वाइब्रेंट विलेज योजना: सीमावर्ती गांवों का सामरिक विकास शुरू, जानें IR से इसका महत्व

वाइब्रेंट विलेज योजना का दूसरा चरण: सीमावर्ती सुरक्षा से जुड़ा विकास मॉडल
वाइब्रेंट विलेज योजना का दूसरा चरण: सीमावर्ती सुरक्षा से जुड़ा विकास मॉडल

रिपोर्ट: WORLD HEADLINES ब्यूरो | दिनांक: 5 अप्रैल 2025
श्रेणी: राष्ट्रीय सुरक्षा | ग्रामीण विकास | नीति विश्लेषण


प्रस्तावना: सीमाओं को मज़बूती, गांवों को आत्मनिर्भरता

भारत सरकार ने देश की सीमाओं पर बसे गांवों को रणनीतिक रूप से मजबूत करने की दिशा में एक और बड़ा कदम उठाया है। वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम (VVP) के दूसरे चरण को केंद्र की मंजूरी मिल गई है। इसके तहत देश के 15 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों के सैकड़ों सीमावर्ती गांवों को बहुआयामी विकास के मॉडल के तहत विकसित किया जाएगा।

इस योजना को केवल ग्रामीण उत्थान के रूप में देखना सीमित दृष्टिकोण होगा। यह एक सुरक्षा-केन्द्रित विकास रणनीति है, जो भारत की अंतरराष्ट्रीय सीमाओं की सामाजिक और भौगोलिक मजबूती को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है।


क्या है वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम (VVP)?

वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम की शुरुआत भारत सरकार ने 2022-23 में की थी, जिसका उद्देश्य उन गांवों का सर्वांगीण विकास करना था जो भारत की अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से लगे हुए हैं और वर्षों से विकास की मुख्यधारा से कटे रहे हैं।

मुख्य उद्देश्य:

  • सीमावर्ती गांवों में बुनियादी सुविधाएं (सड़क, बिजली, इंटरनेट, स्वास्थ्य) देना
  • स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार सृजन
  • सीमाओं पर ‘पलायन’ को रोकना
  • सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इलाकों में मानव उपस्थिति बनाए रखना

दूसरे चरण में क्या-क्या शामिल होगा?

1. भौगोलिक विस्तार:

इस बार योजना में 15 राज्य जैसे अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम, लद्दाख और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर व लद्दाख को कवर किया जाएगा।

2. बुनियादी ढांचा विकास:

  • ग्रामीण सड़कों का निर्माण और चौड़ीकरण
  • सोलर लाइटिंग, मिनी ग्रिड और डिजिटल कनेक्टिविटी
  • हेल्थ सेंटर और मोबाइल क्लीनिक
  • स्कूलों और स्किल डिवेलपमेंट सेंटर्स की स्थापना

3. रणनीतिक उपयोग:

  • सेना और ITBP के लिए लॉजिस्टिक सपोर्ट
  • गांवों को 'वॉच टावर कम्युनिटी' के रूप में विकसित करना
  • चीन और पाकिस्तान सीमा पर डेमोग्राफिक बैलेंस बनाए रखना

अंतरराष्ट्रीय संबंधों (IR) के संदर्भ में इसका महत्व

1. चीन से सीमा विवाद और भारत की रणनीति:

वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम का सबसे बड़ा लक्ष्य भारत-चीन सीमा पर बसे गांवों को सशक्त बनाना है। चीन ने हाल ही में सीमा के उस पार नकली गांव (model villages) बनाए हैं, जिन्हें PLA (People’s Liberation Army) सामरिक उद्देश्यों के लिए उपयोग कर रही है।

भारत का यह कदम एक सटीक जवाबी रणनीति के रूप में देखा जा रहा है – जहाँ सीमावर्ती इलाकों में लोकसंख्या घनत्व, नागरिक सुविधा और सैनिक सहायता तीनों पर काम किया जा रहा है।

2. भूटान, नेपाल और म्यांमार सीमा की भूमिका:

भारत इन देशों के साथ सीमाओं पर स्थानीय स्तर पर कनेक्टिविटी बढ़ा रहा है, जिससे ग्रासरूट डिप्लोमेसी को बढ़ावा मिले और तस्करी व आतंकवाद जैसे असुरक्षा तत्वों पर नियंत्रण हो सके।

3. पाकिस्तान सीमा पर सामरिक लाभ:

राजस्थान और पंजाब के सीमावर्ती गांवों में इस योजना के तहत निगरानी, सामरिक सड़कें और ड्रोन निगरानी तकनीक को शामिल किया जा रहा है। इससे भविष्य में सेना को ग्रामीण सहयोग और लॉजिस्टिक सपोर्ट में मदद मिलेगी।


घरेलू सुरक्षा और भू-राजनीति की एकता

यह योजना दर्शाती है कि भारत अब अपनी सुरक्षा नीतियों को केवल सेना या हथियारों तक सीमित नहीं रख रहा, बल्कि वह "ग्रामीण नागरिकों को भी रणनीतिक ताकत" के रूप में देख रहा है।

"वाइब्रेंट विलेज सिर्फ विकास की योजना नहीं, यह सीमा पर भारत की सामाजिक संप्रभुता का पुनर्निर्माण है।" — नीति आयोग अधिकारी


चुनौतियाँ और समाधान

1. भौगोलिक बाधाएं:

पर्वतीय और बर्फीले क्षेत्रों में निर्माण कार्य अत्यंत कठिन होता है। इसके लिए स्थानीय संसाधनों और पारंपरिक वास्तुशिल्प तकनीकों का प्रयोग बढ़ाया जा रहा है।

2. पलायन की दर:

कई गांवों में युवा रोजगार की कमी के कारण पलायन कर रहे हैं। इसके लिए योजना में स्थानीय रोजगार और स्वरोजगार (कुटीर उद्योग, कृषि प्रोसेसिंग यूनिट्स) पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

3. पर्यावरणीय संवेदनशीलता:

विकास कार्यों के साथ पर्यावरणीय प्रभाव आंकलन (EIA) को अनिवार्य बनाया गया है, ताकि हरे-भरे क्षेत्रों में जैव विविधता को नुकसान न हो।


IR में 'गांव आधारित सुरक्षा मॉडल' का भविष्य

इस योजना को IR थ्योरी के Constructivist दृष्टिकोण से देखा जाए तो यह साफ है कि भारत अब "राष्ट्रीय पहचान और सुरक्षा" को सिर्फ शहरों और सैन्य अड्डों तक सीमित नहीं रख रहा, बल्कि वह "सीमावर्ती नागरिकों को भी राष्ट्रीय सुरक्षा का एजेंट" मानने लगा है।

यह एक नया प्रयोग है, जिसमें विदेश नीति, ग्रामीण विकास, आंतरिक सुरक्षा और सामरिक रणनीति को एकीकृत किया गया है।


निष्कर्ष: सीमाओं पर बसे भारत के सच्चे रक्षक – गांववासी

वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम का दूसरा चरण भारत की सुरक्षा रणनीति में ऐतिहासिक बदलाव का प्रतीक है। सीमावर्ती गांव अब ‘विकास के मोहताज’ नहीं, बल्कि ‘राष्ट्रीय रणनीति के स्तंभ’ बनते जा रहे हैं। इससे भारत की सीमाएं न केवल भौगोलिक रूप से सुरक्षित होंगी, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक रूप से सशक्त भी बनेंगी।


WORLD HEADLINES इस विषय पर निरंतर अद्यतन, विश्लेषण और निष्पक्ष रिपोर्टिंग करता रहेगा।

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