चीन में यूनुस बोले-भूमि से घिरा है पूर्वोत्तर भारत, बांग्लादेश को बताया समुद्र का एकमात्र संरक्षक
WOLRLD HEADLINES: 02अप्रैल 2025
बांग्लादेश के नोबेल पुरस्कार विजेता और प्रसिद्ध सामाजिक उद्यमी, डॉ. मुहम्मद यूनुस, ने हाल ही में चीन में एक महत्वपूर्ण सम्मेलन में बयान दिया, जो अंतरराष्ट्रीय राजनीति और दक्षिण एशिया की भौगोलिक स्थिति पर एक नई चर्चा का प्रारंभ कर रहा है। उन्होंने भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को "भूमि से घिरा" (लैंडलॉक्ड) क्षेत्र बताते हुए बांग्लादेश को समुद्र तक पहुंच का "एकमात्र संरक्षक" कहा। इस बयान ने न केवल भारत और बांग्लादेश के बीच संभावित सहयोग की दिशा पर विचार करने के लिए प्रेरित किया है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि क्षेत्रीय भू-राजनीति और व्यापारिक नेटवर्क के लिए बांग्लादेश का क्या महत्व हो सकता है।
पूर्वोत्तर भारत की भौगोलिक स्थिति और चुनौतियाँ:-
पूर्वोत्तर भारत, जिसे 'सात बहनें' (Seven Sisters) के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय उपमहाद्वीप का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसमें अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड और त्रिपुरा शामिल हैं। यह क्षेत्र भौगोलिक दृष्टि से भारत के अन्य हिस्सों से अलग-थलग है क्योंकि यह तीन तरफ से बांग्लादेश, म्यांमार, भूटान और चीन से घिरा हुआ है, और केवल एक संकीर्ण 'सिलीगुड़ी कॉरिडोर' (Chicken's Neck) के माध्यम से बाकी भारत से जुड़ा है। इस भौगोलिक स्थिति के कारण, पूर्वोत्तर राज्यों को समुद्र तक सीधी पहुंच प्राप्त नहीं है, जो व्यापार और परिवहन के लिहाज से एक बड़ी चुनौती बन जाती है। इन राज्यों में निर्यात और आयात की प्रक्रिया अन्य राज्यों के मुकाबले कठिन और महंगी होती है।
इन राज्यों के लिए सड़कों और रेल मार्गों की कमी के कारण व्यापारिक गतिविधियाँ अक्सर बाधित रहती हैं। इसके साथ ही, समुद्र तक पहुंच की कमी के कारण इन राज्यों को अपनी उत्पादों के लिए बाहरी बाजारों तक पहुँचने में कठिनाई होती है। इसी कारण डॉ. यूनुस ने पूर्वोत्तर भारत को "भूमि से घिरा" बताया है, क्योंकि यह समुद्री मार्गों से कटा हुआ है, और बाहरी दुनिया से जुड़ने के लिए यह अपने पड़ोसी देशों पर निर्भर है।
बांग्लादेश का रणनीतिक और भौगोलिक महत्व:-
बांग्लादेश, जो बंगाल की खाड़ी के किनारे स्थित है, पूर्वोत्तर भारत के लिए समुद्री मार्गों तक पहुंच का एक महत्वपूर्ण स्रोत बन सकता है। बांग्लादेश की भौगोलिक स्थिति इस क्षेत्र के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को समुद्र तक पहुंच प्रदान कर सकता है। बांग्लादेश के बंदरगाह, जैसे चिटगांव, देश के समुद्र व्यापार के मुख्य केंद्र हैं, और इन बंदरगाहों का उपयोग भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के लिए किया जा सकता है।
डॉ. यूनुस ने इस तथ्य को उजागर किया कि बांग्लादेश इस क्षेत्र के लिए समुद्र का "एकमात्र संरक्षक" है। उनका कहना था कि अगर बांग्लादेश अपने बंदरगाहों और परिवहन नेटवर्क को पूर्वोत्तर भारत के लिए खोलता है, तो यह क्षेत्र न केवल आंतरिक व्यापार में वृद्धि देखेगा, बल्कि वैश्विक व्यापार में भी अधिक सक्रिय भूमिका निभा सकता है। इसके अलावा, यह बांग्लादेश को भी ट्रांजिट शुल्क और व्यापारिक गतिविधियों के माध्यम से आर्थिक लाभ प्रदान कर सकता है।
भारत-बांग्लादेश संबंधों पर डॉ. यूनुस की टिप्पणी:-
अपने बयान में डॉ. यूनुस ने बांग्लादेश और भारत के रिश्तों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, "आप जानते हैं, आप बांग्लादेश का नक्शा बनाए बिना भारत का नक्शा नहीं बना सकते।" यह टिप्पणी बांग्लादेश और भारत के बीच साझा इतिहास, सांस्कृतिक संबंध और आर्थिक सहयोग की गहरी जड़ें दर्शाती है। बांग्लादेश ने 1971 में अपनी स्वतंत्रता के बाद से भारत के साथ मजबूत कूटनीतिक और आर्थिक संबंध बनाए हैं। दोनों देशों ने जल संसाधन प्रबंधन, व्यापार, और सीमा सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं।
चीन के साथ बांग्लादेश का बढ़ता सहयोग:-
बांग्लादेश और चीन के बीच सहयोग भी बढ़ रहा है। हाल के वर्षों में, बांग्लादेश ने चीन के साथ अपने आर्थिक और व्यापारिक संबंधों को और मजबूत किया है। चीन ने बांग्लादेश के मोंगला बंदरगाह के आधुनिकीकरण के लिए 40 करोड़ डॉलर की राशि निवेश करने की घोषणा की है, और साथ ही चीन औद्योगिक क्षेत्रों के विकास में भी सहयोग कर रहा है। चीन द्वारा किए जा रहे इन निवेशों से बांग्लादेश की आर्थिक स्थिति को और मजबूती मिलेगी, और इसके जरिए बांग्लादेश पूर्वोत्तर भारत के लिए एक समुद्री रास्ता खोल सकता है। यह न केवल बांग्लादेश के लिए आर्थिक लाभ का अवसर है, बल्कि भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के लिए भी यह एक सकारात्मक विकास हो सकता है, जो अब तक अपनी भौगोलिक सीमाओं के कारण कई व्यापारिक अवसरों से वंचित रहे हैं।
भारत-बांग्लादेश-चीन त्रिकोणीय संबंध:-
भारत, बांग्लादेश और चीन के बीच बढ़ते आर्थिक और राजनीतिक संबंधों को देखते हुए यह सवाल उठता है कि इन देशों के बीच किस तरह का संतुलन बनेगा। भारत और बांग्लादेश के बीच ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध मजबूत हैं, लेकिन चीन का बढ़ता प्रभाव इस क्षेत्र में एक नया भू-राजनीतिक परिपेक्ष्य उत्पन्न कर सकता है। चीन द्वारा बांग्लादेश में निवेश और व्यापारिक गतिविधियों के बढ़ने से भारत को अपनी रणनीतिक और कूटनीतिक स्थिति पर पुनः विचार करने की आवश्यकता हो सकती है। हालांकि, यह भी महत्वपूर्ण है कि तीनों देशों के बीच सहयोग से दक्षिण एशिया में स्थिरता और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त हो सके।
डॉ. मुहम्मद यूनुस के बयान और उनके द्वारा उठाए गए मुद्दे दक्षिण एशिया की भौगोलिक और राजनीतिक संरचना को एक नए दृष्टिकोण से देखने की जरूरत को उजागर करते हैं। बांग्लादेश का समुद्री मार्गों तक पहुंच प्रदान करने वाला रणनीतिक महत्व भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर बन सकता है। इसके साथ ही, बांग्लादेश और चीन के बढ़ते आर्थिक संबंधों के कारण भारत को भी अपनी कूटनीतिक और आर्थिक रणनीतियों पर पुनः विचार करना होगा। इस संदर्भ में, भारत, बांग्लादेश और चीन के बीच सही संतुलन और सहयोग से इस क्षेत्र में समृद्धि और स्थिरता आ सकती है।
इस प्रकार, डॉ. यूनुस का यह बयान न केवल एक ऐतिहासिक और भौगोलिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह आने वाले समय में भारत, बांग्लादेश और चीन के रिश्तों को प्रभावित करने वाला हो सकता है।
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