"भारतीय कृषि 2047 तक": ICAR-NIAP की रिपोर्ट में सामने आई बदलाव की ज़रूरतें और समाधान
WORLD HEADLINES
प्रकाशन तिथि: 16 अप्रैल 2025
नई दिल्ली:
भारतीय कृषि क्षेत्र आज एक अहम मोड़ पर खड़ा है। एक ओर जहाँ अतीत की उपलब्धियाँ हैं, वहीं दूसरी ओर भविष्य की अनगिनत चुनौतियाँ और संभावनाएँ भी मौजूद हैं। इसी संदर्भ में, ICAR-राष्ट्रीय कृषि अर्थशास्त्र एवं नीति अनुसंधान संस्थान (ICAR-NIAP) ने एक महत्वपूर्ण पॉलिसी पेपर जारी किया है जिसका शीर्षक है "भारतीय कृषि 2047 तक"। यह रिपोर्ट भारत की कृषि-खाद्य प्रणाली में पिछले छह दशकों में आए गहरे बदलावों का विश्लेषण करती है और भविष्य की दिशा तय करने के लिए ठोस सुझाव देती है।
हरित क्रांति से खाद्य-अधिशेष राष्ट्र बनने तक का सफर
1950 के दशक में जहाँ भारत खाद्य संकट से जूझ रहा था, वहीं आज हम एक खाद्य-अधिशेष राष्ट्र के रूप में उभरे हैं। रिपोर्ट बताती है कि यह बदलाव हरित क्रांति, इनपुट सब्सिडी और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) जैसी नीतियों की वजह से संभव हुआ। इस परिवर्तन ने करोड़ों लोगों की भूख मिटाई, आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दिया और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती दी।
राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में कृषि की बदलती भूमिका
समय के साथ-साथ भारत की अर्थव्यवस्था में कृषि का योगदान बदलता गया है:
- राष्ट्रीय आय में हिस्सेदारी: 1950 में कृषि का योगदान 43% था, जो 2023 तक घटकर 18% रह गया।
- कार्यबल में हिस्सेदारी: पहले कृषि में 74% लोग कार्यरत थे, लेकिन यह आंकड़ा अब 46% तक सिमट गया है।
यह बदलाव दिखाता है कि भारत का कृषि क्षेत्र भले ही अब आर्थिक दृष्टि से उतना बड़ा न हो, लेकिन आज भी यह रोज़गार, पोषण और सामाजिक सुरक्षा के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।
खेतों का आकार घटा, छोटे किसानों की संख्या बढ़ी
ICAR-NIAP की रिपोर्ट में एक और चिंता की बात सामने आई – खेती की ज़मीन का बँटवारा और खेतों का आकार:
- छोटे और सीमांत खेतों (≤1 हेक्टेयर) की हिस्सेदारी 51% से बढ़कर 68% हो गई है।
- औसत खेत का आकार 2.28 हेक्टेयर से घटकर 1.08 हेक्टेयर रह गया है।
इसका सीधा असर किसानों की आमदनी, संसाधनों की उपलब्धता और तकनीकी नवाचारों के उपयोग पर पड़ा है।
कृषि विविधीकरण की ओर बढ़ते कदम
कृषि अब केवल अनाज तक सीमित नहीं रही। पशुपालन और मत्स्य पालन जैसे क्षेत्रों में तीव्र विकास देखा गया है:
- 2022-23 में कृषि सकल मूल्य वर्धित (GVA) में
- पशुपालन की हिस्सेदारी 31%
- मत्स्य पालन की हिस्सेदारी 7% तक पहुंच गई।
यह बदलाव दर्शाता है कि किसानों ने अपनी आय बढ़ाने और जोखिम कम करने के लिए विविध कृषि गतिविधियों को अपनाया है।
2047 तक के लिए बड़ी चुनौतियाँ
हालाँकि, भविष्य के रास्ते में कई चुनौतियाँ भी हैं, जिनका समाधान किए बिना भारतीय कृषि का समावेशी और सतत विकास संभव नहीं:
1. कृषि भूमि में गिरावट
जनसंख्या वृद्धि, तेज़ी से हो रहा शहरीकरण और औद्योगीकरण कृषि भूमि की उपलब्धता को लगातार कम कर रहे हैं।
2. उर्वरकों का असंतुलित उपयोग
सब्सिडी की भिन्न दरें, क्षेत्रीय असमानताएँ और पोषक तत्व उपयोग दक्षता की कमी उर्वरक प्रणाली को असंतुलित बना रही है।
3. अकुशल जल प्रबंधन
भूजल का अत्यधिक दोहन और सिंचाई तकनीकों की सीमित पहुंच खेती की टिकाऊ क्षमता को खतरे में डाल रही है।
4. जलवायु परिवर्तन
जलवायु संबंधी चरम घटनाओं (सूखा, बाढ़, तापमान परिवर्तन) के कारण कृषि उत्पादकता में लगभग 25% तक की कमी आई है।
5. अन्य बाधाएँ
- अविकसित बाजार
- फसल मूल्य अस्थिरता
- ऋण और वित्तीय सेवाओं की कमी
- अनाज-केंद्रित नीतियाँ जो विविधता को हतोत्साहित करती हैं
ICAR-NIAP की सिफारिशें: एक संधारणीय कृषि प्रणाली की दिशा में
रिपोर्ट सिर्फ समस्याओं की ओर इशारा नहीं करती, बल्कि स्पष्ट, व्यावहारिक और दूरदर्शी समाधान भी प्रस्तुत करती है:
1. जल प्रबंधन में सुधार
- वर्षा जल संचयन को प्रोत्साहन
- भूजल पुनर्भरण की योजनाएं
- सूक्ष्म सिंचाई तकनीक (जैसे ड्रिप और स्प्रिंकलर) को व्यापक स्तर पर अपनाना
2. उर्वरक नीति में सुधार
- सब्सिडी को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करना
- नैनो उर्वरकों का प्रयोग बढ़ाना
- पोषक तत्वों की संतुलित खपत को बढ़ावा देना
3. फसल विविधता और टिकाऊ पद्धतियाँ
- फसल चक्र अपनाना
- अंतर-फसली खेती
- स्थानीय जलवायु और संसाधनों के अनुसार खेती प्रणाली विकसित करना
4. अर्थिक और बाजार सुधार
- कृषि अनुसंधान एवं विकास में निवेश
- ग्रामीण मंडियों और लॉजिस्टिक हब्स का सृजन
- मूल्य स्थिरता हेतु सरकारी हस्तक्षेप की भूमिका सुनिश्चित करना
आत्मनिर्भर और समृद्ध कृषि की ओर
"भारतीय कृषि 2047 तक" पॉलिसी पेपर, 'विकसित भारत' के सपने को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है। यह रिपोर्ट बताती है कि अगर नीति निर्माता, किसान, वैज्ञानिक और नागरिक एक साथ मिलकर काम करें, तो भारत न केवल कृषि में आत्मनिर्भर बन सकता है, बल्कि वैश्विक खाद्य सुरक्षा में भी अहम भूमिका निभा सकता है।
WORLD HEADLINES इस प्रयास की सराहना करता है और उम्मीद करता है कि यह रिपोर्ट नीतियों, निवेश और नवाचार के माध्यम से भारत को कृषि महाशक्ति बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी।

