IAS Ravi Sihag Biography: एक किसान के बेटे से देश के प्रशासक बनने तक की कहानी
"अगर हौंसले बुलंद हों, तो मंज़िल चाहे कितनी भी दूर हो, पहुंचा जा सकता है।"
इस कथन को सच करके दिखाया है राजस्थान के एक साधारण किसान परिवार में जन्मे रवि सिहाग ने, जिन्होंने हिंदी माध्यम से UPSC सिविल सेवा परीक्षा पास कर देश की सबसे प्रतिष्ठित सेवा IAS में स्थान प्राप्त किया। उन्होंने वर्ष 2021 की UPSC परीक्षा में 18वीं रैंक हासिल की और यह उपलब्धि हिंदी माध्यम के छात्रों के लिए एक मिसाल बन गई।प्रारंभिक जीवन और पारिवारिक पृष्ठभूमि
रवि सिहाग का जन्म राजस्थान के सीमावर्ती ज़िले श्रीगंगानगर के एक छोटे से गांव विजयनगर (जो अब अनूपगढ़ तहसील के अंतर्गत आता है) में हुआ। वे एक कृषक परिवार से आते हैं, जहाँ आजीविका का मुख्य स्रोत खेती-बाड़ी ही है। उनके पिता, हरिराम सिहाग, पेशे से किसान हैं और मां एक घरेलू महिला हैं। परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी, लेकिन मेहनत और ईमानदारी ने उनके घर में एक मजबूत नैतिक आधार प्रदान किया।
बचपन से ही रवि ने कठिनाइयों को बहुत करीब से देखा। घर में बिजली, शिक्षा, स्वास्थ्य और संसाधनों की सीमाएं थीं, लेकिन माता-पिता ने हमेशा शिक्षा को प्राथमिकता दी और रवि को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।
शैक्षणिक पृष्ठभूमि
रवि सिहाग की शुरुआती पढ़ाई गाँव के ही राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय से हुई। यहाँ उन्होंने हिंदी माध्यम में शिक्षा प्राप्त की। वह शुरू से ही एक मेधावी छात्र थे और किताबों से गहरी रुचि रखते थे। आर्थिक तंगी के बावजूद उन्होंने कभी पढ़ाई को बाधित नहीं होने दिया। दसवीं और बारहवीं कक्षा में उन्होंने अच्छे अंक प्राप्त किए और अपने स्कूल और गांव का नाम रोशन किया।
इसके बाद उन्होंने स्नातक की पढ़ाई के लिए राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर का रुख किया, जहाँ से उन्होंने B.A. (ऑनर्स) की डिग्री प्राप्त की। पढ़ाई के साथ-साथ उन्हें सिविल सेवा के बारे में जानकारी मिली और यहीं से उन्होंने IAS बनने का सपना देखना शुरू किया।
UPSC की ओर पहला कदम
रवि सिहाग का सिविल सेवा की ओर झुकाव कॉलेज के दिनों में ही शुरू हो गया था। उन्हें समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की ललक थी। IAS बनने की प्रेरणा उन्हें समाचारों, किताबों और समाज के प्रति अपने दायित्व के अहसास से मिली। हालांकि हिंदी माध्यम से UPSC की तैयारी करना अपने आप में एक बड़ी चुनौती होती है।
उन्होंने वर्ष 2018 में पहली बार UPSC की परीक्षा दी लेकिन सफलता नहीं मिली। यह असफलता उन्हें तोड़ने की बजाय और अधिक मजबूत बना गई। उन्होंने अपनी रणनीति को परखा, गलतियों को पहचाना और दोबारा जी-जान से तैयारी में जुट गए।
चार प्रयासों का सफर: संघर्ष से सफलता तक
पहला प्रयास (2018):
पहली बार उन्होंने सिर्फ प्रीलिम्स की तैयारी की थी, लेकिन पर्याप्त मार्गदर्शन और अनुभव की कमी के कारण असफल रहे। हालांकि यह अनुभव उनके लिए सीखने का एक मजबूत आधार बना।
दूसरा प्रयास (2019):
इस बार उन्होंने मेंस तक की तैयारी की, और UPSC सिविल सेवा परीक्षा में इंटरव्यू तक पहुंचे। उन्हें ऑल इंडिया रैंक नहीं मिल सकी, लेकिन यह साबित हो गया कि उनका चयन संभव है।
तीसरा प्रयास (2020):
रवि ने इस प्रयास में RPSC (राजस्थान प्रशासनिक सेवा) परीक्षा में सफलता पाई और चयनित हुए। हालांकि उनका लक्ष्य IAS था, इसलिए उन्होंने RPSC जॉइन नहीं किया और तैयारी जारी रखी।
चौथा प्रयास (2021):
इसी प्रयास में रवि सिहाग ने वो कर दिखाया जो लाखों छात्र सपना देखते हैं—UPSC में 18वीं रैंक प्राप्त कर IAS अधिकारी बने। उन्होंने यह सफलता पूरी तरह हिंदी माध्यम से प्राप्त की, जो अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि मानी जाती है।
हिंदी माध्यम की चुनौतियाँ और रवि का नजरिया
UPSC की परीक्षा में अधिकांश सफल उम्मीदवार अंग्रेजी माध्यम से आते हैं। हिंदी माध्यम के छात्रों को अक्सर कोचिंग, गाइडेंस, और रिसोर्सेस की कमी का सामना करना पड़ता है। रवि को भी इन चुनौतियों का सामना करना पड़ा:
- हिंदी माध्यम में गुणवत्तापूर्ण स्टडी मटेरियल की कमी
- सीमित कोचिंग संस्थान और विशेषज्ञ गाइडेंस
- इंटरनेट पर सीमित हिंदी कंटेंट
- मानसिक दबाव और असमर्थता की भावना
लेकिन रवि ने इन समस्याओं को अपनी ताकत बना लिया। उन्होंने स्व-अध्ययन पर भरोसा किया, NCERT और स्टैंडर्ड बुक्स को कई बार दोहराया, और हर दिन 8 से 10 घंटे की पढ़ाई को नियमित बनाया।
रवि सिहाग की रणनीति
1. समय का प्रबंधन:
रवि ने दिन का पूरा शेड्यूल बना रखा था। उन्होंने सुबह जल्दी उठने की आदत बनाई और विषयों को ब्लॉक में बांटकर तैयारी की।
2. NCERT का महत्व:
रवि मानते हैं कि UPSC की तैयारी की नींव NCERT किताबें हैं। उन्होंने कक्षा 6 से 12 तक की सभी NCERT को अच्छे से पढ़ा।
3. उत्तर लेखन (Answer Writing):
मेंस परीक्षा में उत्तर लेखन अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। रवि ने रोज़ उत्तर लेखन का अभ्यास किया, और पिछले वर्षों के प्रश्नों पर विशेष ध्यान दिया।
4. करंट अफेयर्स:
रवि ने करंट अफेयर्स के लिए 'द हिंदू' के हिंदी संस्करण और PIB के हिंदी कंटेंट का अध्ययन किया। इसके साथ ही Vision IAS और Drishti IAS जैसी संस्थाओं के हिंदी मटेरियल का भी उपयोग किया।
5. मॉक टेस्ट:
प्रैक्टिस के लिए उन्होंने कई मॉक टेस्ट दिए, जिससे समय प्रबंधन और उत्तर लेखन की कला बेहतर हुई।
परिवार का समर्थन और मनोबल
रवि हमेशा अपने माता-पिता के समर्थन को अपनी सबसे बड़ी ताकत मानते हैं। उनके पिता ने खेती से जो भी कमाया, वह रवि की पढ़ाई में लगा दिया। उनकी मां ने हमेशा उन्हें मानसिक रूप से मजबूत बनाए रखा। रवि कहते हैं कि अगर उनके माता-पिता का साथ न होता, तो वह इस ऊंचाई तक नहीं पहुंच पाते।
IAS बनने के बाद की ज़िम्मेदारियाँ और दृष्टिकोण
IAS बनने के बाद रवि सिहाग का लक्ष्य है कि वे ग्रामीण विकास, शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्रों में काम करें। उनका कहना है कि एक प्रशासक का कर्तव्य केवल कार्यालय में बैठकर फाइलें निपटाना नहीं है, बल्कि ज़मीन से जुड़कर आम लोगों की समस्याओं को समझना और सुलझाना है।
वह समाज में भ्रष्टाचार, जातिवाद और असमानता जैसे मुद्दों के खिलाफ काम करना चाहते हैं और एक न्यायपूर्ण तथा समावेशी प्रशासन देना चाहते हैं।
रवि सिहाग से मिलने वाली प्रेरणा
रवि की कहानी हर उस युवा के लिए प्रेरणा है जो हिंदी माध्यम से UPSC की तैयारी कर रहा है और सोचता है कि यह परीक्षा केवल अंग्रेजी माध्यम के लिए बनी है। उन्होंने यह साबित कर दिया कि भाषा कभी भी प्रतिभा की सीमा नहीं बन सकती।
उनका संदेश है:
"संघर्ष करो, अभ्यास करो, और धैर्य बनाए रखो। एक दिन सफलता जरूर मिलेगी।"
IAS रवि सिहाग की जीवनी हमें यह सिखाती है कि अगर हमारे इरादे मजबूत हों, तो कोई भी बाधा हमारी राह में नहीं आ सकती। उन्होंने न सिर्फ खुद के लिए एक रास्ता बनाया, बल्कि लाखों हिंदी माध्यम के छात्रों को यह दिखाया कि UPSC की परीक्षा में सफलता केवल अंग्रेजी की मोहताज नहीं है।
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