Earth Day 2025: हमारी शक्ति, हमारा ग्रह – Climate Action का नया संकल्प

 विश्व पृथ्वी दिवस 2025: "हमारी शक्ति, हमारा ग्रह" – धरती बचाने का वैश्विक संकल्प

Earth Day 2025: हमारी शक्ति, हमारा ग्रह – Climate Action का नया संकल्प


परिचय: पृथ्वी दिवस का मूल उद्देश्य

22 अप्रैल को प्रतिवर्ष मनाया जाने वाला विश्व पृथ्वी दिवस (Earth Day) न केवल धरती के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का दिन है, बल्कि यह हमें इस ग्रह की रक्षा के लिए संकल्प लेने का अवसर भी प्रदान करता है। वर्ष 2025 में इस दिवस की थीम "हमारी शक्ति, हमारा ग्रह" रखी गई है, जो न केवल पर्यावरण के प्रति चेतना जगाती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि आज दुनिया को बचाने की शक्ति हमारे सामूहिक प्रयासों में है।



2025 की थीम: "हमारी शक्ति, हमारा ग्रह" – क्या संदेश देती है ये थीम?

"हमारी शक्ति, हमारा ग्रह" थीम का निहितार्थ यह है कि हर नागरिक में यह क्षमता है कि वह जलवायु परिवर्तन, प्लास्टिक प्रदूषण और संसाधनों के अत्यधिक दोहन से लड़ सके। इस थीम के माध्यम से पृथ्वी दिवस संगठन और संयुक्त राष्ट्र यह संदेश देना चाहते हैं कि पृथ्वी के संकटों से निपटने का रास्ता सामूहिक सहभागिता और स्थानीय क्रियाशीलता से ही निकलेगा।

यह अभियान विशेष रूप से इस ओर ध्यान केंद्रित करता है कि:

  • एकल-उपयोग प्लास्टिक का उपयोग कैसे रोका जाए।
  • नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy) को अपनाया जाए।
  • सतत जीवनशैली (Sustainable Lifestyle) को प्रोत्साहित किया जाए।
  • बच्चों और युवाओं को पर्यावरण योद्धा के रूप में तैयार किया जाए।

पृथ्वी दिवस का इतिहास: कहां से शुरू हुआ यह आंदोलन?

22 अप्रैल 1970 को अमेरिका में पहली बार Earth Day मनाया गया था, जब 20 मिलियन अमेरिकी नागरिकों ने पर्यावरण संरक्षण के लिए सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया। इसने न केवल अमेरिकी पर्यावरण नीति को प्रभावित किया, बल्कि एक वैश्विक आंदोलन की नींव रखी। अब यह दिवस 190 से अधिक देशों में मनाया जाता है और इसे हर उम्र के लोग समर्थन देते हैं।


भारत और पर्यावरण: चुनौतियां और संभावनाएं

भारत एक तेजी से विकसित हो रही अर्थव्यवस्था है, लेकिन विकास की इस दौड़ में पर्यावरणीय क्षति भी देखने को मिलती है। वायु प्रदूषण, जल संकट, प्लास्टिक अपशिष्ट, और जैव विविधता का ह्रास जैसी समस्याएं व्यापक रूप से सामने आई हैं।

भारत में प्रमुख पर्यावरणीय समस्याएं:

  • वायु प्रदूषण: विश्व के 10 सबसे प्रदूषित शहरों में से 6 भारत में हैं।
  • जल संकट: NITI Aayog की रिपोर्ट के अनुसार, 2030 तक 40% भारतीयों को पीने योग्य पानी नहीं मिलेगा।
  • वन क्षेत्र की कमी: शहरीकरण के कारण प्राकृतिक जंगलों का ह्रास हो रहा है।
  • प्लास्टिक कचरा: भारत हर साल लगभग 3.5 मिलियन टन प्लास्टिक कचरा पैदा करता है, जिसका एक बड़ा हिस्सा पुनर्चक्रित नहीं होता।

भारत में विश्व पृथ्वी दिवस 2025 की गतिविधियां

भारत में इस वर्ष पृथ्वी दिवस को एक व्यापक जनआंदोलन का स्वरूप दिया जा रहा है। केंद्र और राज्य सरकारें, निजी संगठन, स्कूल, कॉलेज और स्वयंसेवी संस्थाएं मिलकर विभिन्न कार्यक्रम चला रहे हैं:

  • पर्यावरण रैलियां और साइकल यात्रा
  • स्कूलों में निबंध, भाषण, और पोस्टर प्रतियोगिता
  • “प्लास्टिक मुक्त भारत” अभियान के तहत सामुदायिक सफाई
  • “हर घर एक पौधा” योजना
  • E-Vehicles और Renewable Energy Tech Fairs का आयोजन

व्यक्तिगत भूमिका: आप क्या कर सकते हैं?

"हमारी शक्ति, हमारा ग्रह" का अर्थ है कि हर व्यक्ति का योगदान मायने रखता है। अगर हर नागरिक कुछ छोटे-छोटे कदम उठाए, तो धरती को बचाया जा सकता है:

  1. प्लास्टिक से दूरी बनाएं: कपड़े की थैली, स्टील की बोतल, और लकड़ी के टूथब्रश का प्रयोग करें।
  2. ऊर्जा की बचत करें: बिजली और पानी को बेवजह बर्बाद न करें।
  3. स्थानीय उत्पादों को प्राथमिकता दें: इससे परिवहन से होने वाला कार्बन उत्सर्जन कम होता है।
  4. कार-शेयरिंग और सार्वजनिक परिवहन को अपनाएं
  5. हर महीने कम से कम एक पौधा लगाएं और उसकी देखभाल करें।

विज्ञान और नवाचार: पर्यावरण की नई राह

आज विज्ञान और तकनीक के जरिए हम कई पर्यावरणीय समस्याओं का हल ढूंढ़ सकते हैं:

  • स्मार्ट सिटी और ग्रीन बिल्डिंग्स पर्यावरण अनुकूल शहरीकरण को संभव बना रही हैं।
  • AI आधारित कचरा प्रबंधन प्रणाली कचरे को रीसायकल करने में सहायक हो रही हैं।
  • Internet of Things (IoT) आधारित जल प्रबंधन प्रणाली ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में पानी की बचत कर रही हैं।
  • इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) की बढ़ती मांग ने प्रदूषण को काफी हद तक कम किया है।

वैश्विक प्रयास और भारत की भूमिका

पेरिस जलवायु समझौता (2015), COP सम्मेलन, और संयुक्त राष्ट्र का SDGs Agenda 2030 ऐसे वैश्विक प्रयास हैं जो पर्यावरणीय संतुलन को बहाल करने की दिशा में कार्य कर रहे हैं। भारत ने भी वर्ष 2070 तक Net-Zero Carbon Emission का लक्ष्य रखा है, जो वैश्विक जलवायु नेतृत्व की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।


आगे क्या?

         पृथ्वी है, तो हम हैं

विश्व पृथ्वी दिवस 2025 हमें यह सोचने पर विवश करता है कि हम धरती के लिए क्या कर रहे हैं? क्या हमारी जीवनशैली धरती के लिए हानिकारक तो नहीं? और यदि हां, तो हम कब और कैसे बदलाव लाएंगे?

थीम "हमारी शक्ति, हमारा ग्रह" केवल एक आदर्श वाक्य नहीं, बल्कि एक आह्वान है – अब नहीं तो कभी नहीं। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम इस नीले ग्रह को हरा-भरा बनाए रखें, ताकि अगली पीढ़ी भी इसके सौंदर्य और संसाधनों का आनंद ले सके।



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