भारत ने सिंधु जल संधि को किया स्थगित: पहलगाम आतंकी हमले के बाद लिया गया सख्त फैसला
लेखक: रामजन्म कुमार | WORLD HEADLINES
2025 की अमरनाथ यात्रा से पहले पहलगाम क्षेत्र में हुए आतंकी हमले ने एक बार फिर भारत-पाकिस्तान संबंधों को झकझोर दिया है। इस हमले में कई सुरक्षाकर्मी घायल हुए और आतंकी गतिविधियों में पाकिस्तान की संलिप्तता के संकेत मिले। इसी पृष्ठभूमि में भारत सरकार की सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCS) ने एक बड़ा और निर्णायक कदम उठाया है — सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty) को तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया गया है। यह निर्णय तब तक प्रभावी रहेगा जब तक पाकिस्तान सीमा-पार आतंकवाद का समर्थन बंद नहीं करता।
क्या है सिंधु जल संधि? – एक ऐतिहासिक समझौता
उत्पत्ति और ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य
सिंधु जल संधि वर्ष 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक की मध्यस्थता में संपन्न हुई थी। इस पर तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति मोहम्मद अयूब खान ने हस्ताक्षर किए थे। यह संधि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जल संसाधनों के शांतिपूर्ण और न्यायसंगत बंटवारे की मिसाल मानी जाती है।
संधि के प्रमुख प्रावधान
1. नदियों का बंटवारा
संधि के तहत सिंधु नदी प्रणाली की छह नदियों को दो भागों में बाँटा गया:
- पूर्वी नदियाँ: रावी, ब्यास और सतलुज — इनका जल उपयोग भारत को पूर्ण रूप से प्राप्त है।
- पश्चिमी नदियाँ: सिंधु, झेलम और चिनाब — इनका अधिकांश जल पाकिस्तान को आवंटित किया गया है, लेकिन भारत को गैर-उपभोग उद्देश्यों के लिए कुछ सीमित गतिविधियों की अनुमति है, जैसे:
- नौवहन
- मछली पालन
- बाढ़ नियंत्रण
- लकड़ी परिवहन
2. डेटा का आदान-प्रदान
हर महीने दोनों देश जल प्रवाह और उपयोग के आंकड़ों का आदान-प्रदान करते हैं ताकि पारदर्शिता बनी रहे।
3. स्थायी सिंधु आयोग (Permanent Indus Commission)
दोनों देशों से एक-एक आयुक्त इस आयोग में होते हैं। यह आयोग विवाद समाधान, निरीक्षण यात्राओं और जल संबंधी मुद्दों पर संवाद का मुख्य मंच है।
4. विवाद समाधान तंत्र
तीन स्तर पर विवाद सुलझाए जाते हैं:
- स्थायी सिंधु आयोग
- तटस्थ विशेषज्ञ
- अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायालय
क्यों किया गया संधि को स्थगित?
1. आतंकवाद को लेकर भारत की नाराजगी
भारत का आरोप है कि पाकिस्तान लगातार सीमा पार आतंकवाद का समर्थन करता रहा है। पहलगाम आतंकी हमला इसका ताजा उदाहरण है, जिसमें विदेशी तत्वों की भूमिका सामने आई है।
2. रणनीतिक दबाव बनाने की नीति
सिंधु जल संधि को स्थगित करना एक रणनीतिक संकेत है कि भारत अब आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करेगा और अपनी कूटनीतिक-सामरिक ताकत का प्रयोग करेगा।
3. “जल हथियार” के रूप में उपयोग
हाल के वर्षों में कई विशेषज्ञ यह सुझाव दे चुके हैं कि भारत को सिंधु जल संधि की समीक्षा करनी चाहिए और जल संसाधनों को रणनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल करना चाहिए। यह निर्णय उसी दिशा में एक मजबूत कदम माना जा रहा है।
क्या कहती है अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था?
- सिंधु जल संधि को अब तक अंतरराष्ट्रीय तौर पर सबसे सफल जल संधियों में गिना जाता रहा है।
- भारत द्वारा इसे स्थगित करने का निर्णय राजनीतिक दबाव का साधन माना जाएगा, लेकिन यदि संधि पूरी तरह रद्द की जाती है, तो यह अंतरराष्ट्रीय कानूनों और विश्व बैंक की मध्यस्थता की भावना को चुनौती देगा।
- भारत अभी इस पर कोई पुनर्विचार नहीं करेगा जब तक पाकिस्तान अपने आतंकवाद के समर्थन से पीछे नहीं हटता।
भारत की भविष्य रणनीति
1. पूर्वी नदियों के जल का पूर्ण उपयोग
भारत पहले से ही पूर्वी नदियों के जल का अधिकांश उपयोग करता है, लेकिन अब सरकार इन पर नई परियोजनाओं (जैसे बांध, बैराज, जल विद्युत परियोजनाएं) के निर्माण को और तेज कर सकती है।
2. पश्चिमी नदियों पर सीमा के भीतर परियोजनाएं
भारत को पश्चिमी नदियों पर भी गैर-उपभोगीय परियोजनाएं (जैसे रन-ऑफ-रिवर हाइड्रो प्रोजेक्ट्स) बनाने का अधिकार है। सरकार अब इन परियोजनाओं को रणनीतिक गति दे सकती है।
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया
- पाकिस्तान ने इस निर्णय की तीखी आलोचना की है और इसे "अनुबंध का उल्लंघन" बताया है।
- वह अंतरराष्ट्रीय समुदाय और संयुक्त राष्ट्र से हस्तक्षेप की मांग कर सकता है।
- लेकिन भारत स्पष्ट कर चुका है कि यह निर्णय आतंकी हमले और पाकिस्तान के विश्वासघातपूर्ण व्यवहार के जवाब में लिया गया है।
भारत द्वारा सिंधु जल संधि को स्थगित करना पाकिस्तान के खिलाफ एक कड़ा और स्पष्ट संदेश है — यदि आप आतंक को बढ़ावा देंगे, तो बातचीत और समझौते रुक सकते हैं। यह फैसला भारत की कूटनीति में बदलाव को दर्शाता है, जहाँ अब केवल शांतिपूर्ण समझौतों पर भरोसा नहीं किया जा रहा, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वोपरि मानी जा रही है।
WORLD HEADLINES आपके साथ है, इस संघर्ष में, इस बदलाव में, और भारत की सुरक्षा और आत्मनिर्भरता की दिशा में उठाए हर कदम में।

