भारत-अमेरिका टैक्स वार्ता: क्या पारस्परिक कराधान से बच पाएंगे दोनों देश?

 

भारत-अमेरिका टैक्स विवाद: पारस्परिक कर से बचने की कोशिशें तेज

"भारत-अमेरिका टैक्स वार्ता: क्या पारस्परिक कराधान से बच पाएंगे दोनों देश?"


24 मार्च 2025 – भारत और अमेरिका के बीच कराधान (Taxation) को लेकर तनाव बना हुआ है। दोनों देश पारस्परिक टैक्स (Reciprocal Taxation) की स्थिति टालने के लिए गहन बातचीत कर रहे हैं। भारत जहां डिजिटल सर्विस टैक्स (DST) और अन्य व्यापारिक करों के जरिए वैश्विक टेक कंपनियों से राजस्व प्राप्त करना चाहता है, वहीं अमेरिका अपनी कंपनियों पर अतिरिक्त कर का बोझ डालने से बचने की कोशिश कर रहा है। इस मुद्दे पर समाधान निकालने के लिए दोनों देशों के वित्त और वाणिज्य मंत्रालयों के बीच उच्च-स्तरीय वार्ता हो रही है।


🔹 क्या है पूरा मामला?

भारत ने 2020 में डिजिटल सर्विस टैक्स (DST) लागू किया था, जिसके तहत गूगल, अमेज़न, फेसबुक, ऐप्पल, माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियों को भारत में अपनी डिजिटल सेवाओं से होने वाली आय पर कर देना होता है। अमेरिका को यह कराधान प्रणाली अनुचित लगती है और उसने भारत पर अपने डिजिटल व्यापार को प्रभावित करने का आरोप लगाया

अमेरिका ने 2021 में भारत पर जवाबी कार्रवाई की धमकी दी थी और कहा था कि अगर DST को वापस नहीं लिया गया, तो वह भारतीय कंपनियों पर भी 25% तक का अतिरिक्त कर लगा सकता है। हालांकि, दोनों देशों ने 2021 में अस्थायी समझौता किया था, लेकिन अब फिर से इस मुद्दे पर विवाद गहरा रहा है।


🔹 भारत और अमेरिका की रणनीति

✔️ कर विवाद सुलझाने के लिए उच्च स्तरीय वार्ता – अमेरिका और भारत के वित्त मंत्रियों के बीच वार्ता जारी है, जिसमें दोनों देशों के वाणिज्यिक संगठनों को भी शामिल किया गया है
✔️ नई कर नीतियों पर विचार – भारत अपने कर ढांचे में बदलाव कर सकता है, ताकि अमेरिका के साथ व्यापारिक संबंध प्रभावित न हों।
✔️ संभावित व्यापार समझौता – दोनों देश एक साझा कर प्रणाली बनाने पर चर्चा कर सकते हैं, जिससे अमेरिकी कंपनियों को राहत मिलेगी और भारत को भी राजस्व का नुकसान नहीं होगा।


🔹 भारत के हित और अमेरिका की चिंताएं

📌 भारत का पक्ष:
▪️ भारत को तेजी से बढ़ते डिजिटल बाजार से अधिक कर राजस्व प्राप्त करने की जरूरत है।
▪️ स्थानीय स्टार्टअप्स और कंपनियों के हितों की रक्षा के लिए भारत को अमेरिकी टेक दिग्गजों से टैक्स लेना जरूरी है।
▪️ भारत का मानना है कि अगर विदेशी कंपनियां यहां से मुनाफा कमा रही हैं, तो उन्हें टैक्स देना चाहिए

📌 अमेरिका की चिंता:
▪️ अमेरिकी सरकार का कहना है कि DST जैसी नीतियां सिर्फ अमेरिकी टेक कंपनियों को निशाना बना रही हैं
▪️ अगर भारत अमेरिकी कंपनियों पर टैक्स बढ़ाएगा, तो अमेरिका भी भारतीय कंपनियों पर कड़े कर लगा सकता है
▪️ अमेरिका को डर है कि इससे भारत-अमेरिका के व्यापार संबंधों पर असर पड़ेगा


🔹 क्या हो सकता है असर?

✅ अगर भारत और अमेरिका टैक्स विवाद का हल निकालने में सफल होते हैं, तो दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश के नए अवसर खुल सकते हैं
✅ अगर कोई समझौता नहीं हुआ, तो अमेरिका भारत की आईटी, फार्मा और टेक कंपनियों पर जवाबी कर लगा सकता है
✅ यह विवाद अंतरराष्ट्रीय व्यापार संगठनों तक भी पहुंच सकता है, जिससे बहुपक्षीय व्यापार वार्ताओं पर असर पड़ सकता है।


🔹 भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों पर प्रभाव

भारत और अमेरिका एक-दूसरे के बड़े व्यापारिक साझेदार हैं।
🔹 2024 में भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार $190 बिलियन तक पहुंच गया
🔹 भारत अमेरिका को फार्मा, आईटी और टेक्नोलॉजी उत्पाद निर्यात करता है
🔹 अमेरिका भारत से टेक्नोलॉजी, ऑटोमोबाइल और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में बड़ा निवेश करता है

अगर टैक्स विवाद सुलझ जाता है, तो यह दोनों देशों के व्यापार को और मजबूती देगा। लेकिन अगर अमेरिका ने भारतीय कंपनियों पर टैक्स लगा दिया, तो इसका असर भारतीय अर्थव्यवस्था और निवेश माहौल पर पड़ सकता है


🔹 निष्कर्ष

भारत और अमेरिका इस मुद्दे पर जल्द समाधान निकालने की कोशिश कर रहे हैं ताकि व्यापारिक माहौल न बिगड़े। आने वाले हफ्तों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या दोनों देश कोई कर सुधार समझौता कर पाते हैं या यह विवाद और बढ़ता है

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