नेपाल में राजशाही समर्थकों का हिंसक प्रदर्शन, 100 से अधिक गिरफ्तार – भारत भी सतर्क
काठमांडू | नेपाल में राजशाही की बहाली की मांग को लेकर राजधानी काठमांडू में हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों में 100 से अधिक प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई झड़पों में 2 लोगों की मौत हो गई, जबकि 112 से अधिक घायल हुए, जिनमें 77 सुरक्षाकर्मी भी शामिल हैं। सरकारी इमारतों और वाहनों को नुकसान पहुंचाने की घटनाओं के बाद, प्रशासन ने कर्फ्यू लागू किया था, जिसे अब हटा लिया गया है।
नेपाल में राजशाही समर्थक आंदोलन क्यों भड़का?
नेपाल में 2008 में राजशाही को समाप्त कर लोकतंत्र लागू किया गया, लेकिन बीते 16 वर्षों में 14 अलग-अलग सरकारें बनने से जनता में असंतोष बढ़ता गया। भ्रष्टाचार, बढ़ती बेरोजगारी, महंगाई और कमजोर विकास दर के चलते लोग एक बार फिर राजा के नेतृत्व में स्थिर सरकार की मांग कर रहे हैं।
गिरफ्तारी और कार्रवाई:
✅ 105 प्रदर्शनकारी गिरफ्तार, जिनमें प्रमुख नेता रवींद्र मिश्रा, धवल शमशेर राणा, स्वागत नेपाल शामिल हैं।
✅ प्रदर्शनकारियों पर हिंसा भड़काने, सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और आगजनी के आरोप।
✅ पुलिस ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए लाठीचार्ज, आंसू गैस और वाटर कैनन का उपयोग किया।
✅ इंटरनेट सेवाओं को भी आंशिक रूप से बंद किया गया ताकि अफवाहें न फैलें।
नेपाल में बढ़ती राजनीतिक अस्थिरता – भारत पर क्या असर पड़ेगा?
नेपाल में हो रही उथल-पुथल का भारत पर सीधा असर पड़ सकता है। नेपाल और भारत के बीच 1,850 किमी लंबी खुली सीमा है, जिससे वहां की राजनीतिक अस्थिरता भारत के सीमावर्ती राज्यों उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और सिक्किम में भी तनाव बढ़ा सकती है।
भारत की प्रतिक्रिया:
🔹 नेपाल की विदेश मंत्री आरजू राणा देउबा ने नई दिल्ली का दौरा कर भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात की।
🔹 भारत ने स्पष्ट किया कि वह नेपाल के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेगा, लेकिन लोकतंत्र और स्थिरता का समर्थन करेगा।
🔹 विशेषज्ञों का मानना है कि अगर नेपाल में राजनीतिक संकट बढ़ा, तो इससे भारत-नेपाल व्यापार और सुरक्षा रणनीति प्रभावित हो सकती है।
नेपाल में राजशाही बनाम लोकतंत्र – जनता की राय क्या है?
नेपाल में अस्थिरता से भारत को क्या नुकसान हो सकता है?
1️⃣ व्यापार पर असर – भारत नेपाल का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, और राजनीतिक अस्थिरता दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों को नुकसान पहुंचा सकती है।
2️⃣ सीमा सुरक्षा पर खतरा – नेपाल में संकट बढ़ने से घुसपैठ और माओवादी गतिविधियों में इजाफा हो सकता है, जिससे भारत के सीमावर्ती राज्यों की सुरक्षा प्रभावित होगी।
3️⃣ चीन की बढ़ती दखलंदाजी – चीन नेपाल के अस्थिर हालात का फायदा उठाकर वहां अपना प्रभाव बढ़ा सकता है, जिससे भारत के लिए रणनीतिक चुनौती खड़ी होगी।
4️⃣ आर्थिक प्रवास का खतरा – नेपाल में संकट बढ़ने पर हजारों नेपाली नागरिक रोजगार के लिए भारत आ सकते हैं, जिससे भारतीय श्रम बाजार पर प्रभाव पड़ सकता है।
क्या नेपाल में फिर से राजशाही लौट सकती है?
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि नेपाल में राजशाही की वापसी आसान नहीं होगी, लेकिन अगर सरकार जनता की समस्याओं का समाधान नहीं करती, तो आने वाले महीनों में और भी बड़े विरोध प्रदर्शन देखने को मिल सकते हैं।
भारत और नेपाल के रिश्तों पर इस राजनीतिक संकट का क्या असर पड़ेगा? अपनी राय हमें कमेंट में बताएं!
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