भारत का बड़ा लक्ष्य: 2029 तक तीन लाख करोड़ रुपये का रक्षा उत्पादन
भारत ने रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता की ओर एक बड़ा कदम बढ़ाते हुए 2029 तक तीन लाख करोड़ रुपये के रक्षा उत्पादन का लक्ष्य रखा है। इस रणनीतिक पहल के तहत भारत न केवल अपनी रक्षा जरूरतों को पूरा करेगा, बल्कि वैश्विक रक्षा निर्यात बाजार में भी एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनेगा।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने घोषणा की कि यह लक्ष्य ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा। रक्षा उद्योग के विशेषज्ञों का मानना है कि यह योजना भारत को दुनिया के शीर्ष पांच रक्षा उत्पादक देशों में शामिल कर सकती है।
भारत का रक्षा उत्पादन: अब तक की प्रगति
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा रक्षा आयातक है, लेकिन अब यह स्थिति बदलने वाली है। पिछले कुछ वर्षों में, रक्षा उत्पादन में भारत की आत्मनिर्भरता बढ़ी है:
🔹 2021-22: ₹94,846 करोड़
🔹 2022-23: ₹1.07 लाख करोड़
🔹 2023-24: ₹1.25 लाख करोड़ (अनुमानित)
🔹 2029 तक लक्ष्य: ₹3 लाख करोड़
रक्षा उत्पादन के इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए सरकार किन रणनीतियों पर काम कर रही है?
✅ स्वदेशी रक्षा उपकरणों का विकास – युद्धक टैंक, लड़ाकू विमान, ड्रोन, मिसाइलें और पनडुब्बियां भारत में ही बनाई जाएंगी।
✅ रक्षा निर्यात को बढ़ावा – 2029 तक ₹50,000 करोड़ का निर्यात करने का लक्ष्य।
✅ निजी और विदेशी निवेश को आकर्षित करना – रक्षा उत्पादन में 100% FDI की अनुमति दी गई है, जिसमें 74% तक ऑटोमैटिक रूट से निवेश संभव है।
✅ डिफेंस कॉरिडोर का निर्माण – उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में दो बड़े रक्षा औद्योगिक गलियारे विकसित किए जा रहे हैं।
प्रमुख रक्षा परियोजनाएं और निवेश
सरकार और निजी कंपनियां मिलकर बड़े रक्षा प्रोजेक्ट्स पर काम कर रही हैं। कुछ प्रमुख परियोजनाएं इस प्रकार हैं:
🚀 तेजस MK-2 फाइटर जेट: हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने 83 तेजस विमान बनाने का ऑर्डर प्राप्त किया है।
🚀 ब्रह्मोस मिसाइल सिस्टम: फिलीपींस को पहली बार ब्रह्मोस मिसाइल निर्यात की गई, और अन्य देशों से भी ऑर्डर मिलने की संभावना है।
🚀 अर्जुन टैंक: DRDO और भारतीय सेना मिलकर स्वदेशी अर्जुन टैंक का अपग्रेडेड वर्जन विकसित कर रहे हैं।
🚀 आकाश और पिनाका मिसाइलें: भारतीय वायुसेना और थलसेना के लिए स्वदेशी रक्षा प्रणाली विकसित की जा रही हैं।
🚀 INS विक्रांत: पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत अब पूरी तरह से भारतीय नौसेना में शामिल हो गया है।
रक्षा क्षेत्र में निजी कंपनियों की भागीदारी
पहले सिर्फ़ सरकारी कंपनियां (HAL, DRDO, BEL, BEML, etc.) ही रक्षा उत्पादन में सक्रिय थीं, लेकिन अब निजी कंपनियां भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं:
🏭 टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स – फाइटर जेट के पार्ट्स और मिसाइल सिस्टम बना रही है।
🏭 लार्सन एंड टुब्रो (L&T) – भारतीय नौसेना के लिए अत्याधुनिक युद्धपोत और सबमरीन बना रही है।
🏭 अदानी डिफेंस एंड एयरोस्पेस – ड्रोन और एयर डिफेंस सिस्टम विकसित कर रही है।
🏭 महिंद्रा डिफेंस – बख्तरबंद वाहन और अन्य सैन्य उपकरणों का निर्माण कर रही है।
रक्षा निर्यात में भारत की प्रगति
भारत पहले केवल आयातक था, लेकिन अब रक्षा उपकरणों का निर्यात भी तेजी से बढ़ रहा है। 2029 तक, भारत ₹50,000 करोड़ के रक्षा उपकरणों का निर्यात करने का लक्ष्य लेकर चल रहा है।
अब तक भारत ने किन देशों को रक्षा उत्पाद बेचे हैं?
🌍 फिलीपींस – ब्रह्मोस मिसाइल सिस्टम
🌍 मॉरीशस और श्रीलंका – गश्ती नौकाएं और रक्षा उपकरण
🌍 मध्य एशिया और अफ्रीकी देश – आकाश मिसाइल सिस्टम, हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर
भारत के रक्षा उत्पादन का वैश्विक प्रभाव
भारत यदि ₹3 लाख करोड़ का रक्षा उत्पादन हासिल कर लेता है, तो इसके कई महत्वपूर्ण लाभ होंगे:
📌 आयात पर निर्भरता घटेगी – विदेशी रक्षा उपकरणों पर खर्च कम होगा।
📌 रोजगार के अवसर बढ़ेंगे – 10 लाख से अधिक नौकरियां पैदा होंगी।
📌 वैश्विक रक्षा बाजार में भारत की साख बढ़ेगी – दुनिया के टॉप 5 रक्षा उत्पादकों में शामिल होने का मौका।
📌 राष्ट्रीय सुरक्षा मजबूत होगी – आधुनिक हथियारों से लैस भारतीय सेना ज्यादा सशक्त बनेगी।
निष्कर्ष
भारत का 2029 तक ₹3 लाख करोड़ रक्षा उत्पादन का लक्ष्य एक ऐतिहासिक कदम है। इससे न केवल भारत की सैन्य ताकत बढ़ेगी, बल्कि भारतीय रक्षा उद्योग को भी वैश्विक पहचान मिलेगी। आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत, सरकार रक्षा उत्पादन में स्वदेशीकरण को बढ़ावा दे रही है और भारत को एक प्रमुख रक्षा निर्यातक बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।
📌 इस विषय से जुड़ी ताजा अपडेट्स के लिए हमारी वेबसाइट WORLD HEADLINES पर बने रहें! 🚀

