Operation Sindoor: आतंक के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई, सरकार ने बुलाई सर्वदलीय बैठक, देश की सुरक्षा को लेकर मंथन तेज
भारत द्वारा हाल ही में लॉन्च किए गए 'ऑपरेशन सिंदूर' ने आतंकवाद के खिलाफ एक निर्णायक और साहसिक कदम के रूप में पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा है। यह ऑपरेशन सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि उन निर्दोष लोगों की शहादत का जवाब है जो आतंक के शिकार हुए। खासकर जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद देश के भीतर जो रोष था, उसे इस साहसिक कदम ने संतोष प्रदान किया है।
इस सफल सैन्य कार्रवाई के बाद केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा पर व्यापक चर्चा और विपक्ष को विश्वास में लेने के उद्देश्य से 8 मई को नई दिल्ली में सर्वदलीय बैठक बुलाई है। यह बैठक एकता, पारदर्शिता और देशहित में साझा दृष्टिकोण विकसित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।
ऑपरेशन सिंदूर की रणनीति और असर
3 मई की रात को भारतीय वायुसेना द्वारा चलाए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) और पाकिस्तान के भीतर मौजूद लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे खूंखार आतंकी संगठनों के 9 ठिकानों पर एक साथ हवाई हमले किए गए। यह कार्रवाई देर रात 1:05 से 1:30 बजे के बीच की गई, जिससे आतंकी संगठनों को भारी क्षति हुई।
हाफिज सईद के मुरदके, सवाई नल्ला और बरनला स्थित ट्रेनिंग कैंप्स पूरी तरह नष्ट कर दिए गए। मसूद अजहर के बहावलपुर स्थित मुख्यालय समेत उसके परिवार और संगठन के करीबियों की भी जान चली गई। सैयद सलाहुद्दीन के आतंक शिविरों को भी निशाना बनाया गया, जिसमें कारी इकबाल समेत कई आतंकी मारे गए।
सर्वदलीय बैठक: एकता का संदेश
सुरक्षा और विदेश नीति जैसे मुद्दों पर सरकार ने एक बार फिर देश की लोकतांत्रिक परंपराओं को मजबूत करने का संकेत दिया है। केंद्र सरकार द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक की अध्यक्षता रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह कर रहे हैं। इसमें गृहमंत्री अमित शाह, संसदीय कार्यमंत्री किरेण रिजिजू के अलावा रक्षा मंत्रालय और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हैं।
बैठक में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी की मौजूदगी भी अहम मानी जा रही है। सरकार ने सभी राष्ट्रीय दलों को इस बैठक में आमंत्रित किया है। जेडीयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने पुष्टि की है कि पक्ष-विपक्ष के सभी दलों के नेता इसमें भाग लेंगे।
सुरक्षा नीति में सहयोग का नया अध्याय
सर्वदलीय बैठक ऐसे समय पर हो रही है जब भारत की सुरक्षा नीति को अंतरराष्ट्रीय और घरेलू स्तर पर मजबूती से खड़ा किया जा रहा है। हाल ही में पहलगाम हमले के बाद भी केंद्र ने सर्वदलीय बैठक बुलाकर सभी नेताओं को विश्वास में लिया था। अब 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद भी इसी प्रक्रिया को अपनाकर सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि राष्ट्रीय सुरक्षा पर राजनीति से ऊपर उठकर सोचने की जरूरत है।
बैठक के संभावित एजेंडे
- ऑपरेशन सिंदूर की विस्तार से जानकारी – कैसे योजना बनी, किस तरह हमले को अंजाम दिया गया और क्या परिणाम रहे।
- सीमा की स्थिति और आगे की तैयारी – भारतीय सेना की तैनाती, चौकसी और कूटनीतिक रणनीति।
- पाकिस्तान की प्रतिक्रिया और भारत का रुख – कूटनीतिक स्तर पर पाकिस्तान को अलग-थलग करने की रणनीति।
- आंतरिक सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों की भूमिका – देश के भीतर किसी संभावित आतंकी गतिविधि को लेकर सतर्कता।
राष्ट्रीय भावना की एकजुट अभिव्यक्ति
भारत में सुरक्षा से जुड़े मामलों पर आमतौर पर सत्तापक्ष और विपक्ष में तीखी बहस देखी जाती है, लेकिन 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद ऐसा लग रहा है कि सभी दल ‘राष्ट्र प्रथम’ की भावना के साथ खड़े हैं। कई विपक्षी नेताओं ने भी इस ऑपरेशन की खुलकर तारीफ की है और सैनिकों को सलाम किया है।
मीडिया और जनता की भूमिका
देशभर में मीडिया ने इस ऑपरेशन को विस्तार से कवर किया है, वहीं सोशल मीडिया पर भी भारतीय सेना के इस साहसिक कदम को लेकर समर्थन की लहर है। कई जगहों पर दीप जलाकर और झंडा फहराकर लोगों ने जवानों को श्रद्धांजलि दी।
एकजुट भारत, सशक्त भारत
'ऑपरेशन सिंदूर' सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि एक मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति, समन्वित खुफिया सूचना, और सेना की कार्यकुशलता का प्रतीक है। सर्वदलीय बैठक के माध्यम से सरकार ने यह साबित कर दिया है कि भारत की सुरक्षा नीति सबकी भागीदारी से बनेगी और किसी भी चुनौती का जवाब एकजुटता से दिया जाएगा।
भारत ने दुनिया को एक स्पष्ट संदेश दिया है – आतंकवाद कहीं भी, किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
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