Chiken Ke Regular सेवन से कैंसर का खतरा : 300 gm से ज्यादा सेवन हो सकता है नुक्सान

 चिकन के नियमित सेवन से कैंसर का खतरा: क्या है नया अध्ययन और क्यों है यह महत्वपूर्ण?

Chiken Ke Regular सेवन से कैंसर का खतरा : 300 gm से ज्यादा सेवन हो सकता है नुक्सान

     हाल ही में हुए एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि नियमित रूप से चिकन का सेवन करने से गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। यह शोध इटली में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ गैस्ट्रोएंटरोलॉजी के विशेषज्ञों द्वारा किया गया है, और इसमें यह पाया गया है कि सप्ताह में 300 ग्राम से अधिक चिकन खाने वाले व्यक्तियों में पाचन तंत्र के कैंसर का खतरा 27% अधिक होता है।

अधिकांश लोगों के लिए चिकन को स्वास्थ्यवर्धक और प्रोटीन का एक बेहतरीन स्रोत माना जाता है। लेकिन इस नए अध्ययन ने इसे लेकर कुछ चिंताएं व्यक्त की हैं। पोल्ट्री मीट (मुख्य रूप से चिकन) वर्तमान में दुनिया भर में सबसे अधिक खपत किया जाने वाला मांस है। अध्ययन में यह भी कहा गया है कि चिकन का अधिक सेवन गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर जैसे कि पेट, अग्नाशय, लिवर, और बृहदान्त्र कैंसर का कारण बन सकता है। इस अध्ययन के अनुसार, महिलाओं की तुलना में पुरुषों में यह खतरा अधिक पाया गया।

चिकन के सेवन से कैंसर का खतरा कैसे बढ़ता है?

इटली में किए गए एक अध्ययन के अनुसार, 4,869 वयस्कों के स्वास्थ्य डेटा का विश्लेषण किया गया है, जो पिछले 20 वर्षों से इटली में रह रहे थे। इस अध्ययन के निष्कर्षों के आधार पर यह पाया गया कि जो व्यक्ति प्रति सप्ताह 300 ग्राम से अधिक चिकन खाते हैं, उनके लिए गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर का खतरा अधिक होता है। इसके साथ ही, लंबे समय तक चिकन का सेवन करने से समय से पहले मृत्यु का जोखिम भी बढ़ सकता है।

गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर पाचन तंत्र के विभिन्न अंगों में हो सकता है, जिसमें पेट, आंत, अग्नाशय, और लिवर शामिल हैं। अध्ययन में यह देखा गया है कि यह खतरा पुरुषों में ज्यादा था, क्योंकि पुरुष अधिक चिकन का सेवन करते हैं। हालांकि, यह जरूरी नहीं कि हर व्यक्ति में यह प्रभाव पड़े, लेकिन नियमित रूप से चिकन का सेवन करने वाले लोगों को इन संभावनाओं से सचेत रहने की आवश्यकता है।

300 ग्राम से अधिक चिकन खाने से क्या होता है नुकसान?

शोधकर्ताओं ने बताया कि 300 ग्राम से अधिक चिकन का सेवन करने से न केवल कैंसर बल्कि हृदय रोगों का खतरा भी बढ़ सकता है। जर्नल Nutritions में प्रकाशित इस अध्ययन के अनुसार, जो लोग प्रति सप्ताह 100 ग्राम या उससे कम चिकन खाते हैं, उनका स्वास्थ्य बेहतर रहता है और उनके लिए जीवनकाल का खतरा भी कम होता है। अध्ययन में यह भी बताया गया कि जो लोग प्रति सप्ताह 300 ग्राम से अधिक चिकन खाते हैं, उनमें गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर के बढ़ने और समय से पहले मृत्यु की संभावना अधिक होती है।

इसके अलावा, अत्यधिक चिकन खाने से शरीर में कुछ विषाक्त पदार्थों का जमा होना भी संभव है, जो विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकते हैं। यह अध्ययन यह भी दिखाता है कि पोल्ट्री मीट के सेवन से शरीर में कुछ एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस भी विकसित हो सकता है, जो भविष्य में बीमारियों के इलाज में परेशानी उत्पन्न कर सकता है।

शाकाहारी आहार की ओर बढ़े कदम: क्या चिकन के स्थान पर है बेहतर विकल्प?

अध्ययन में यह भी सुझाव दिया गया है कि शाकाहारी आहार और प्लांट-बेस्ड डाइट अधिक फायदेमंद हो सकती है। शाकाहारी भोजन को स्वास्थ्य के लिए लाभकारी माना गया है, क्योंकि इसमें आवश्यक प्रोटीन के स्रोत होते हुए भी कम वसा और अधिक फाइबर होता है, जो पाचन तंत्र के लिए बेहतर होता है। शाकाहारी आहार न केवल कैंसर, बल्कि हृदय रोगों और अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के जोखिम को कम करने में सहायक हो सकता है।

शोधकर्ताओं का मानना है कि पोल्ट्री मीट का सेवन कम करना और इसके स्थान पर मछली जैसे अन्य प्रोटीन स्रोतों का सेवन करना फायदेमंद हो सकता है। मछली में ओमेगा-3 फैटी एसिड्स होते हैं, जो हृदय स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं और शरीर के सूजन को कम करने में मदद करते हैं।

क्या खाना पकाने के तरीके पर ध्यान देना जरूरी है?

शोधकर्ताओं ने यह भी सुझाव दिया कि चिकन का सेवन करते समय खाना पकाने के तरीके पर ध्यान देना आवश्यक है। उच्च तापमान पर अधिक समय तक पकाने से पोषक तत्वों की गुणवत्ता कम हो सकती है और यह शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है। चिकन को उच्च तापमान पर लंबे समय तक पकाने से उसके पोषक तत्वों का क्षय हो सकता है और यह शरीर में विषाक्त पदार्थों के जमाव का कारण बन सकता है।

इस प्रकार के अध्ययनों से चिकन के स्वास्थ्य पर प्रभावों के बारे में जागरूकता बढ़ेगी और लोग बेहतर विकल्पों की ओर रुख करेंगे।

आगे के कदम: अधिक शोध की आवश्यकता

हालांकि, इस अध्ययन के परिणामों को प्रमाणित करने के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है। शोधकर्ता कहते हैं कि आगे के अध्ययनों से इस विषय पर और अधिक जानकारी मिल सकेगी। पोल्ट्री मीट के स्वास्थ्य पर प्रभावों को समझने के लिए और अधिक जांच आवश्यक है, ताकि इसका सेवन करने वाले व्यक्तियों को पूरी जानकारी मिल सके और वे अपने स्वास्थ्य के लिए बेहतर विकल्प चुन सकें।


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