K2-18 b Par Life Ke Signals: सौरमंडल के बाहर मिला जीवन का सबसे बड़ा संकेत

 K2-18 बी: सौरमंडल के बाहर जीवन के सबसे ठोस प्रमाण, भारतीय वैज्ञानिक की टीम ने की ऐतिहासिक खोज

K2-18 बी: सौरमंडल के बाहर जीवन के सबसे ठोस प्रमाण, भारतीय वैज्ञानिक की टीम ने की ऐतिहासिक खोज

WORLD HEADLINES 

परिचय

मानव सभ्यता सदियों से इस सवाल का उत्तर खोज रही है – “क्या हम ब्रह्मांड में अकेले हैं?” अब इस प्रश्न का संभावित उत्तर हमें सौरमंडल से बाहर स्थित एक रहस्यमयी ग्रह से मिल सकता है, जिसका नाम है K2-18 बी। यह ग्रह पृथ्वी से करीब 120 प्रकाशवर्ष की दूरी पर स्थित है और वैज्ञानिकों को यहां जीवन के संकेत मिलने की उम्मीद है।

इस अध्ययन को ब्रिटेन के प्रसिद्ध कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक और भारतीय मूल के खगोल-भौतिक विज्ञानी डॉ. निक्कू मधुसूदन की टीम ने अंजाम दिया है।


K2-18 बी ग्रह की वैज्ञानिक विशेषताएं


K2-18 बी की खोज का इतिहास

K2-18 बी को सबसे पहले 2015 में NASA के Kepler स्पेस टेलीस्कोप द्वारा खोजा गया था। उस समय इस ग्रह को एक सुपर-अर्थ (Super-Earth) या मिनी-नेप्च्यून माना गया। लेकिन बाद में हुए अध्ययन से यह स्पष्ट हुआ कि यह ग्रह Hydrogen-rich atmosphere वाला है और इसकी सतह पर तरल जल मौजूद हो सकता है – यानी जीवन के लिए अनुकूल परिस्थितियां।


हाल की खोज: जैविक अणुओं के प्रमाण

क्या मिला है?

2023-2024 में NASA के नवीनतम James Webb Space Telescope (JWST) द्वारा K2-18 बी के वातावरण में कुछ ऐसे अणु पाए गए जो पृथ्वी पर केवल जीवों द्वारा ही बनाए जाते हैं। ये अणु हैं:

  1. Dimethyl Sulfide (DMS)
  2. Dimethyl Disulfide (DMDS)

DMS और DMDS क्या हैं?

  • ये दोनों सल्फर यौगिक हैं जो पृथ्वी पर समुद्री प्लवक (Phytoplankton) जैसे सूक्ष्मजीवों द्वारा उत्पादित होते हैं।
  • DMS का सबसे प्रमुख स्त्रोत पृथ्वी के महासागर हैं।
  • DMS पृथ्वी के पर्यावरण को ठंडा करने और बादल बनाने में सहायक होता है।
  • अभी तक DMS को केवल जैविक स्रोत से उत्पन्न होते हुए देखा गया है।

इसलिए, इन यौगिकों की उपस्थिति इस बात का संकेत देती है कि K2-18 बी पर कोई जैविक प्रक्रिया सक्रिय हो सकती है


अन्य गैसें जो मिलीं

James Webb Telescope से प्राप्त स्पेक्ट्रल डाटा के विश्लेषण से अन्य कार्बन युक्त गैसें भी मिलीं:

  • Methane (CH₄)
  • Carbon Dioxide (CO₂)
  • Hydrogen (H₂)

इन गैसों की उपस्थिति दर्शाती है कि ग्रह का वातावरण जैव-अनुकूल हो सकता है।


शोध कैसे हुआ?

डेटा स्रोत:

  • James Webb Space Telescope (JWST) के Near Infrared Spectrograph (NIRSpec) और Near Infrared Imager and Slitless Spectrograph (NIRISS) उपकरणों ने K2-18 बी की रोशनी को अलग-अलग तरंगदैर्घ्य में कैप्चर किया।
  • ग्रह जब अपने तारे के सामने से गुज़रा, तब इसके वायुमंडल से छनकर आने वाली रोशनी का विश्लेषण किया गया।

डेटा विश्लेषण:

  • प्रकाश की स्पेक्ट्रा में उपस्थित अवशोषण रेखाएं (Absorption Lines) दर्शाती हैं कि वातावरण में कौन-कौन से तत्व या यौगिक मौजूद हैं।
  • विश्लेषण से यह पाया गया कि DMS और अन्य जैविक गैसों की उपस्थिति के मजबूत संकेत हैं।

डॉ. निक्कू मधुसूदन: इस खोज के नायक

डॉ. निक्कू मधुसूदन एक भारतीय मूल के वैज्ञानिक हैं, जो कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं और Exoplanetary Atmospheres में विशेष शोध करते हैं।

उनकी प्रतिक्रिया:

"पहले भी K2-18 बी ग्रह पर जैविक गैसों की मौजूदगी के कुछ संकेत मिले थे, लेकिन इस बार वैज्ञानिकों ने और भी अत्याधुनिक तकनीकों और विविध तरंगदैर्घ्य की सहायता से अधिक सटीक और विस्तृत आंकड़े जुटाए हैं।"


क्या K2-18 बी पर जीवन है?

संभावनाएं:

  • DMS और DMDS के संकेत यह दिखाते हैं कि जैविक गतिविधियाँ हो सकती हैं।
  • ग्रह का तापमान, रासायनिक संरचना और महासागर जैसी संभावनाएं इसे “Habitable Zone” में लाती हैं।
  • लेकिन यह जरूरी नहीं कि जीवन वैसा ही हो जैसा पृथ्वी पर है। यह पूरी तरह से भिन्न भी हो सकता है।

सीमाएं:

  • DMS और DMDS की पुष्टि अभी "Statistical Detection" पर आधारित है, न कि प्रत्यक्ष अवलोकन पर।
  • गैर-जैविक प्रक्रियाएं भी कुछ हद तक इन यौगिकों को उत्पन्न कर सकती हैं।

अंतरिक्ष अनुसंधान में इसका महत्व

  • K2-18 बी अब "Prime Candidate" बन गया है भविष्य के जीवन-खोज मिशनों के लिए।
  • यह खोज बताती है कि हम अब उस चरण पर पहुँच चुके हैं जहां हम अन्य ग्रहों पर जैविक अणुओं की पहचान कर सकते हैं।
  • यह खोज भविष्य के Habitable Planet Missions और Life Detection Instruments के विकास में सहायता करेगी।

भविष्य की योजनाएं

NASA और ESA (European Space Agency) आने वाले वर्षों में K2-18 बी जैसे ग्रहों पर गहन शोध करने के लिए निम्नलिखित योजनाएं बना रहे हैं:

  1. James Webb Telescope के और अवलोकन
  2. Ariel Mission (ESA) – 2029 में प्रक्षेपित होगा
  3. LUVOIR और HabEx – भविष्य के अंतरिक्ष वेधशालाएं
  4. सेंपल रिटर्न और Direct Imaging तकनीक का विकास

आगे क्या ?

 क्या हम ब्रह्मांड में अकेले हैं?

K2-18 बी पर मिली जैविक गैसों की मौजूदगी ने मानवता को एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या धरती ही जीवन के लिए इकलौता स्थान है?
शायद नहीं।
इस खोज ने एक ऐसे युग की शुरुआत की है जहां हम अंतरिक्ष में जीवन की तलाश को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से प्रमाणित कर सकते हैं।


WORLD HEADLINES पर हम यह कह सकते हैं कि भारत की यह तकनीकी यात्रा सिर्फ़ देश के लिए नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक प्रेरणा बन सकती है।

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