अमेरिका की 90 दिनों की राहत: भारत-अमेरिकी व्यापार का नया आयाम मिल सकता है
विश्व प्रमुख समाचार | अप्रैल2025
वाशिंगटन/नई दिल्ली: वैश्विक व्यापार जगत में एक महत्वपूर्ण घटना के रूप में अमेरिकी प्रशासन द्वारा 90 दिनों के लिए दी गई यात्रा (रिचार्च) को लेकर असुरक्षा के बीच में देखा जा रहा है। भारत के लिए यह प्रतिष्ठित अवसर बन गया है, क्योंकि इसी समयावधि में भारत और अमेरिका के बीच एक समूह व्यापार समूह (द्विपक्षीय व्यापार समझौता - बीटीए) पर बातचीत को अंतिम रूप दिया जा सकता है।
हालाँकि, कुछ मीडिया शास्त्रीय में यह भ्रम फैलाया गया कि अमेरिकी प्रशासन "90 दिनों में 90 व्यवसायिक दलाल" करना चाहता है, लेकिन ऐसा कोई आधिकारिक बयान या नीति सामने नहीं आई है । विशेषज्ञ का मानना है कि अमेरिका का मुख्य उद्देश्य विशिष्ट देशों के साथ विशिष्ट व्यापार को सूचीबद्ध करना है - और भारत राष्ट्र की सूची में शीर्ष पर है।
भारत- अमेरिकी व्यापार सांख्यिकी का लोकतांत्रिक इतिहास
भारत और अमेरिका के बीच व्यावसायीकरण विक्रीटेड- व्यावसायीकरण का इतिहास कई उद्धरण- अपलोड से भरा है। दोनों देशों ने पिछले दशक में व्यापार को बढ़ावा देने के लिए कई प्रयास किए, लेकिन कई देशों में - जैसे टैरिफ, शेयर बाजार अधिकार, कृषि सीमा, और डेटा स्थानीय विश्लेषण - स्तर पर बने रहे।
हालाँकि, पिछले दो वर्षों में दोनों देशों ने राजवंशीय रक्षा और डिजिटल व्यापार जैसे कि साझेदारी को साझा किया है। अब, अमेरिकी प्रशासन द्वारा टैरिफ पर दी गई 90 दिनों की मोहलत ने इसमें व्यावसायिक रूप से भागीदारी की और ग्रुप का साफ साफ कर दिया है।
90 दिन की त्रियात्री राहत क्या है?
मार्च 2025 में, अमेरिकी प्रशासन ने यह घोषणा की थी कि वह 90 दिनों के लिए कुछ प्रमुख देशों पर प्रतिशोधी त्रियों का गठन कर रहा है। इस निर्णय का उद्देश्य था:
- वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को स्थिर करना
- व्यापार बातचीत को गति देना
- प्रतिद्वंद्वी देशों के साथ वैवाहिक संबंध बनाना
भारत को इस सूची में प्रमुखता मिली, जिससे भारतीय उद्यमियों को राहत मिली है - विशेष रूप से कृषि, वस्त्र, और औषधि सामग्री क्षेत्र में।
बीटीए (द्विपक्षीय व्यापार समझौते) की रिकॉर्डिंग
वाणिज्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, भारत और अमेरिका के बीच एक सीमित व्यावसायिक (मिनी ट्रेड डील) तैयार है, जिसमें शामिल हो सकते हैं:
- कृषि पर टायर में कटौती
- आईटी और दवाइयाँ
- डिजिटल व्यापार पर सहमति
- सौर ऊर्जा उपकरणों पर सीमा शुल्क समीक्षा
इस घटना के 90 दिनों के अंदर अंतिम रूप से नीचे दी गई संभावना बताई गई है । यह न केवल दोनों देशों के बीच व्यापारिक खरीद को बेहतर बनाएगा, बल्कि भारत के लिए अमेरिकी बाजार में अपनी धीमी वृद्धि का अवसर भी देगा।
चीन को पीछे छोड़ने का सुनहरा अवसर
ट्राई स्टैगन की अवधि में भारत के पास यह मौका है कि वह चीन के स्थान पर अमेरिका का एक विश्वसनीय वाणिज्यिक साझेदार असेंबल उभरे। विशेषज्ञ मानते हैं कि:
- उन्नत और कुशल श्रम शक्ति
- तेजी से उभरता विनिर्माण क्षेत्र
- उद्योग-मैत्रिपूर्ण नीति स्टालिन
भारत को अमेरिका के लिए एक बेहतर विकल्प बनाते हैं। इस समय "चीन-प्लस-वन" रणनीति के तहत अमेरिकी कंपनियाँ अपने सप्लाई बेस को विविधता देना चाहती हैं, और भारत को इसका सबसे बड़ा लाभ मिल सकता है।
अमेरिका की रणनीति: व्यापक लेकिन केंद्रित व्यापार विस्तार
हालांकि यह कहा जा रहा है कि अमेरिका "90 दिनों में 90 व्यापारिक समझौते" करना चाहता है, लेकिन वास्तविकता यह है कि अमेरिका फिलहाल चुनिंदा, उच्च प्राथमिकता वाले साझेदार देशों के साथ फोकस्ड ट्रेड डील्स पर काम कर रहा है। इनमें भारत, वियतनाम, मैक्सिको, और यूरोपीय यूनियन के कुछ देश शामिल हैं।
ट्रेड एक्सपर्ट्स के अनुसार, अमेरिका इन 90 दिनों में:
- पुराने व्यापार संबंधों को पुनर्जीवित करना चाहता है
- चीन-आधारित सप्लाई चेन को कमज़ोर करना चाहता है
- घरेलू महंगाई को नियंत्रित रखने के लिए आयात शुल्कों में नरमी ला रहा है
भारत के लिए रणनीतिक चुनौतियाँ
जहाँ एक ओर यह अवसर सुनहरा है, वहीं कुछ चुनौतियाँ भी सामने हैं:
- अमेरिका की डेटा सुरक्षा और डिजिटल टैक्स नीति से तालमेल बैठाना
- डब्ल्यूटीओ (WTO) के नियमों के भीतर रहकर कृषि सब्सिडी को लेकर संतुलन बनाना
- घरेलू उद्योगों का संरक्षण करते हुए मुक्त व्यापार का मार्ग अपनाना
इसके लिए भारत को तेज़, लचीली और रणनीतिक रूप से संतुलित नीति अपनानी होगी।
प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति स्तर की वार्ताएँ संभव
सूत्रों के अनुसार, अगले कुछ हफ्तों में भारत और अमेरिका के शीर्ष नेतृत्व के बीच वरिष्ठ स्तरीय वर्चुअल या प्रत्यक्ष वार्ता हो सकती है। इस दौरान:
- टैरिफ मुद्दों पर अंतिम सहमति
- BTA पर हस्ताक्षर की संभावित तारीख
- रक्षा और तकनीकी सहयोग का विस्तार
जैसे विषयों पर बातचीत हो सकती है। यह वार्ता इस दिशा में निर्णायक साबित हो सकती है।
निष्कर्ष: क्या होगा अगले 90 दिनों में?
भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों के लिए अगले 90 दिन निर्णायक हो सकते हैं। टैरिफ राहत ने एक नया अवसर खोला है, लेकिन यह अवसर तभी अवसर में बदलेगा जब भारत तेज़ी से रणनीतिक वार्ताओं को परिणाम तक पहुंचाए।
"90 दिनों में 90 समझौते" भले ही न हों, लेकिन एक बड़ा, ऐतिहासिक समझौता अवश्य हो सकता है। यदि भारत इस समय को सही ढंग से भुना सका, तो यह न केवल अमेरिका बल्कि वैश्विक व्यापार में भारत की स्थिति को और अधिक मज़बूत कर सकता है।

