BRICS 2025 Summit: वैश्विक दक्षिण की नई आवाज़, भारत ने रखी मजबूत भूमिका
विश्व राजनीतिक मंच पर BRICS अब केवल एक आर्थिक संगठन नहीं, बल्कि वैश्विक दक्षिण (Global South) की सामूहिक आवाज़ बन चुका है। इसका प्रमाण 6-7 जुलाई 2025 को ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में हुए 17वें BRICS शिखर सम्मेलन से स्पष्ट रूप से मिलता है। इस बार का सम्मेलन कई मायनों में ऐतिहासिक रहा—न केवल सदस्यता के विस्तार के कारण, बल्कि इसमें लिए गए निर्णयों और भारत जैसे देशों द्वारा प्रस्तुत किए गए दृष्टिकोण के कारण भी।
भारत ने इस सम्मेलन में न केवल सक्रिय भागीदारी की, बल्कि वैश्विक शासन सुधार, जलवायु परिवर्तन, तकनीकी विकास, और वैश्विक शांति जैसे अहम मुद्दों पर स्पष्ट और संतुलित राय भी रखी।
BRICS का विस्तार: 5 से 11 देशों तक की यात्रा
BRICS की स्थापना 2009 में हुई थी और प्रारंभ में इसमें केवल पांच सदस्य देश थे—ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका। लेकिन 2024 में हुए ऐतिहासिक विस्तार के बाद अब BRICS में 6 नए सदस्य जुड़ चुके हैं:
- मिस्र
- इथियोपिया
- ईरान
- सऊदी अरब
- संयुक्त अरब अमीरात
- इंडोनेशिया
अब यह संगठन विश्व की लगभग 49.5% आबादी और लगभग 40% वैश्विक GDP का प्रतिनिधित्व करता है, जिससे इसकी वैश्विक ताकत और प्रभावशीलता में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है।
थीम और एजेंडा: समावेशी और टिकाऊ भविष्य की ओर
इस वर्ष के शिखर सम्मेलन की थीम थी:
“Strengthening Global South Cooperation for Inclusive and Sustainable Governance”
(समावेशी और सतत शासन के लिए वैश्विक दक्षिण सहयोग को सशक्त बनाना)
इस थीम के माध्यम से ब्रिक्स ने एक स्पष्ट संदेश दिया कि अब विकासशील देश केवल अनुगामी नहीं, बल्कि वैश्विक नेतृत्व के भागीदार बनना चाहते हैं।
इस सम्मेलन में जिन प्रमुख विषयों पर चर्चा हुई, वे थे:
- वैश्विक संस्थाओं में सुधार (UN, IMF, World Bank आदि)
- जलवायु परिवर्तन और सतत विकास
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और डिजिटल गवर्नेंस
- व्यापार, निवेश और वित्तीय सहयोग
- वैश्विक शांति और सुरक्षा
भारत की भूमिका: एक सशक्त और संतुलित दृष्टिकोण
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने BRICS शिखर सम्मेलन में भारत की ओर से नेतृत्व करते हुए कई महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाया। उनके संबोधन में मुख्य रूप से निम्नलिखित बिंदु शामिल थे:
वैश्विक संस्थाओं में सुधार की मांग
प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट कहा कि संयुक्त राष्ट्र, IMF, और वर्ल्ड बैंक जैसे संस्थानों की संरचना और निर्णय-प्रक्रिया अब पुरानी हो चुकी है। भारत ने विकासशील देशों को इनमें निर्णायक भूमिका देने की मांग की।
ग्लोबल साउथ की आवाज़
भारत ने कहा कि Global South यानी विकासशील देशों की समस्याएं और प्राथमिकताएं अलग हैं और उन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। BRICS को ऐसे देशों के लिए प्लेटफॉर्म बनना चाहिए।
तकनीकी सहयोग और AI की नैतिकता
प्रधानमंत्री ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के क्षेत्र में नैतिकता, समावेश और उत्तरदायित्व पर जोर दिया। उन्होंने “BRICS AI टास्क फोर्स” बनाने का प्रस्ताव रखा, जिसे सर्वसम्मति से स्वीकार किया गया।
जलवायु परिवर्तन पर पहल
भारत ने "ग्रीन ट्रांजिशन", स्वच्छ ऊर्जा, जल संरक्षण और जलवायु वित्त की मांग की और कहा कि विकसित देशों को जलवायु जिम्मेदारियों में आगे आना होगा।
प्रमुख घोषणाएँ और निर्णय
1. रियो डिक्लेरेशन 2025 (Rio Declaration 2025)
इस घोषणापत्र में शामिल थे:
- वैश्विक शासन में सुधार की मांग
- AI के जिम्मेदार विकास हेतु सहयोग
- जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए वित्तीय समर्थन
- व्यापार को बढ़ावा देने के लिए नई रणनीतियाँ
- BRICS+ सदस्यता नीति को खुले रखने की प्रतिबद्धता
2. BRICS Development Bank का विस्तार
अब यह बैंक नए विकासशील देशों को वित्तीय सहायता देगा, विशेषकर हरित ऊर्जा और डिजिटल बुनियादी ढांचे के क्षेत्रों में।
3. स्थानीय मुद्रा में व्यापार
ब्रिक्स देशों ने आपसी व्यापार में डॉलर पर निर्भरता कम करने और स्थानीय मुद्राओं में लेनदेन को बढ़ावा देने पर सहमति जताई।
4. AI, डेटा और साइबर सुरक्षा पर नीति
एक साझा “BRICS डिजिटल ट्रस्ट फ्रेमवर्क” प्रस्तावित किया गया, जो सदस्य देशों के बीच डेटा शेयरिंग और सुरक्षा के मानदंड तय करेगा।
सांस्कृतिक आदान-प्रदान और कूटनीति
शिखर सम्मेलन के दौरान सांस्कृतिक प्रदर्शनों का भी आयोजन किया गया जिसमें भारत की ओर से कथक नृत्य, योग प्रदर्शन, और भारतीय शास्त्रीय संगीत प्रस्तुत किया गया। यह आयोजन न केवल राजनीतिक संवाद का मंच था, बल्कि विभिन्न देशों के सांस्कृतिक संबंधों को भी गहराई देने का एक अवसर बन गया।
BRICS 2026: अगला मेज़बान भारत
सम्मेलन के समापन पर यह ऐलान किया गया कि अगला BRICS सम्मेलन 2026 में भारत में आयोजित होगा। यह भारत के लिए वैश्विक मंच पर अपनी नेतृत्व क्षमता दिखाने का एक सुनहरा अवसर होगा। अब सभी की निगाहें 2026 के आयोजन पर टिकी हैं।
WORLD HEADPHONES का निष्कर्ष
17वां BRICS शिखर सम्मेलन 2025 केवल एक आयोजन नहीं था, बल्कि यह एक वैचारिक क्रांति थी। इसमें ग्लोबल साउथ की समस्याओं को गंभीरता से सुना गया, सुधारों की नींव रखी गई और एक समावेशी व टिकाऊ भविष्य की दिशा में कदम बढ़ाया गया।
भारत की भूमिका न केवल निर्णायक रही, बल्कि प्रेरणादायक भी रही। संयुक्त राष्ट्र और वैश्विक संस्थाओं में सुधार की मांग, AI के जिम्मेदार उपयोग की वकालत, और जलवायु परिवर्तन पर सशक्त दृष्टिकोण—ये सभी भारत की कूटनीतिक परिपक्वता को दर्शाते हैं।
अब BRICS एक आर्थिक गठबंधन से बढ़कर एक वैश्विक आंदोलन बनता जा रहा है—जहाँ विश्व की बहुसंख्यक आबादी की उम्मीदें और भविष्य निहित हैं।

