भारत की चिप क्रांति: स्वदेशी IPR के साथ 25 चिपसेट्स का विकास – आत्मनिर्भरता की ओर एक निर्णायक कदम
भारत अब सिर्फ एक उपभोक्ता देश नहीं, बल्कि एक “उत्पाद राष्ट्र” बनने की दिशा में तेज़ी से अग्रसर है। जिस सेमीकंडक्टर तकनीक को अब तक केवल कुछ चुनिंदा विदेशी कंपनियों का एकाधिकार माना जाता था, भारत अब उसी क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की मिसाल पेश कर रहा है। हाल ही में केंद्रीय संचार एवं इलेक्ट्रॉनिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने ऐलान किया कि भारत 25 स्वदेशी चिपसेट्स का विकास कर रहा है, जिनमें से 20 जल्द ही मोहाली स्थित सेमीकंडक्टर प्रयोगशाला (SCL) में टेप-आउट होंगे।
यह परियोजना भारत सरकार की डिज़ाइन-लिंक्ड इंसेंटिव (DLI) योजना के अंतर्गत चल रही है, जिसका उद्देश्य चिप डिज़ाइन में स्वदेशी बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) के साथ तकनीकी संप्रभुता हासिल करना है।
क्या है चिप टेप-आउट?
टेप-आउट, चिप निर्माण प्रक्रिया का वह चरण होता है जब डिज़ाइन पूरा हो चुका होता है और उसे सिलिकॉन चिप में बदला जाता है। यह चरण बेहद महत्वपूर्ण होता है क्योंकि यही सेमीकंडक्टर प्रोडक्शन के लिए अंतिम डिज़ाइन को दर्शाता है।
25 चिपसेट्स का निर्माण – भारत के लिए क्या मायने रखता है?
भारत का लक्ष्य अब सिर्फ चिप्स का आयात करना नहीं, बल्कि उन्हें स्वदेशी तकनीक और स्थानीय बौद्धिक संपदा अधिकार के साथ डिजाइन और निर्माण करना है। इस दिशा में 25 चिपसेट्स का विकास कई दृष्टियों से अहम है:
- राष्ट्रीय सुरक्षा: निगरानी (surveillance), वायरलेस कम्युनिकेशन और रक्षा उपकरणों के लिए स्वदेशी चिप्स की जरूरत अब पहले से कहीं अधिक है।
- आर्थिक आत्मनिर्भरता: स्वदेशी उत्पादन से आयात पर निर्भरता कम होगी और भारत का विदेशी मुद्रा भंडार सुरक्षित रहेगा।
- तकनीकी नेतृत्व: यह पहल भारत को वैश्विक सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला में एक निर्णायक खिलाड़ी बना सकती है।
DLI योजना और C-DAC की भूमिका
भारत सरकार की डिज़ाइन-लिंक्ड इंसेंटिव योजना का मकसद स्टार्टअप्स, MSMEs और अन्य भारतीय कंपनियों को चिप डिजाइन में प्रोत्साहन देना है। बेंगलुरु स्थित C-DAC (Centre for Development of Advanced Computing) इस पूरी योजना का नेतृत्व कर रहा है और वर्तमान में 13 बड़ी परियोजनाएं इसकी निगरानी में हैं।
इन परियोजनाओं के तहत जो चिपसेट्स विकसित किए जा रहे हैं, वे निम्नलिखित क्षेत्रों पर केंद्रित हैं:
- निगरानी और सुरक्षा उपकरण
- वाई-फाई और नेटवर्किंग चिप्स
- IoT डिवाइस
- रक्षा और एयरोस्पेस अनुप्रयोग
- इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के लिए माइक्रोप्रोसेसर
SCL मोहाली – भारत की सेमीकंडक्टर क्रांति का केंद्र
पंजाब के मोहाली में स्थित Semiconductor Laboratory (SCL) को भारत सरकार अब एक state-of-the-art फैब (Fabrication Facility) के रूप में पुनर्जीवित कर रही है। यहीं पर भारत के ये स्वदेशी चिप डिज़ाइन टेप-आउट किए जाएंगे, जिससे यह केंद्र देश की तकनीकी आत्मनिर्भरता की धुरी बनता जा रहा है।
भारत बनाम वैश्विक दिग्गज: क्या भारत तैयार है?
वर्तमान में वैश्विक चिप बाज़ार पर अमेरिका की Nvidia, AMD और Intel जैसी कंपनियों का दबदबा है। चीन भी भारी निवेश कर अपनी चिप इंडस्ट्री को सशक्त बना चुका है। ऐसे में भारत की यह पहल एक रणनीतिक और समयबद्ध निर्णय है।
हालांकि भारत अभी Fabless मॉडल को अपनाकर डिज़ाइन पर केंद्रित है, लेकिन सरकार का अगला लक्ष्य है – बड़ी फैब्रिकेशन यूनिट्स का निर्माण।
तकनीकी संप्रभुता क्यों है ज़रूरी?
वर्तमान भू-राजनीतिक हालातों में किसी भी देश के लिए डिजिटल स्वतंत्रता एक अनिवार्यता बन चुकी है। चिप्स के ज़रिए ही मोबाइल फोन, इंटरनेट, रक्षा प्रणाली, वाहन और उपग्रह काम करते हैं। अगर इनका निर्माण दूसरे देशों के भरोसे होता है, तो वह देश असुरक्षित बन सकता है।
स्वदेशी IPR युक्त चिप डिज़ाइन का मतलब है – भारत की तकनीक, भारत के नियमों पर।
भविष्य की राह: मैन्युफैक्चरिंग से लेकर निर्यात तक
भारत की अगली योजना है:
- फैब्रिकेशन यूनिट्स का विस्तार: गुजरात और महाराष्ट्र में फैब निर्माण की योजनाएं चल रही हैं।
- Global Semiconductor Hub बनना: भारत 2030 तक चिप्स का निर्यातक देश बनना चाहता है।
- विदेशी निवेश को आकर्षित करना: Foxconn, Micron, Vedanta जैसी कंपनियों के साथ साझेदारी कर भारत ग्लोबल सप्लाई चेन का हिस्सा बनना चाहता है।
अश्विनी वैष्णव का बयान: विश्वास और विज़न
केंद्रीय मंत्री ने कहा, “अब वह समय आ गया है जब भारत को सिर्फ सर्विस इंडस्ट्री में नहीं, बल्कि प्रोडक्ट इंडस्ट्री में भी वैश्विक नेतृत्व दिखाना होगा। स्वदेशी चिप डिज़ाइन से हम अपनी सुरक्षा और आत्मनिर्भरता दोनों को मजबूत बना रहे हैं।”
निष्कर्ष: भारत की तकनीकी आज़ादी की नई सुबह
भारत द्वारा स्वदेशी बौद्धिक संपदा अधिकारों से युक्त 25 चिपसेट्स का विकास केवल एक तकनीकी उपलब्धि नहीं, बल्कि यह डिजिटल स्वतंत्रता, आर्थिक आत्मनिर्भरता और राष्ट्रहित की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। जैसे-जैसे ये चिप्स टेप-आउट होकर निर्माण के चरण में पहुंचेंगे, भारत सेमीकंडक्टर क्षेत्र में एक नई पहचान के साथ उभरेगा।

