नेशनल हेराल्ड केस में सोनिया और राहुल गांधी पर ED की बड़ी कार्रवाई, पहली बार चार्जशीट दाखिल
WORLD HEADLINES | 16 अप्रैल 2025
नई दिल्ली: भारत की राजनीति एक बार फिर से बड़ी हलचल का केंद्र बन गई है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बहुचर्चित नेशनल हेराल्ड केस में पहली बार कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है। यह कार्रवाई 9 अप्रैल 2025 को दिल्ली की एक विशेष अदालत में की गई है और इसे देश की राजनीति में एक अहम मोड़ के रूप में देखा जा रहा है।
ED की इस चार्जशीट में गांधी परिवार पर मनी लॉन्ड्रिंग के गंभीर आरोप लगाए गए हैं, जो धनशोधन निवारण अधिनियम (PMLA) की धारा 3, 4 और 70 के अंतर्गत आते हैं। अगर इन आरोपों में दोष सिद्ध होता है, तो इसमें सात साल तक की सजा हो सकती है।
क्या है नेशनल हेराल्ड केस?
इस केस की जड़ें 1938 में शुरू हुई संस्था The Associated Journals Ltd. (AJL) से जुड़ी हैं, जो महात्मा गांधी की प्रेरणा से ‘नेशनल हेराल्ड’ नामक अखबार का प्रकाशन करती थी। आजादी की लड़ाई के समय यह अखबार कांग्रेस पार्टी के विचारों का माध्यम था।
2008 के बाद यह अखबार घाटे में चला गया, और कांग्रेस पार्टी ने इसे 90 करोड़ रुपये का ऋण दिया। इसके बाद यह ऋण एक नई कंपनी Young Indian Pvt. Ltd. को ट्रांसफर किया गया, जिसमें सोनिया और राहुल की 76% हिस्सेदारी है। Young Indian ने AJL की 100% हिस्सेदारी मात्र ₹50 लाख में खरीद ली, जबकि AJL के पास देशभर में फैली ₹2,000 करोड़ से अधिक की अचल संपत्ति थी।
ED ने क्या आरोप लगाए हैं?
प्रवर्तन निदेशालय का कहना है कि:
- कांग्रेस पार्टी द्वारा दिए गए फंड का दुरुपयोग कर व्यावसायिक लाभ उठाया गया,
- Young Indian के जरिए संपत्तियों को कानूनी रूप से कब्जा करने की साजिश रची गई,
- यह पूरा सौदा एक पूर्व नियोजित मनी लॉन्ड्रिंग स्कीम का हिस्सा था।
ED ने अब तक ₹661 करोड़ मूल्य की संपत्तियों को जब्त करने के लिए नोटिस भी जारी कर दिए हैं। इस कार्रवाई के तहत दिल्ली, मुंबई, पटना, लखनऊ समेत कई प्रमुख शहरों की संपत्तियां जांच के घेरे में आ गई हैं।
कौन-कौन हैं चार्जशीट में शामिल?
सिर्फ सोनिया और राहुल गांधी ही नहीं, इस चार्जशीट में शामिल हैं:
- सैम पित्रोदा (कांग्रेस के अंतरराष्ट्रीय विभाग के प्रमुख),
- सुमन दुबे (वरिष्ठ पत्रकार और कांग्रेस से जुड़े),
- Young Indian Pvt. Ltd. (जिसमें गांधी परिवार की 76% हिस्सेदारी है),
- डोटेक्स मर्चेंडाइज प्राइवेट लिमिटेड (कोलकाता की कंपनी),
- और उसके अधिकारी सुनील भंडारी।
इन सभी को मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में सह-आरोपी बनाया गया है।
कांग्रेस का तीखा पलटवार
कांग्रेस पार्टी ने ED की इस कार्रवाई को "राजनीतिक प्रतिशोध" बताया है। पार्टी प्रवक्ता ने कहा कि:
"यह कार्रवाई लोकतंत्र की आवाज़ को दबाने और विपक्ष को डराने का प्रयास है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह सत्ता के बल पर कांग्रेस नेतृत्व को बदनाम करना चाहते हैं।"
पार्टी ने इसे BJP की रणनीति करार दिया, जिसका उद्देश्य 2029 के आम चुनाव से पहले राजनीतिक माहौल को प्रभावित करना है।
क्या कहती है कानून की भाषा?
- PMLA की धारा 3 के अनुसार: किसी भी अपराध से अर्जित संपत्ति को वैध दिखाना अपराध है।
- धारा 4 के अनुसार: दोषी पाए जाने पर 3 से 7 साल तक की सजा और जुर्माना लग सकता है।
- धारा 70 के अनुसार: कंपनी के मामलों में जिम्मेदार व्यक्ति को भी दोषी ठहराया जा सकता है।
इन धाराओं के तहत गांधी परिवार को गंभीर कानूनी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।
सुनवाई की अगली तारीख और संभावनाएं
विशेष अदालत अब इस चार्जशीट पर 25 अप्रैल 2025 को विचार करेगी। अगर अदालत चार्जशीट को मान्य ठहराती है, तो:
- गांधी परिवार को व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश होना पड़ सकता है,
- न्यायिक प्रक्रिया तेज हो जाएगी और जांच गहराई में जाएगी,
- अगर आरोप साबित हुए, तो राजनीतिक कैरियर पर भी असर पड़ सकता है।
राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव
इस मामले ने देश के राजनीतिक माहौल में नई बहस छेड़ दी है। एक ओर जहां कांग्रेस इसे "लोकतंत्र पर हमला" बता रही है, वहीं भाजपा इसे भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार की सख्ती का उदाहरण मान रही है।
विश्लेषकों के अनुसार, यह केस आने वाले महीनों में:
- राजनीतिक ध्रुवीकरण को बढ़ा सकता है,
- विपक्षी एकता के नए प्रयासों को जन्म दे सकता है,
- और न्यायिक स्वतंत्रता की भी अग्निपरीक्षा करेगा।
निष्कर्ष: क्या यह न्याय की प्रक्रिया या राजनीतिक साजिश?
नेशनल हेराल्ड केस भारत के उन मामलों में से एक बन गया है, जो कानून और राजनीति के बीच की रेखा को धुंधला कर देते हैं। जहां एक ओर ED अपने सबूतों और प्रक्रिया के दम पर खड़ा है, वहीं दूसरी ओर विपक्ष इसे सत्ता का हथियार बता रहा है।
अब सबकी नजरें 25 अप्रैल 2025 को अदालत में होने वाली सुनवाई पर टिकी हैं, जो यह तय करेगी कि यह केस एक साधारण जांच है या भारतीय लोकतंत्र में एक ऐतिहासिक मोड़।
Sources:
Hindustan Times
Indian Express
India Today
NDTV
TOI
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