ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम (GCP): पर्यावरण संरक्षण की पहल या नई चुनौतियाँ ?

ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम (GCP) पर बढ़ती चिंताएँ: कानूनी और पर्यावरणीय पहलू

ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम (GCP): पर्यावरण संरक्षण की पहल या नई चुनौतियाँ ?

भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम (GCP) पर्यावरण संरक्षण और वृक्षारोपण को प्रोत्साहित करने की एक पहल है। इस योजना के तहत ग्रीन क्रेडिट्स प्रदान किए जाते हैं, और निम्नीकृत भूमि की पहचान कर उसका उपयोग वनारोपण कार्यक्रमों के लिए किया जाता है। हालाँकि, इस योजना को कानूनी अस्पष्टता और पर्यावरणीय चिंताओं के कारण आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है।

GCP से संबंधित प्रमुख चिंताएँ

1. कानूनी आधार का अभाव

  • GCP को पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत तैयार किया गया है, लेकिन इसमें व्यापार योग्य ग्रीन क्रेडिट्स को लेकर कोई स्पष्ट कानूनी ढाँचा नहीं है।
  • यदि कोई ठोस नियामक ढाँचा नहीं बनाया गया, तो यह योजना केवल एक औपचारिक पहल बनकर रह सकती है।

2. पर्यावरणीय आलोचनाएँ

(i) वन कटाई की आशंका

  • कंपनियाँ वास्तविक वृक्षारोपण करने के बजाय केवल ग्रीन क्रेडिट्स खरीदकर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर सकती हैं।
  • इससे वन संरक्षण और पुनर्वनीकरण की वास्तविक प्रवृत्ति कमजोर हो सकती है।

(ii) निम्नीकृत भूमि से जुड़े जोखिम

  • GCP के तहत खुले जंगलों, झाड़ियों और बंजर भूमि पर वृक्षारोपण को बढ़ावा दिया जाता है।
  • इन क्षेत्रों में बिना वैज्ञानिक अध्ययन के वृक्षारोपण करने से पारिस्थितिकी तंत्र असंतुलित हो सकता है।

(iii) वन क्षेत्र में वास्तविक वृद्धि का अभाव

  • GCP के तहत मौजूदा निम्नीकृत वन भूमि का उपयोग किया जाता है, जिससे निवल वन क्षेत्र में वृद्धि नहीं होती
  • यह वन (संरक्षण एवं संवर्धन) अधिनियम, 2023 के विपरीत है, जो भूमि के बदले भूमि पर प्रतिपूरक वनीकरण को अनिवार्य बनाता है।

3. मूल्यांकन और दीर्घकालिक स्थिरता का अभाव

  • GCP के तहत वृक्षारोपण की सफलता और वृक्षों के दीर्घकालिक संरक्षण के लिए कोई स्पष्ट मूल्यांकन मानदंड निर्धारित नहीं किए गए हैं।
  • अगर वृक्षारोपण के परिणामों की निगरानी नहीं की गई, तो यह योजना केवल कागजी रूप से प्रभावी रह जाएगी।

GCP का प्रभाव: सकारात्मक या नकारात्मक?

सकारात्मक प्रभाव:

  • वृक्षारोपण को बढ़ावा: GCP से पर्यावरणीय उत्तरदायित्व को बल मिलेगा।
  • हरित अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन: यह योजना ग्रीन इन्वेस्टमेंट और कार्बन न्यूट्रलिटी को गति दे सकती है।
  • नए अवसर: GCP के माध्यम से पर्यावरणीय परियोजनाओं को वित्तीय लाभ मिल सकता है।

नकारात्मक प्रभाव:

  • वनों की कटाई को बढ़ावा: यदि कंपनियाँ केवल क्रेडिट खरीदकर अपनी जिम्मेदारी से बचने लगें, तो यह नुकसानदायक हो सकता है।
  • पर्यावरणीय असंतुलन: बिना उचित योजना के वृक्षारोपण से प्राकृतिक पारिस्थितिकी को खतरा हो सकता है।
  • कानूनी अस्पष्टता: GCP को प्रभावी बनाने के लिए कानूनी और नियामक रूपरेखा को मजबूत करने की आवश्यकता है।

समाधान क्या हो सकता है?

  • स्पष्ट कानूनी ढाँचा: GCP के लिए कानूनी और नियामक ढाँचा तैयार किया जाए।
  • कंपनियों की जिम्मेदारी तय हो: केवल क्रेडिट खरीदने के बजाय कंपनियों को स्वयं वृक्षारोपण करने के लिए बाध्य किया जाए।
  • निगरानी प्रणाली: GCP के तहत वृक्षारोपण की प्रभावशीलता को विज्ञान आधारित निगरानी तंत्र के जरिए आंका जाए।
  • स्थानीय समुदायों की भागीदारी: वृक्षारोपण को प्रभावी बनाने के लिए स्थानीय ग्रामीण और वन समुदायों को इस योजना में शामिल किया जाए।


GCP पर्यावरणीय सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है, लेकिन इसे सफल बनाने के लिए ठोस कानूनी प्रावधान, वैज्ञानिक अध्ययन और निगरानी प्रणाली की आवश्यकता है। यदि इन चुनौतियों को सही तरीके से संबोधित नहीं किया गया, तो यह योजना अपने मूल उद्देश्य से भटक सकती है और वास्तविक पर्यावरणीय लाभ प्रदान करने में विफल हो सकती है।

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