कृषि मशीनीकरण: अमेरिका, फ्रांस और जापान से भारत क्या सीख सकता है?
भूमिका
कृषि मशीनीकरण आधुनिक कृषि का एक महत्वपूर्ण घटक है, जो कृषि उत्पादन की दक्षता और उत्पादकता को बढ़ाने में सहायक होता है। विश्वभर में विकसित देशों ने कृषि मशीनीकरण को अपनाकर अपने कृषि उत्पादन को कई गुना बढ़ाया है। भारत जैसे देश, जहां कृषि मुख्य रूप से छोटे और सीमांत किसानों पर आधारित है, वहां मशीनीकरण की गति अपेक्षाकृत धीमी रही है। यह लेख वैश्विक कृषि मशीनीकरण के रुझानों, भारत की स्थिति, चुनौतियों और संभावित समाधानों पर विस्तृत प्रकाश डालता है।
वैश्विक कृषि मशीनीकरण के रुझान
अमेरिका और कनाडा:
- कृषि मशीनीकरण 95% से अधिक।
- ट्रैक्टर, हार्वेस्टर और उन्नत जुताई उपकरणों में भारी निवेश।
- एक अमेरिकी किसान 144 लोगों को भोजन उपलब्ध कराता है (1960 में यह संख्या 26 थी)।
- सरकारी सहायता: कम ब्याज दर वाले ऋण, प्रत्यक्ष सब्सिडी और मूल्य समर्थन।
- सटीक कृषि (Precision Farming) तकनीकों का उपयोग बढ़ा है, जिसमें ड्रोन, सेंसर्स और AI आधारित उपकरण शामिल हैं।
फ्राँस:
- मशीनीकरण 99%।
- 680,000 उच्च मशीनीकृत कृषि जोत।
- कृषि उपकरण बाज़ार का मूल्य 6.3 बिलियन यूरो।
- किसानों को यूरोपीय संघ से 50% आय के बराबर सब्सिडी, जिससे निर्यात और मशीनरी आयात को सहायता मिलती है।
- सतत कृषि (Sustainable Agriculture) की दिशा में रोबोटिक खेती और जैविक खेती तकनीकों का उपयोग।
जापान:
- प्रति हेक्टेयर 7 HP ट्रैक्टर की शक्ति, जो अमेरिका और फ्राँस के समतुल्य।
- घरेलू कृषि सुरक्षा हेतु सब्सिडी और उच्च आयात शुल्क।
- स्वचालित रोबोट और AI आधारित कृषि उपकरणों का विकास।
- सीमित कृषि भूमि को देखते हुए ऊर्ध्वाधर कृषि (Vertical Farming) और हाइड्रोपोनिक्स जैसी तकनीकों का विस्तार।
भारत में कृषि मशीनीकरण की चुनौतियाँ
1. लघु एवं खंडित भूमि जोत
- भारत में औसत कृषि भूमि 1.16 हेक्टेयर (यूरोपीय संघ: 14 हेक्टेयर, अमेरिका: 170 हेक्टेयर)।
- छोटे किसानों के लिए उन्नत मशीनीकरण आर्थिक रूप से कठिन।
- विभिन्न भूमि आकारों के अनुसार मशीनरी का उपयोग:
- <2 हेक्टेयर: पावर टिलर
- 2-10 हेक्टेयर: 30-50 HP ट्रैक्टर और रोटावेटर
- >10 हेक्टेयर: कंबाइन हार्वेस्टर और लेजर लैंड लेवलर
- भूमि के अत्यधिक विभाजन के कारण उन्नत कृषि मशीनों का समुचित उपयोग कठिन।
2. वित्तीय बाधाएँ
- कृषि मशीनरी महंगी, छोटे किसानों के लिए आर्थिक रूप से कठिन।
- 90% ट्रैक्टर वित्तपोषित, लेकिन सख्त ऋण मानदंड और उच्च लागत मशीनीकरण को सीमित करती है।
- मशीनों के रखरखाव और ईंधन लागत भी छोटे किसानों के लिए बड़ी समस्या है।
3. निम्न गुणवत्ता की मशीनरी
- भारतीय किसानों के पास उन्नत मशीनों की सीमित पहुँच।
- स्थानीय मशीनें कम गुणवत्ता वाली होने से उच्च परिचालन लागत और कम उत्पादकता।
- अनुसंधान एवं विकास की कमी के कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर की कृषि मशीनों का स्थानीय निर्माण नहीं हो पा रहा है।
4. क्षेत्रीय असमानताएँ
- पर्वतीय कृषि (कृषि योग्य भूमि का 20%) में मशीनीकरण कठिन।
- सुदूरवर्ती क्षेत्रों में उपकरणों की कमी और कमजोर नीतिगत समर्थन।
- राज्यों के बीच नीति और सब्सिडी में असमानता।
आगे की राह: भारत के लिए संभावित समाधान
1. भूमि चकबंदी और कस्टम हायरिंग
- छोटे किसानों के लिए कंबाइन हार्वेस्टर और चावल ट्रांसप्लांटर जैसी महँगी मशीनरी किराये पर उपलब्ध कराना।
- कस्टम हायरिंग केंद्र (CHC) को मजबूत करना।
- सहकारी खेती (Cooperative Farming) को बढ़ावा देना।
2. वित्तीय सहायता और सब्सिडी
- कृषि मशीनरी के लिए सब्सिडी, कम ब्याज दर पर ऋण और कर प्रोत्साहन।
- कृषि मशीनरी बैंक की स्थापना कम मशीनीकरण वाले क्षेत्रों में।
- किसानों को डिजिटल लोन प्लेटफॉर्म और माइक्रोफाइनेंस तक पहुँच देना।
3. अनुसंधान एवं प्रशिक्षण
- किसान-उद्योग सहयोग को बढ़ावा देना।
- गुणवत्ता मानकों और परीक्षण को लागू करना।
- उन्नत मशीनों के उपयोग एवं रखरखाव के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम।
- कृषि विश्वविद्यालयों और निजी कंपनियों के बीच साझेदारी से अनुसंधान को प्रोत्साहित करना।
4. समावेशी मशीनीकरण
- पर्वतीय, वर्षा आधारित और बागवानी कृषि के लिए विशेष मशीनरी का विकास।
- ड्रोन, AI और स्मार्ट कृषि तकनीकों को अपनाना।
- स्थानीय स्तर पर मशीनरी निर्माण को बढ़ावा देना।
5. डिजिटलीकरण और स्मार्ट खेती
- AI, IoT और सटीक कृषि तकनीकों को बढ़ावा देना।
- किसानों को डिजिटल उपकरणों और एप्लिकेशन के माध्यम से आधुनिक कृषि तकनीकों की जानकारी देना।
- ब्लॉकचेन आधारित आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन विकसित करना।
निष्कर्ष
भारत को कृषि मशीनीकरण में वैश्विक अनुभव से सीखने की आवश्यकता है। छोटे और सीमांत किसानों को वित्तीय सहायता, आधुनिक उपकरण और भूमि सुधार नीति के माध्यम से सक्षम बनाया जा सकता है। सरकार, निजी क्षेत्र और किसान समुदाय को मिलकर टिकाऊ और समावेशी कृषि मशीनीकरण को बढ़ावा देना चाहिए।
क्या भारत में छोटे किसानों के लिए मशीनीकरण को अनिवार्य किया जाना चाहिए? अपनी राय नीचे कमेंट करें!
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