भारतीय सेना ने LOC पर पाकिस्तानी ड्रोन को मार गिराया: स्वदेशी 'ड्रोन डिटेक्शन सिस्टम' से भारत की सीमाएं और मजबूत
लेख श्रेणी: राष्ट्रीय सुरक्षा | लेखक: WORLD HEADLINES डेस्क
भारत की सीमाओं पर एक बार फिर से भारतीय सेना की तत्परता और स्वदेशी तकनीक की ताकत ने यह साबित कर दिया कि देश अब केवल परंपरागत हथियारों पर नहीं, बल्कि अत्याधुनिक तकनीकों के बल पर भी अपनी सुरक्षा सुनिश्चित कर रहा है। 13 अप्रैल 2025 को जम्मू क्षेत्र में नियंत्रण रेखा (LoC) के पास एक पाकिस्तानी ड्रोन को मार गिराया गया, जो भारत की सीमा में निगरानी करने के इरादे से घुसपैठ कर रहा था।
इस ऑपरेशन की सबसे खास बात यह रही कि सेना ने जो तकनीक इस्तेमाल की, वह पूरी तरह से स्वदेशी थी। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित 'Integrated Drone Detection and Interdiction System' (IDD&IS) की मदद से भारतीय सेना ने इस ड्रोन को सफलतापूर्वक जाम किया और फिर उसे नष्ट कर दिया। यह सफलता न केवल तकनीकी रूप से भारत की मजबूती को दर्शाती है, बल्कि यह आत्मनिर्भर भारत की ओर एक और ठोस कदम भी है।
घटना का पूरा विवरण
रक्षा मंत्रालय और सेना के सूत्रों के अनुसार, यह घटना जम्मू क्षेत्र के 16 कोर इलाके में हुई, जो पीर पंजाल पर्वतमाला के दक्षिण में स्थित है। यह क्षेत्र रणनीतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि पाकिस्तान की सेना अक्सर इस इलाके में ड्रोन के माध्यम से निगरानी और हथियार या नशीले पदार्थों की तस्करी की कोशिश करती रही है।
13 अप्रैल की सुबह एक अज्ञात उड़ने वाली वस्तु भारतीय सीमा में प्रवेश करती देखी गई। तत्काल रडार और निगरानी सिस्टम को अलर्ट किया गया। जल्दी ही यह पुष्टि हो गई कि यह एक चीनी निर्माण वाला पाकिस्तानी ड्रोन है, जिसे निगरानी मिशन के तहत भेजा गया था। इसके बाद वायु रक्षा इकाइयों ने स्वदेशी प्रणाली के माध्यम से इसे जाम किया और 2-किलोवाट लेज़र बीम की सहायता से सफलतापूर्वक नष्ट कर दिया।
क्या है 'Integrated Drone Detection and Interdiction System'?
यह प्रणाली DRDO द्वारा विशेष रूप से भारत की सीमाओं की सुरक्षा के लिए तैयार की गई है। यह पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक पर आधारित है और इसे भारत में ही डिजाइन व विकसित किया गया है। इसका उद्देश्य किसी भी अनाधिकृत ड्रोन को समय रहते पहचानना, उसका सिग्नल जाम करना, उसे धोखा देना (spoofing) और अंत में उसे निष्क्रिय करना है।
प्रमुख विशेषताएँ:
- जमिंग (Jamming): यह प्रणाली ड्रोन के कंट्रोल सिग्नल को रोक सकती है, जिससे वह नियंत्रित नहीं रह पाता।
- स्पूफिंग (Spoofing): यह प्रणाली ड्रोन को नकली GPS लोकेशन भेजकर भटका देती है।
- इंटरसेप्शन: इसमें लगी लेज़र बीम तकनीक से ड्रोन को नष्ट किया जा सकता है।
- रेंज: इसकी प्रभावी रेंज 800 से 1000 मीटर तक है, जो सीमावर्ती इलाकों के लिए पर्याप्त है।
यह प्रणाली भारत की सीमाओं पर विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर, पंजाब, राजस्थान और उत्तर-पूर्वी राज्यों में तैनात की गई है। यह न केवल सुरक्षा बलों के लिए एक अहम उपकरण है, बल्कि यह भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता का प्रतीक भी है।
चीनी तकनीक से लैस पाकिस्तानी ड्रोन: एक गंभीर खतरा
यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान ने चीनी निर्माण वाले ड्रोन भारत में घुसपैठ के लिए इस्तेमाल किए हों। इन ड्रोन में हाई-रेज़ोल्यूशन कैमरे, GPS और रियल-टाइम ट्रांसमिशन सिस्टम लगे होते हैं, जो पाकिस्तान को सीमाओं पर भारतीय गतिविधियों की जानकारी इकट्ठा करने में मदद करते हैं। कई बार इनका इस्तेमाल हथियार, नकदी और ड्रग्स की तस्करी के लिए भी किया जाता है।
इसलिए भारत के लिए इनकी पहचान और त्वरित निष्क्रियता अत्यंत महत्वपूर्ण है। ऐसे में DRDO द्वारा विकसित यह प्रणाली रणनीतिक दृष्टि से अत्यंत सफल और समय की मांग है।
स्वदेशी तकनीक से सीमा सुरक्षा में क्रांति
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए 'आत्मनिर्भर भारत अभियान' के तहत रक्षा क्षेत्र में तकनीकी आत्मनिर्भरता पर विशेष बल दिया गया है। DRDO, BEL, HAL जैसी संस्थाएं अब ऐसी अत्याधुनिक प्रणालियों को देश में ही विकसित कर रही हैं, जो पहले केवल विदेशों से आयात होती थीं।
'Integrated Drone Detection and Interdiction System' इसका जीवंत उदाहरण है। यह प्रणाली अब तक भारत-पाक सीमा पर कई घुसपैठ की कोशिशों को विफल कर चुकी है। आने वाले समय में इसे और ज्यादा आधुनिक बनाया जाएगा और इसकी रेंज को भी बढ़ाने की योजना है।
राजनीतिक और सामरिक संदेश
इस घटना का एक बड़ा संदेश पाकिस्तान और उसके सहयोगियों को भी गया है। भारत अब हर प्रकार की तकनीकी चुनौती के लिए तैयार है, और वह अपनी सीमाओं की रक्षा किसी भी कीमत पर करना जानता है। यह घटना चीन को भी यह संकेत देती है कि भारत अब केवल आयात पर निर्भर नहीं रहा, बल्कि उसकी अपनी घरेलू तकनीकें युद्ध के मैदान में सफल सिद्ध हो रही हैं।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रभाव
इस तरह की घटनाएं भारत की छवि को वैश्विक मंच पर एक तकनीकी और सामरिक शक्ति के रूप में मजबूत करती हैं। DRDO की इस सफलता से अन्य देशों में भी भारत की तकनीकी विशेषज्ञता की चर्चा हो रही है। कई मित्र राष्ट्र भारत से ऐसी प्रणालियाँ आयात करने में रुचि दिखा रहे हैं।
तकनीक से सशक्त होता भारत
13 अप्रैल की यह घटना केवल एक ड्रोन को मार गिराने की कहानी नहीं है, बल्कि यह उस बदलते भारत की पहचान है जो अब किसी भी तरह की सुरक्षा चुनौती का सामना अपने दम पर कर सकता है। यह घटना आत्मनिर्भर भारत की राह में एक और मील का पत्थर है।
भारत न केवल सैनिकों की बहादुरी के बल पर बल्कि तकनीकी कौशल और नवाचार के माध्यम से अपनी सीमाओं की रक्षा कर रहा है। आने वाले वर्षों में ऐसी और भी प्रणालियाँ विकसित की जाएंगी जो भारत को रक्षा के क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व प्रदान करेंगी।

