पाकिस्तान से 30 लाख अफगानों के निष्कासन पर वैश्विक चिंत
WORLD HEADLINES:इस्लामाबाद/वाशिंगटन
पाकिस्तान ने अपने देश में रह रहे 30 लाख अवैध अफगान शरणार्थियों को बाहर निकालने की योजना बनाई है। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब पाकिस्तान पहले ही 11 लाख अफगानों को निर्वासित कर चुका है। इस नीति से न केवल लाखों लोगों का भविष्य अनिश्चित हो गया है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इस पर बहस छिड़ गई है। अमेरिका और कई अन्य देश इस फैसले का विरोध कर रहे हैं, क्योंकि इनमें से कई शरणार्थी ऐसे हैं जिन्होंने अमेरिका और नाटो सेनाओं के लिए काम किया था। अगर वे वापस जाते हैं, तो उनके लिए तालिबान शासन के तहत जीवन काफी मुश्किल हो सकता है।
पाकिस्तान का निर्णय: इसकी वजह और संभावित प्रभाव
पाकिस्तान का तर्क है कि अवैध रूप से रह रहे अफगान नागरिकों की वजह से देश की सुरक्षा और अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर पड़ रहा है।
सरकार के मुख्य तर्क:
- सुरक्षा चिंता: पाकिस्तान का दावा है कि कई अफगान नागरिक देश में अपराध और आतंकवादी गतिविधियों में शामिल हैं।
- आर्थिक दबाव: पाकिस्तान की कमजोर होती अर्थव्यवस्था पर यह एक अतिरिक्त बोझ है।
- राष्ट्रीय नीति: सरकार 2023 से ही "अवैध प्रवासियों को निष्कासित करने" की नीति लागू कर रही है।
पर क्या यह सही फैसला है?
इस फैसले का सबसे बड़ा असर उन अफगान परिवारों पर पड़ेगा जो दशकों से पाकिस्तान में रह रहे हैं। उनके लिए अब वापसी का कोई सुरक्षित रास्ता नहीं बचा है।
अमेरिका और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया
अमेरिकी प्रशासन ने पाकिस्तान से इस नीति को रोकने की अपील की है। कई मानवाधिकार संगठनों ने भी इसे अमानवीय करार दिया है।
अमेरिका की चिंताएँ:
- हजारों अफगान नागरिक, जिन्होंने अमेरिकी सेना की मदद की थी, अब खतरे में पड़ सकते हैं।
- अमेरिका ने Special Immigration Visa (SIV) कार्यक्रम के तहत कई अफगानों को शरण दी है, लेकिन बाकी बचे लोगों को सुरक्षित निकालने की कोई योजना नहीं दिख रही।
- संयुक्त राष्ट्र ने भी चेतावनी दी है कि यह एक बड़े मानवीय संकट को जन्म दे सकता है।
यूरोप और अन्य देशों की प्रतिक्रिया:
- यूरोपीय संघ पाकिस्तान से अपील कर सकता है कि वह इस नीति पर दोबारा विचार करे।
- तालिबान सरकार, जो खुद शरणार्थियों की वापसी का समर्थन कर रही है, ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि वह उन्हें सुरक्षा की गारंटी देगी या नहीं।
शरणार्थियों की दुविधा: वापस जाएँ या नहीं?
अफगान शरणार्थियों के लिए यह कैसा संकट है?
- पाकिस्तान में करीब 40 लाख अफगान शरणार्थी रह रहे हैं, जिनमें से 30 लाख अवैध रूप से बसे हुए हैं।
- इनमें से कई दशकों से पाकिस्तान में रह रहे हैं, उनके पास कोई वैध कागजात नहीं हैं, न ही वे अफगानिस्तान में जाकर सुरक्षित रह सकते हैं।
- तालिबान सरकार का कहना है कि वे अपने नागरिकों को "वापस लेने के लिए तैयार हैं", लेकिन क्या वे उन्हें सुरक्षा और रोजगार की गारंटी दे सकते हैं?
संभावित प्रभाव:
- नया शरणार्थी संकट: अगर यह निष्कासन जारी रहता है, तो लाखों अफगान ईरान, तुर्की और यूरोप की तरफ पलायन कर सकते हैं।
- अंतरराष्ट्रीय दबाव: अमेरिका और यूरोपीय देश पाकिस्तान पर दबाव बना सकते हैं कि वह इस नीति पर पुनर्विचार करे।
- तालिबान की भूमिका: तालिबान ने अब तक पाकिस्तान के इस कदम का समर्थन किया है, लेकिन क्या वे उन शरणार्थियों की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे, जिनकी जान को असल खतरा है?
अब आगे क्या?
पाकिस्तान सरकार ने अब तक अपने फैसले को वापस लेने का कोई संकेत नहीं दिया है। आने वाले हफ्तों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या पाकिस्तान इस नीति पर कायम रहता है या अंतरराष्ट्रीय दबाव के कारण इसमें बदलाव करता है।
संभावित विकल्प:
- अमेरिका और अन्य देश इन शरणार्थियों को अपने यहाँ शरण देने के लिए नए वीज़ा कार्यक्रम लागू कर सकते हैं।
- पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से मानवीय सहायता और समर्थन मिलने की संभावना है, बशर्ते वह अपने फैसले पर फिर से विचार करे।
- शरणार्थी, जिनके पास कोई ठिकाना नहीं है, अवैध मार्गों से अन्य देशों की ओर पलायन करने का प्रयास कर सकते हैं।
पाकिस्तान का यह फैसला वैश्विक स्तर पर बड़ा शरणार्थी संकट पैदा कर सकता है। अमेरिका और अन्य देशों के लिए यह चुनौती होगी कि वे इन अफगान शरणार्थियों की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित करें। क्या पाकिस्तान इस फैसले पर अडिग रहेगा, या क्या अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते इसमें बदलाव आएगा? यह आने वाले दिनों में साफ़ हो जाएगा।
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