लोकसभा ने वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन हेतु वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 पारित किया
लोकसभा ने मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक, 2024 को भी मंजूरी प्रदान की, जिससे मुसलमान वक्फ अधिनियम, 1923 को निरस्त कर दिया गया। यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन, पारदर्शिता और कानूनी स्पष्टता सुनिश्चित करने के लिए लाया गया है। WORLD HEADLINES पर इस महत्वपूर्ण विधेयक के सभी पहलुओं को विस्तार से समझें।
वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 के मुख्य प्रावधान
1. विधेयक का उद्देश्य
- वक्फ संपत्तियों का प्रभावी प्रबंधन
- हितधारकों का सशक्तिकरण
- कुशल सर्वेक्षण और पारदर्शिता में वृद्धि
2. वक्फ बनाने की शर्तें
- केवल कानूनी रूप से संपत्ति के मालिक को ही वक्फ बनाने का अधिकार होगा।
- वक्फ-अल-औलाद से उत्तराधिकारियों, विशेष रूप से महिला उत्तराधिकारियों के अधिकारों का हनन नहीं होगा।
3. अनिवार्य ऑनलाइन पंजीकरण
- सभी वक्फ संपत्तियों का छह माह के भीतर ऑनलाइन पोर्टल पर पंजीकरण अनिवार्य होगा।
- वक्फ अधिकरण इस अवधि को आवश्यकतानुसार बढ़ा सकता है।
4. गलत घोषणा पर रोक
- सरकारी संपत्ति को वक्फ संपत्ति नहीं माना जाएगा।
- यदि कोई विवाद उठता है कि कोई संपत्ति सरकारी है या नहीं, तो राज्य सरकार द्वारा नियुक्त अधिकारी जांच करेगा और राज्य सरकार को रिपोर्ट सौंपेगा।
5. अभिलेखों का निरीक्षण
- यह कार्य भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 75 के तहत किया जाएगा।
6. सार्वजनिक उद्देश्य के लिए वक्फ संपत्तियों का अधिग्रहण
- भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्व्यवस्थापन अधिनियम, 2013 या किसी अन्य संबंधित कानून के तहत अधिग्रहण होगा।
- वक्फ बोर्ड से परामर्श के बाद ही भूमि अधिग्रहण संभव होगा।
7. केंद्रीय वक्फ परिषद की भूमिका
- केंद्र सरकार में वक्फ मामलों के मंत्री इसके पदेन अध्यक्ष होंगे।
- परिषद को वक्फ बोर्ड को निर्देश जारी करने और स्वप्रेरित कार्रवाई करने की शक्ति होगी।
- अन्य सदस्यों में संसद सदस्य, सुप्रीम कोर्ट/हाई कोर्ट के न्यायाधीश, प्रशासनिक अधिकारी आदि शामिल होंगे।
भारत में वक्फ संपत्तियों की स्थिति
- भारत में 10 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि वक्फ संपत्तियों के अंतर्गत आती है।
- इन संपत्तियों का बाजार मूल्य 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक होने का अनुमान है।
- कई वक्फ संपत्तियाँ अवैध अतिक्रमण और भ्रष्टाचार की शिकार हैं।
वक्फ बोर्ड की भूमिका और चुनौतियाँ
- वक्फ बोर्ड का मुख्य कार्य वक्फ संपत्तियों का संरक्षण और उचित उपयोग सुनिश्चित करना है।
- कई राज्यों में वक्फ बोर्डों के पास पर्याप्त अधिकार या संसाधन नहीं होते, जिससे संपत्तियों का सही प्रबंधन प्रभावित होता है।
नए संशोधन से संभावित प्रभाव
- पारदर्शिता में वृद्धि: ऑनलाइन पंजीकरण से संपत्तियों की निगरानी आसान होगी।
- अवैध कब्जे पर रोक: सरकारी भूमि को वक्फ घोषित करने की प्रथा बंद होगी।
- महिला अधिकारों की सुरक्षा: उत्तराधिकारियों के अधिकारों को सुनिश्चित किया जाएगा।
विधेयक पर विभिन्न हितधारकों की राय
- सरकार: सरकार का मानना है कि इससे वक्फ संपत्तियों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित होगा।
- मुस्लिम संगठनों: कुछ संगठनों को चिंता है कि सरकारी हस्तक्षेप बढ़ सकता है।
- कानूनी विशेषज्ञ: विशेषज्ञों के अनुसार, संशोधन से पारदर्शिता तो बढ़ेगी, लेकिन जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन चुनौतीपूर्ण रहेगा।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन
- कई देशों में वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन एक स्वतंत्र निकाय द्वारा किया जाता है।
- तुर्की और मलेशिया में वक्फ संपत्तियों को व्यावसायिक उपक्रमों में निवेश कर आय उत्पन्न करने की नीति अपनाई गई है।
- भारत में भी इस मॉडल को अपनाने की संभावनाओं पर विचार किया जा सकता है।
नए विधेयक से कानूनी और प्रशासनिक चुनौतियाँ
- क्रियान्वयन में जटिलताएँ: ऑनलाइन पंजीकरण की प्रक्रिया कई स्थानों पर तकनीकी समस्याओं से प्रभावित हो सकती है।
- विवाद निपटान प्रणाली: यदि किसी संपत्ति को गलत तरीके से वक्फ घोषित किया जाता है, तो इसके समाधान के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश आवश्यक हैं।
- संशोधन की व्याख्या: राज्यों द्वारा संशोधन की अलग-अलग व्याख्या किए जाने की संभावना है, जिससे एकरूपता की कमी हो सकती है।
वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 भारतीय मुस्लिम समाज और वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण विधायी पहल है। यह अवैध कब्जों को रोकने, पारदर्शिता बढ़ाने और हितधारकों को अधिक अधिकार देने का प्रयास करता है। हालांकि, इसके सफल क्रियान्वयन के लिए मजबूत प्रशासनिक तंत्र और बेहतर निगरानी प्रणाली आवश्यक होगी।
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