भारत-थाईलैंड रणनीतिक साझेदारी 2025: मोदी की बैंकॉक यात्रा ने खोले द्विपक्षीय संबंधों के नए द्वार

 भारत-थाईलैंड संबंध: सांस्कृतिक जुड़ाव से लेकर रणनीतिक साझेदारी तक

भारत-थाईलैंड संबंध: सांस्कृतिक जुड़ाव से लेकर रणनीतिक साझेदारी तक

ऐतिहासिक मित्रता का नया अध्याय

भारत और थाईलैंड के संबंध सदियों पुराने हैं। बौद्ध संस्कृति, व्यापारिक रूट्स और ऐतिहासिक आदान-प्रदान ने इन दोनों देशों को एक-दूसरे से गहराई से जोड़ा है। अब यह संबंध 21वीं सदी में एक रणनीतिक साझेदारी की ओर बढ़ रहा है, जिसका प्रमाण है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया बैंकॉक यात्रा और BIMSTEC शिखर सम्मेलन में भागीदारी।


इतिहास: बौद्ध संस्कृति और समुद्री व्यापार के रिश्ते

  • बौद्ध धर्म का प्रभाव: थाईलैंड की आबादी का बड़ा हिस्सा बौद्ध है, और भारत को बौद्ध धर्म की जन्मस्थली मानता है। दोनों देशों के बीच धार्मिक पर्यटन और सांस्कृतिक आदान-प्रदान गहरे हैं।
  • प्राचीन व्यापार मार्ग: चोल और श्रीविजय साम्राज्य के समय से भारत और थाईलैंड के बीच समुद्री व्यापार होता रहा है। यह संबंध आधुनिक दौर में भी बना हुआ है।

वर्तमान संदर्भ: मोदी-शिनावात्रा की ऐतिहासिक मुलाकात

3 अप्रैल 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने थाई प्रधानमंत्री पैतोंगटर्न शिनावात्रा से मुलाकात की। इस बैठक में भारत-थाईलैंड के रिश्ते को “रणनीतिक साझेदारी” के स्तर तक बढ़ाने पर सहमति बनी।

मुख्य घोषणाएं और समझौते:

  • एमएसएमई, हस्तशिल्प, डिजिटल टेक्नोलॉजी, समुद्री विरासत और शिक्षा में सहयोग।
  • इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सुरक्षा और स्थिरता को लेकर साझा दृष्टिकोण।
  • भारत की 'एक्ट ईस्ट नीति' और थाईलैंड की 'एक्ट वेस्ट पॉलिसी' का मिलन।

राजनीतिक और भू-राजनैतिक महत्व

भारत-थाईलैंड की साझेदारी न केवल द्विपक्षीय है, बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक राजनीति में भी इसका महत्व है।

BIMSTEC में साझेदारी:

  • भारत और थाईलैंड दोनों BIMSTEC के संस्थापक सदस्य हैं।
  • 2025 के बैंकॉक शिखर सम्मेलन में भारत ने विकासवाद बनाम विस्तारवाद की नीति को प्रमुखता दी – जो सीधे तौर पर चीन की नीतियों पर संकेत करती है।

चीन के बढ़ते प्रभाव का संतुलन:

भारत-थाईलैंड सहयोग हिंद महासागर और दक्षिण चीन सागर में चीनी प्रभाव के संतुलन की दिशा में भी देखा जा रहा है।


आर्थिक संबंधों की गहराई

भारत की BIMSTEC नीति से जुड़े फायदे:
भारत की BIMSTEC नीति से जुड़े फायदे:

व्यापार और निवेश:

  • भारत और थाईलैंड के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2023-24 में 17.7 बिलियन डॉलर तक पहुंचा।
  • भारत से थाईलैंड को निर्यात: ऑटो पार्ट्स, दवाइयां, रत्न-आभूषण।
  • थाईलैंड से भारत को आयात: इलेक्ट्रॉनिक्स, रबर, रसायन, फर्नीचर।

FTA और ASEAN सहयोग:

  • भारत और थाईलैंड के बीच भारत-आसियान मुक्त व्यापार समझौता लागू है।
  • दोनों देश समुद्री और भूमि कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट्स में भी सहयोग कर रहे हैं, जैसे त्रिपुरा से म्यांमार होते हुए थाईलैंड तक सड़क संपर्क।

सांस्कृतिक और जन-से-जन संपर्क

पर्यटन:

  • थाई नागरिक बड़ी संख्या में भारत के बौद्ध स्थलों जैसे बोधगया, सारनाथ, कुशीनगर की यात्रा करते हैं।
  • भारत से थाईलैंड जाने वाले पर्यटकों की संख्या भी तेज़ी से बढ़ी है – 2024 में 1.8 मिलियन भारतीय पर्यटक थाईलैंड गए।

शिक्षा और भाषा:

  • थाई विश्वविद्यालयों में संस्कृत और हिंदी पढ़ाई जाती है।
  • भारत की ICCR स्कॉलरशिप स्कीम के तहत कई थाई छात्र भारत में पढ़ाई करते हैं।

सुरक्षा और रक्षा सहयोग

  • भारत और थाईलैंड के बीच संयुक्त नौसेना अभ्यास (INDO-THAI CORPAT) नियमित रूप से होता है।
  • समुद्री सुरक्षा, साइबर सुरक्षा, और आतंकवाद विरोधी उपायों पर भी सहयोग लगातार बढ़ रहा है।

 दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया का सेतु

भारत और थाईलैंड के रिश्ते इतिहास, संस्कृति, सुरक्षा और अर्थव्यवस्था – चारों स्तंभों पर टिके हैं। प्रधानमंत्री मोदी की बैंकॉक यात्रा और रणनीतिक साझेदारी की घोषणा ने यह सिद्ध कर दिया कि भारत अपने पड़ोसी देशों के साथ संतुलित, विकासपरक और सम्मानजनक रिश्तों को प्राथमिकता देता है।

आने वाले वर्षों में यह साझेदारी न केवल क्षेत्रीय स्थिरता को मजबूत करेगी, बल्कि वैश्विक शक्ति समीकरणों में भी सकारात्मक भूमिका निभाएगी।


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