सुप्रीम कोर्ट की फटकार: इलाहाबाद हाई कोर्ट की दुष्कर्म पर टिप्पणी अमानवीय और असंवेदनशील!

 सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट की दुष्कर्म पर की गई टिप्पणियों को बताया अमानवीय और असंवेदनशील

सुप्रीम कोर्ट की फटकार: इलाहाबाद


26 मार्च 2025

सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट की दुष्कर्म से संबंधित एक मामले में की गई टिप्पणियों को "अमानवीय और असंवेदनशील" करार दिया है। देश की शीर्ष अदालत ने कहा कि इस तरह की टिप्पणियां पीड़िता के सम्मान और न्याय प्रणाली में विश्वास को ठेस पहुंचा सकती हैं।


🔴 क्या कहा था इलाहाबाद हाई कोर्ट ने?

हाल ही में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक दुष्कर्म के मामले में आरोपी को राहत देते हुए कुछ ऐसी टिप्पणियां की थीं, जो विवादास्पद मानी जा रही हैं। कोर्ट ने कहा था कि “यदि पीड़िता का आचरण सामान्य रहा हो और उसने प्रतिरोध नहीं किया हो, तो इसे सहमति माना जा सकता है।”

इस बयान को लेकर कानूनी विशेषज्ञों, महिला संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कड़ी आपत्ति जताई और इसे न्याय की भावना के खिलाफ बताया।


⚖ सुप्रीम कोर्ट की कड़ी प्रतिक्रिया

इस मुद्दे पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट की टिप्पणियों पर कड़ा ऐतराज जताया।

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने कहा:
🗣 "दुष्कर्म जैसे गंभीर अपराधों पर इस तरह की असंवेदनशील टिप्पणियां महिलाओं की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाली हैं। अदालतों को निर्णय देते समय पीड़िता के दर्द और उसके मौलिक अधिकारों को भी ध्यान में रखना चाहिए।"

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि संविधान और कानून महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करने के लिए बनाए गए हैं, न कि उन्हें हतोत्साहित करने के लिए।


🔹 महिला संगठनों और वकीलों की प्रतिक्रिया

इस मामले पर देशभर के महिला संगठनों ने भी नाराजगी जताई।

👉 NCW (राष्ट्रीय महिला आयोग) की अध्यक्ष ने कहा:
🗣 “हम इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के स्टैंड का समर्थन करते हैं। इस तरह की टिप्पणियां पीड़ितों के लिए न्याय पाने की राह को मुश्किल बना सकती हैं।”

👉 वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने कहा:
🗣 “दुष्कर्म के मामलों में न्यायपालिका को बेहद संवेदनशील और निष्पक्ष रहने की जरूरत है। कोर्ट की ऐसी टिप्पणियां पीड़िता को दोषी ठहराने जैसा हो जाता है।”


📌 दुष्कर्म कानूनों पर एक नजर

भारतीय कानून में दुष्कर्म के खिलाफ सख्त प्रावधान हैं:

🔹 IPC की धारा 376 के तहत दोषी को 7 साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा हो सकती है।
🔹 निर्भया केस के बाद POCSO और अन्य कानूनों को सख्त किया गया ताकि अपराधियों को कड़ी सजा मिल सके।

हालांकि, कुछ अदालतों के फैसले और टिप्पणियां अक्सर विवाद का कारण बन जाती हैं, जिससे पीड़िताओं के लिए न्याय की राह और कठिन हो जाती है।


🔴 अब आगे क्या?

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हाई कोर्ट को फटकार लगाते हुए निर्देश दिया है कि न्यायिक निर्णय देते समय संवेदनशीलता और कानून के मूल सिद्धांतों का पालन किया जाए।

यह फैसला न्यायपालिका की जिम्मेदारी और समाज में महिलाओं की सुरक्षा से जुड़े बड़े सवालों को एक बार फिर चर्चा में ले आया है।

📢 क्या आपको लगता है कि दुष्कर्म मामलों पर अदालतों को अधिक संवेदनशील रवैया अपनाना चाहिए? अपनी राय हमें कमेंट में बताएं!


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