नेपाल में हिंसा के लिए पूर्व नरेश जिम्मेदार: ओली
WORLD HEADLINES | 1 अप्रैल 2025
📰 काठमांडू, नेपाल: नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री खड्ग प्रसाद शर्मा ओली ने हाल ही में एक विवादास्पद बयान देते हुए कहा कि नेपाल में हालिया हिंसा के लिए पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र शाह जिम्मेदार हैं। ओली का आरोप है कि शाह की राजनीतिक गतिविधियों और राजशाही की वापसी की कोशिशों ने देश में अस्थिरता और हिंसा को बढ़ावा दिया है।
🚨 ओली का आरोप
ओली ने आरोप लगाया कि ज्ञानेंद्र शाह ने अपनी राजनीतिक सक्रियता बढ़ाकर और राजशाही की बहाली की मांग करके संविधान और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का उल्लंघन किया है। उनके अनुसार, शाह की ये गतिविधियां नेपाल में राजनीतिक तनाव और हिंसा का मुख्य कारण हैं। ओली ने यह भी दावा किया कि शाह भारत में धार्मिक कट्टरपंथियों के समर्थन से अपनी राजनीतिक गतिविधियों को बढ़ावा दे रहे हैं, जिससे नेपाल की संप्रभुता और लोकतंत्र को खतरा है।
🔑 नेपाल में हिंसा और राजनीतिक अस्थिरता
नेपाल में पिछले दो दशकों में राजनीतिक अस्थिरता और हिंसा की घटनाएं बढ़ी हैं। 2008 में राजशाही के अंत के बाद से देश में कई सरकारें बदली हैं, लेकिन स्थिरता और विकास की कमी बनी रही। ओली के अनुसार, ज्ञानेंद्र शाह की गतिविधियां इस अस्थिरता का प्रमुख कारण हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि शाह की गतिविधियां नहीं रुकीं, तो देश में और हिंसा हो सकती है।
💬 ग्यानेंद्र शाह का बचाव
पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र शाह ने ओली के आरोपों का खंडन किया है। उनका कहना है कि उनकी राजनीतिक गतिविधियां संविधान और लोकतंत्र के दायरे में हैं। शाह ने आरोप लगाया कि ओली सरकार उनकी छवि को धूमिल करने के लिए उन्हें गलत तरीके से पेश कर रही है। उन्होंने कहा कि उनकी कोशिशें नेपाल की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान को बचाने के लिए हैं, न कि सत्ता की लालसा के लिए।
🇳🇵 राजशाही समर्थक आंदोलन
हाल के महीनों में नेपाल में राजशाही समर्थक आंदोलन ने जोर पकड़ा है। पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह के समर्थन में कई रैलियां आयोजित की गई हैं, जिनमें हजारों लोग शामिल हुए हैं। इन रैलियों में राजशाही की वापसी और नेपाल को हिंदू राष्ट्र बनाने की मांग की गई है। यह आंदोलन नेपाल की राजनीतिक पार्टियों के लिए चिंता का विषय बन गया है, क्योंकि इससे उनकी सत्ता और जनसमर्थन पर असर पड़ सकता है।
🌍 अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
नेपाल में बढ़ते राजशाही समर्थक आंदोलन और पूर्व नरेश की सक्रियता पर भारत और अन्य देशों की नजरें हैं। भारत में कुछ धार्मिक संगठनों ने शाह के समर्थन में बयान दिए हैं, जिससे नेपाल में राजशाही समर्थक आंदोलन को बल मिला है। नेपाल की सिविल सोसायटी ने इस पर चिंता जताते हुए कहा है कि यह नेपाल की संप्रभुता और लोकतंत्र के लिए खतरा हो सकता है।
🔄 राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
नेपाल के प्रमुख राजनीतिक दलों ने राजशाही की वापसी की मांग को खारिज किया है। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में राजशाही की वापसी संभव नहीं है। नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा ने भी इस मांग को अस्वीकार करते हुए कहा कि राजशाही की वापसी से देश में और अस्थिरता बढ़ेगी। सीपीएन-माओवादी सेंटर के अध्यक्ष पुष्पकमल दहल प्रचंड ने भी चेतावनी दी है कि राजशाही की वापसी की कोशिशें देश के लिए खतरनाक होंगी।
🔎 भविष्य की संभावनाएं
नेपाल में बढ़ती राजनीतिक सक्रियता और राजशाही समर्थक आंदोलन के बीच, भविष्य में राजनीतिक अस्थिरता और हिंसा की संभावना बनी हुई है। यदि राजनीतिक दल और सरकारें इस मुद्दे पर ठोस कदम नहीं उठातीं, तो स्थिति और बिगड़ सकती है। नेपाल की जनता लोकतांत्रिक प्रक्रिया और स्थिरता चाहती है, लेकिन राजशाही समर्थक आंदोलन और राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप से यह सपना मुश्किल होता जा रहा है।
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