचा:

भारत में SMR तकनीक को लागू करने के लिए एक स्पष्ट और मजबूत नियामक ढांचे की आवश्यकता होगी।

2. प्रारंभिक निवेश और लागत:

हालांकि SMR कम लागत वाले होते हैं, फिर भी प्रारंभिक निवेश और तकनीक को स्थानीय बनाने की प्रक्रिया में खर्च बढ़ सकता है।

3. सामाजिक स्वीकृति:

परमाणु संयंत्रों को लेकर आम लोगों में सुरक्षा संबंधी भय होता है, जिसे जनजागरूकता और पारदर्शिता से दूर किया जाना आवश्यक है।


वर्तमान स्थिति और भविष्य की योजनाएँ (2025 के आंकड़ों के अनुसार):

  • भारत में वर्तमान में 7 परमाणु ऊर्जा संयंत्र कार्यरत हैं और 10 निर्माणाधीन हैं।
  • NPCIL (Nuclear Power Corporation of India Ltd.) ने SMR टेक्नोलॉजी में रुचि दिखाई है और निजी व विदेशी सहयोग से इसे भारत में शुरू करने की योजना है।
  • अमेरिकी DOE के मुताबिक, होल्टेक SMR टेक्नोलॉजी को भारत में 2030 तक व्यावसायिक रूप से शुरू किया जा सकता है
  • यह तकनीक भारत में 200 मेगावाट तक की SMR यूनिट्स लगाने की अनुमति देती है।

निष्कर्ष:

भारत और अमेरिका के बीच SMR प्रौद्योगिकी का यह समझौता एक भविष्यगामी रणनीतिक साझेदारी की मिसाल है। यह न केवल भारत के ऊर्जा क्षेत्र में क्रांति ला सकता है, बल्कि भारत को वैश्विक ग्रीन एनर्जी और तकनीकी शक्ति बनने की दिशा में भी मजबूती से आगे ले जाएगा।



प्रकाशक: WORLD HEADLINES


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