तीस्ता नदी जल बंटवारा: यूनुस के वादे से भारत के हितों पर खतरा?

तीस्ता नदी जल प्रबंधन: भारत से छिनकर चीन को सौंपने का वा दा?


तीस्ता नदी जल बंटवारा: यूनुस के वादे से भारत के हितों पर खतरा?

                          बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार मोहम्मद यूनुस की हालिया चीन यात्रा ने तीस्ता नदी जल प्रबंधन को लेकर नई चिंता पैदा कर दी है। रिपोर्ट्स के अनुसार, यूनुस ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात के दौरान तीस्ता नदी प्रोजेक्ट पर सहयोग के संकेत दिए हैं।

इससे पहले, प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार इस परियोजना के लिए भारत को प्राथमिकता दे रही थी, लेकिन अब चीन के साथ संभावित समझौते की चर्चा हो रही है। यह भारत के लिए कूटनीतिक और रणनीतिक रूप से एक चुनौती हो सकता है।


तीस्ता नदी का महत्व और भारत-बांग्लादेश जल विवाद

  • तीस्ता नदी का उद्गम पूर्वी हिमालय में तीस्ता कंगसे ग्लेशियर से होता है।
  • यह नदी सिक्किम, पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश से होकर बहती है।
  • यह ब्रह्मपुत्र की एक महत्वपूर्ण सहायक नदी है।
  • बांग्लादेश ने भारत से 1996 की गंगा जल संधि की तर्ज़ पर तीस्ता जल के न्यायसंगत वितरण की मांग की है।
  • 2011 में भारत और बांग्लादेश जल समझौते पर हस्ताक्षर करने के करीब थे, लेकिन पश्चिम बंगाल की आपत्ति के कारण समझौता रद्द हो गया।

बांग्लादेश-चीन समझौते की संभावनाएँ

  • बांग्लादेश सरकार तीस्ता नदी के प्रबंधन के लिए चीन के साथ करार करने की योजना बना रही है।
  • चीन की सरकारी कंपनी पावरचाइना को इस परियोजना की व्यवहार्यता अध्ययन (Feasibility Study) का काम सौंपा गया है।
  • रिपोर्ट के अनुसार, 2025 के अंत तक एक कॉन्सेप्ट नोट और 2026 तक पूरी अध्ययन रिपोर्ट पेश की जाएगी।
  • चीनी इंजीनियरों की टीम पहले ही तीस्ता नदी क्षेत्र का दौरा कर चुकी है।

भारत के लिए रणनीतिक चुनौतियाँ

  • तीस्ता नदी का 50% से अधिक भाग भारतीय सीमा में बहता है, जबकि बांग्लादेश को 25% पानी की जरूरत है।
  • भारत का प्रस्ताव है कि बांग्लादेश को 37.5% पानी मिले और 42.5% भारत के पास रहे।
  • चीन की भागीदारी से भारत की सुरक्षा और रणनीतिक हितों पर असर पड़ सकता है।
  • यह सिलीगुड़ी कॉरिडोर (चिकन नेक) के पास चीन के प्रभाव को बढ़ा सकता है।
  • विशेषज्ञों के अनुसार, यह परियोजना चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का हिस्सा बन सकती है।

भारत की प्रतिक्रिया और आगे की राह

  • भारत सरकार इस मुद्दे पर सतर्कता से नजर रख रही है।
  • आगामी बिम्सटेक (BIMSTEC) शिखर सम्मेलन में मोहम्मद यूनुस और पीएम मोदी के बीच बैठक होने की संभावना है।
  • विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को राजनयिक स्तर पर कूटनीतिक प्रयास बढ़ाने होंगे ताकि बांग्लादेश को चीनी प्रभाव में जाने से रोका जा सके।
  • भारत को पश्चिम बंगाल सरकार के साथ मिलकर एक नया जल-समझौता प्रस्ताव तैयार करना चाहिए।

निष्कर्ष

बांग्लादेश की वर्तमान सरकार का चीन के साथ तीस्ता नदी परियोजना पर विचार करना क्षेत्रीय जल प्रबंधन और भू-राजनीतिक संतुलन को प्रभावित कर सकता है। भारत के लिए यह महत्वपूर्ण होगा कि वह अपने रणनीतिक और कूटनीतिक हितों की रक्षा कैसे करता है।

क्या यह चीन की नई रणनीति है या बांग्लादेश की कूटनीतिक चाल? आपकी राय क्या है? हमें कमेंट में बताएं!

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