पीएम मोदी ने योग प्रचारक चीनी विद्वान वांग झिचेंग की सराहना की

मोदी ने योग प्रचारक चीनी विद्वान प्रो. वांग झिचेंग द्वारा निर्देशित की: भारतीय संस्कृति को चीन में नई पहचान

मोदी ने योग प्रचारक चीनी विद्वान प्रो. वांग झिचेंग द्वारा निर्देशित की: भारतीय संस्कृति को चीन में नई पहचान

विश्व प्रमुख समाचार | अप्रैल2025

नई/दिल्ली हांगजो: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के प्रतिष्ठित विद्वान प्रोफेसर वांग झेंग के खुले दिल से की, उन्होंने योग और भारतीय संस्कृति को चीन में लोकप्रिय बना दिया। मोदी ने प्रो. वांग को एक विशेष प्रशंसा पत्र भेजा गया था, जो हाल ही में हांग्जो में स्थित है

यह कदम केवल एक व्यक्ति विशेष के अभिप्राय का प्रतीक नहीं है, बल्कि भारत-चीन सांस्कृतिक सम्मिलन और सहयोग को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण संकेत भी है।


प्रो. वांग झिचेंग: योग के चीनी प्रचारक

प्रोफेसर वांग झीचेंग न केवल एक शिक्षाविद् हैं, बल्कि भारतीय दर्शन, योग, भगवद गीता और क्लिप योगसूत्रों पर गहन पकड़ वाले विद्वान भी हैं। वे:

  • योग पर कई किताबें लिखी हुई हैं
  • "योग लाइब्रेरी" को एक लोकप्रिय चीनी प्रकाशन श्रृंखला का मुख्य संपादक कहा जाता है
  • भगवद गीता और नेपाल के योग मंत्र का चीनी भाषा में अनुवाद

इन अनुवादों में चीन के योग के शास्त्रीय और शास्त्रीय पक्ष लोगों के सामने आकर बड़ी भूमिका निभाते हैं। चीन के कई नृत्य कलाकारों में उनके पाठ्यक्रम का हिस्सा बना हुआ है।


प्रधानमंत्री मोदी का पत्र: एक सांस्कृतिक सेतु

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रो. वांग को जो पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने लिखा:

"आपके प्रयास ने भारत और चीन के बीच सांस्कृतिक संवाद को समाप्त कर दिया है। योग और भारतीय ग्रंथों के प्रति आपकी निष्ठा और विरासत प्रशंसनीय है।"

यह पत्र जे.जे.ई.एम.ई. विश्वविद्यालय के एक विशेष समारोह में प्रोफेसर वांग शामिल हुए, जिसमें कई छात्र, व्यापारी और योग प्रेमी शामिल हुए।


योग:वैश्विक स्वास्थ्य एवं संस्कृति का दूत

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की शुरुआत 2015 में प्रधानमंत्री मोदी की संयुक्त राष्ट्र द्वारा की गई थी। तब से लेकर आज तक योग:

  • 180 से अधिक देशों में कुल भुगतान किया गया है
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूडब्ल्यूए) योग को "समग्र स्वास्थ्य का माध्यम" कहा जाता है
  • चीन सहित कई एशियाई देशों में योग आश्रम, समाज और काउंटी जगत का हिस्सा बन गया है

चीन में योग के प्रति मूंगफली का एक प्रमुख कारण प्रो. वांग झिचेंग सांस्कृतिक राजदूतों का प्रतीक है।


भारतीय ग्रंथ का चीनी अनुवाद: एक अनोखा कार्य

प्रो. भारतीय ग्रंथों के चीनी भाषा सेविशेष महत्वपूर्ण हैं:

1. भगवद गीता का अनुवाद

  • गीता को उन्होंने न केवल शाब्दिक रूप से, बल्कि दर्शन और संदर्भ सहित अनुज्ञापित किया
  • उनके प्रदर्शन में चीन के कई आदिवासियों ने दर्शन शास्त्र के पाठ्यक्रम को शामिल किया

2. योगपुरालेख का अनुवाद

  • उन्होंने आधुनिक वैज्ञानिक दृष्टिकोण को सुरक्षित बताया
  • विद्यार्थियों और साधकों को योग के शास्त्रीय पक्ष की गहरी समझ मिली

यह कार्य भारत-चीन के बीच आध्यात्मिक संवाद को मजबूत करता है।


भारत-चीनी सांस्कृतिक आपूर्ति की नई परिभाषा

जहां एक ओर भारत और चीन के बीच राजनीतिक और आर्थिक हितैषी हैं, वहीं दूसरी ओर संस्कृति और शिक्षा के क्षेत्र में गौरव सम्मान और जिज्ञासा बनी हुई है। प्रो. वांग जैसे विद्वान इन पासपोर्ट को:

  • राजनीतिक सीमा से ऊपर की ओर
  • मानव और स्वास्थ्य के स्तर पर लाभ हैं

यही कारण है कि प्रधान मंत्री मोदी ने व्यक्तिगत रूप से अपने कारखाने और भावनाओं को प्रतिष्ठित किया है।


अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2025 और चीन की भागीदारी

इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की थीम थी - "एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य" । चीन में:

  • बीजिंग, शंघाई और हांगजो में योग शिविर और आश्रम का आयोजन किया गया
  • प्रो. वांग ने "धार्मिक जीवन में योग" विषय पर व्याख्यान दिया
  • हजारों युवाओं ने ऑनलाइन योग सत्रों में भाग लिया

चीन सरकार ने भीम योग को सॉफ्ट डिप्लोसी के रूप में देखा है, जो वैश्विक शांति और सहायता का माध्यम बन सकता है।


मीडिया और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया

प्रधानमंत्री के इस कदम को भारतीय और चीनी मीडिया ने सकारात्मक रूप में प्रस्तुत किया है:

  • सिंहुआ समाचार एजेंसी ने इसे "पीपुल-टू-पीपल डिप्लोमेसी" बताया
  • द हिंदू ने लिखा: "संस्कृति के मध्य सीमा पार मैत्री का असंतोष संदेश"
  • ग्लोबल टाइम्स ने इसे "परस्पर आध्यात्मिक सम्मान" कहा

यह प्रतिक्रिया एक व्यक्तिगत अभिनेता का कार्य विश्वव्यापी संदेश कैसे बन सकती है।


निष्कर्ष: एक पत्र, अनेक अर्थ

प्रधानमंत्री मोदी द्वारा प्रो. वांग ज़िचेंग के नेता ने केवल एक व्यक्ति को दिया गया सम्मान नहीं है, बल्कि यह भारत की विश्व बंधुत्व और संस्कृति के माध्यम से विश्व से संवाद करने की नीति का प्रतीक है।

प्रो. वांग जैसे विद्वानों का प्रयास, और भारत सरकार की सक्रिय सांस्कृतिक संस्कृति, इस बात को सिद्ध करती है कि:

"जब बोधन का सम्मिलन-प्रस्ताव होता है, तो उसमें महत्वपूर्णता निहित होती है।"


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