गाजा में इजरायली हवाई हमला: स्कूल पर तबाही, 27 फिलिस्तीनी नागरिकों की मौत, 70 से अधिक घायल
गाजा सिटी (4 अप्रैल 2025) – इजरायल और हमास के बीच जारी संघर्ष ने एक बार फिर मानवीय संकट को गहरा कर दिया है। गुरुवार को उत्तरी गाजा के तुफ़ाह पड़ोस में स्थित एक स्कूल पर इजरायली हवाई हमले ने भयंकर तबाही मचाई। यह स्कूल फिलिस्तीनी विस्थापितों के लिए शरण स्थल बना हुआ था, जहां बड़ी संख्या में बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग अस्थायी रूप से रह रहे थे।
इस हमले में कम से कम 27 लोगों की मौत हो गई, जिनमें 14 मासूम बच्चे और 5 महिलाएं शामिल हैं। 70 से अधिक लोग घायल हुए हैं, जिनमें से कई की हालत नाज़ुक बताई जा रही है। गाजा स्थित स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता ज़हीर अल-वाहिदी ने बताया कि मृतकों की संख्या बढ़ सकती है क्योंकि दर्जनों घायलों की स्थिति गंभीर बनी हुई है।
स्कूल बना मौत का मैदान
गुरुवार सुबह-सुबह जब बच्चे और महिलाएं स्कूल में सो रहे थे, तभी अचानक इजरायली विमानों ने हमला कर दिया। स्कूल की इमारत पूरी तरह से ध्वस्त हो गई, और मलबे के नीचे कई लोग दब गए। राहतकर्मी स्थानीय लोगों की मदद से मलबा हटाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन संसाधनों की भारी कमी और लगातार जारी हमलों के चलते राहत कार्यों में काफी दिक्कतें आ रही हैं।
इजरायली सेना का बयान
इजरायली डिफेंस फोर्सेज़ (IDF) ने अपने आधिकारिक बयान में दावा किया कि उन्होंने गाजा सिटी क्षेत्र में स्थित हमास के एक कमांड और कंट्रोल सेंटर को निशाना बनाया। उनका कहना है कि इस हमले की योजना इस तरह बनाई गई थी कि आम नागरिकों की जान को कम से कम खतरा हो। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि यह बयान उसी स्कूल पर हुए हमले के संदर्भ में दिया गया था या किसी अन्य स्थान को लेकर।
IDF ने कहा कि हमास जानबूझकर नागरिक क्षेत्रों और स्कूलों के भीतर अपने सैन्य ठिकाने स्थापित करता है, जिससे ऐसे हमलों के दौरान नागरिक हानि होती है। लेकिन फिलिस्तीनी नागरिकों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों का आरोप है कि इजरायल बिना पर्याप्त चेतावनी के ऐसे हमले कर रहा है, जिससे आम लोगों की जान खतरे में पड़ रही है।
लगातार बढ़ रही हिंसा
यह हमला ऐसे समय में हुआ है जब गाजा में पहले से ही हालात बेहद तनावपूर्ण हैं। एक दिन पहले ही इजरायली सेना ने संयुक्त राष्ट्र (UN) की एक इमारत पर हमला किया था, जिसमें 17 लोगों की मौत हो गई थी। उस हमले की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना हुई थी, लेकिन इसके बावजूद हिंसा का सिलसिला नहीं थमा।
इस पूरे संघर्ष की शुरुआत अक्टूबर 2023 में हुई थी, जब हमास ने इजरायल पर रॉकेट हमले किए थे और इजरायल ने जवाबी कार्रवाई में गाजा पर व्यापक सैन्य अभियान शुरू कर दिया था। तब से अब तक हजारों नागरिक मारे जा चुके हैं और लाखों विस्थापित हो चुके हैं।
मानवीय संकट गहराया
गाजा पट्टी पहले से ही खाद्य, जल और चिकित्सा संसाधनों की भारी कमी से जूझ रही है। स्कूल पर हुए इस ताज़ा हमले ने हालात और भी बदतर कर दिए हैं। संयुक्त राष्ट्र, रेड क्रॉस और अन्य मानवाधिकार संगठनों ने इस हमले की कड़ी निंदा की है और तत्काल युद्धविराम की अपील की है।
यूएन रिलीफ एंड वर्क्स एजेंसी (UNRWA) ने कहा है कि गाजा के स्कूलों और राहत शिविरों पर हो रहे हमले अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का उल्लंघन हैं। उन्होंने इजरायल से अपील की है कि नागरिक क्षेत्रों को युद्धक्षेत्र न बनाए और मानवीय सहायता को सुरक्षित रास्ता दिया जाए।
बच्चों और महिलाओं की सबसे अधिक मौतें
इस हमले की सबसे दर्दनाक बात यह है कि मृतकों में बड़ी संख्या मासूम बच्चों की है। स्कूल, जो कभी शिक्षा का केंद्र हुआ करता था, अब मौत का मंजर बन गया है। एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि “बच्चे सो रहे थे, किसी को कुछ समझने का मौका नहीं मिला। सब कुछ पलक झपकते ही खत्म हो गया।”
गाजा के स्थानीय अस्पतालों में घायलों की लंबी कतारें लगी हुई हैं, लेकिन दवाइयों और डॉक्टरों की कमी के चलते इलाज मुश्किल हो रहा है। कई लोग खुद ही अपने रिश्तेदारों को स्ट्रेचर पर डालकर अस्पतालों तक पहुंचा रहे हैं।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
इस हमले पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव, अमेरिका, यूरोपीय संघ, और मानवाधिकार संगठनों ने चिंता व्यक्त की है। हालांकि, बयानबाज़ी से आगे कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी है। फिलहाल गाजा के लोग एक निरंतर भय और अनिश्चितता में जीने को मजबूर हैं।
गाजा में बढ़ते हमलों और नागरिकों की मौत ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या युद्ध का कोई नैतिक पक्ष हो सकता है? जब स्कूलों, अस्पतालों और राहत शिविरों को ही निशाना बनाया जाने लगे, तो यह सिर्फ सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि मानवीय त्रासदी बन जाती है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अब सिर्फ बयान देने से आगे बढ़कर इस संकट को खत्म करने के लिए ठोस कदम उठाने की ज़रूरत है।
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