जम्मू-कश्मीर में कुदरत का कहर: रामबन में तबाही, हाईवे बंद, सैकड़ों वाहन फंसे
जम्मू-कश्मीर के रामबन ज़िले में बीते तीन दिनों से हो रही लगातार भारी बारिश ने तबाही मचा दी है। जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-44) पर भूस्खलन, बादल फटना और अचानक आई बाढ़ के कारण यातायात पूरी तरह से ठप हो गया है। इस राजमार्ग पर सैकड़ों ट्रक और यात्री वाहन फंसे हुए हैं, जिनमें से कई मलबे में दब चुके हैं। यह मार्ग जम्मू-कश्मीर की जीवनरेखा माना जाता है, जो कश्मीर घाटी को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ता है।
पर्यावरणीय संवेदनशीलता और भौगोलिक खतरे
रामबन क्षेत्र हिमालय की पाइरी-पंजाल पर्वतमाला में आता है, जो भौगोलिक रूप से अत्यंत संवेदनशील क्षेत्र है। यहां की भू-संरचना मुख्यतः शैलभंगुर चट्टानों से बनी है, जो बारिश के दौरान जल्दी ढह जाती हैं। इस प्रकार के क्षेत्र भूस्खलन के लिए अत्यधिक संवेदनशील होते हैं। भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने पहले ही रामबन और आसपास के इलाकों को ‘लैंडस्लाइड जोन’ घोषित किया हुआ है।
जलवायु परिवर्तन की छाया: बदलते मौसम और बढ़ती आपदाएं
भूस्खलन और बादल फटने की घटनाएं अब सामान्य होती जा रही हैं, जो यह दर्शाता है कि जलवायु परिवर्तन का प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, हिमालयी राज्यों में पिछले कुछ वर्षों में मौसम की चरम घटनाओं में तीव्र वृद्धि हुई है। अप्रत्याशित भारी वर्षा, तापमान में असामान्य उतार-चढ़ाव और बर्फबारी की अनियमितता इस बदलाव के संकेत हैं।
प्रशासन की चुनौती और राहत कार्यों की रफ्तार
डिप्टी कमिश्नर बसीर-उल-हक ने जानकारी दी कि राजमार्ग को एकतरफा यातायात के लिए खोलने का प्रयास किया जा रहा है, ताकि कम से कम जरूरी सामान वाले वाहनों की आवाजाही शुरू हो सके। हालांकि, अधिकारियों का मानना है कि पूर्ण बहाली में 3 से 4 दिन लग सकते हैं। अब तक करीब 140 से अधिक फंसे हुए वाहनों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा चुका है।
ग्रामीण क्षेत्रों में तबाही का मंजर
रामबन के आस-पास के लगभग 10 से 12 गांवों में भारी नुकसान हुआ है, जिनमें सेरी, बगना, पनोटे और खारी प्रमुख हैं। इन गांवों में कई घर आंशिक या पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त हो गए हैं। बिजली, पानी और संचार जैसी बुनियादी सुविधाएं पूरी तरह ठप हैं। जम्मू संभागीय आयुक्त रमेश कुमार ने बताया कि सभी विभागों को आपातकालीन बहाली के निर्देश दिए गए हैं और नुकसान का आकलन करके उचित मुआवजा दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री का दौरा और सरकारी प्रतिक्रिया
राज्य के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने रविवार शाम को खुद रामबन जिले का दौरा किया और कहा कि प्रशासन युद्ध स्तर पर काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि हाईवे की नई रिअलाइनमेंट पर विचार हो रहा है ताकि भविष्य में इस प्रकार की आपदाओं से बचा जा सके। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि तीन दिनों के भीतर यातायात बहाल करने का प्रयास किया जाएगा।
मुगल रोड बना वैकल्पिक मार्ग
प्रशासन ने जम्मू और कश्मीर के बीच आवागमन बनाए रखने के लिए मुगल रोड को छोटे वाहनों के लिए खोल दिया है। यह एक वैकल्पिक मार्ग है, जो शोपियां को राजौरी और पुंछ से जोड़ता है। हालांकि, यह मार्ग भारी वाहनों और खराब मौसम के दौरान अव्यवस्थित हो सकता है।
आने वाले खतरे: मौसम विभाग की चेतावनी
भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने अगले 48 घंटों तक और अधिक बारिश की चेतावनी दी है। इससे और भूस्खलन की आशंका है। प्रशासन को अलर्ट पर रखा गया है और NDRF व SDRF की टीमें प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्यों में लगी हैं।
भविष्य की दिशा: सतत समाधान की जरूरत
इस आपदा ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है कि जम्मू-कश्मीर जैसे हिमालयी क्षेत्र में टिकाऊ आधारभूत संरचनाओं और आपदा पूर्व चेतावनी प्रणाली की सख्त जरूरत है। विशेषज्ञ सुझाव देते हैं कि हमें भू-स्थानिक निगरानी, रेन वाटर ड्रेनेज सिस्टम, और स्थानीय समुदायों को आपदा प्रबंधन में शामिल करने की दिशा में तेजी से काम करना होगा।
प्रकृति का संकेत, हमें समझना होगा
रामबन की यह घटना केवल एक प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि प्रकृति का एक गंभीर संकेत है। यदि हम पर्यावरणीय संतुलन, सतत विकास और जलवायु के प्रति सजग नहीं हुए, तो ऐसी घटनाएं और भी अधिक भयावह रूप ले सकती हैं। प्रशासन, नीति-निर्माताओं और आम जनता सभी को मिलकर ऐसे संकटों के समाधान की दिशा में काम करना होगा।

