ISA में नया अध्याय: मॉरीशस बना 'कंट्री पार्टनरशिप फ्रेमवर्क' पर हस्ताक्षर करने वाला पहला अफ्रीकी देश
WORLD HEADLINES | विशेष रिपोर्ट
वैश्विक स्तर पर स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने की दिशा में एक और ऐतिहासिक कदम तब दर्ज हुआ, जब मॉरीशस ने अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (International Solar Alliance - ISA) के तहत 'कंट्री पार्टनरशिप फ्रेमवर्क (CPF)' पर हस्ताक्षर कर पहला अफ्रीकी देश बनने का गौरव प्राप्त किया।
यह साझेदारी न केवल मॉरीशस के लिए बल्कि पूरे अफ्रीकी उपमहाद्वीप और ISA की रणनीतिक ऊर्जा नीतियों के लिए एक प्रेरणादायक मिसाल है। आइए विस्तार से समझते हैं कि यह समझौता क्या है, इसका वैश्विक प्रभाव क्या होगा, और भारत इसमें कैसे एक सशक्त भूमिका निभा रहा है।
क्या है कंट्री पार्टनरशिप फ्रेमवर्क (CPF)?
कंट्री पार्टनरशिप फ्रेमवर्क (CPF), ISA द्वारा विकसित एक रणनीतिक ढांचा है, जिसका उद्देश्य सदस्य देशों के साथ दीर्घकालिक और मध्यम अवधि के सहयोग को बढ़ावा देना है। इसका मुख्य लक्ष्य सौर ऊर्जा से जुड़ी परियोजनाओं के साझा विकास को प्रोत्साहित करते हुए स्वच्छ ऊर्जा अपनाने की प्रक्रिया को तेज करना है।
इस फ्रेमवर्क के अंतर्गत सदस्य देश ISA के सहयोग से सौर परियोजनाओं की योजना, वित्तीय व्यवस्था, तकनीकी सहायता और संसाधन साझा कर सकते हैं। यह भागीदारी न केवल देशों के बीच सहयोग को मजबूत करती है बल्कि वैश्विक ऊर्जा बदलाव को व्यवहार में लाने की दिशा में ठोस कदम है।
अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) की पृष्ठभूमि
ISA एक संधि-आधारित अंतर-सरकारी संगठन है, जिसकी स्थापना भारत और फ्रांस ने संयुक्त रूप से 2015 में COP-21 सम्मेलन के दौरान पेरिस में की थी। इसका उद्देश्य सौर ऊर्जा को एक सतत और सुलभ समाधान के रूप में बढ़ावा देना है ताकि जलवायु परिवर्तन की चुनौती का सामना किया जा सके।
मुख्यालय: गुरुग्राम, हरियाणा (भारत)
हस्ताक्षरकर्ता देश: 104 (मार्च 2025 तक)
सदस्यता संशोधन (2020): अब सभी संयुक्त राष्ट्र सदस्य देश ISA में शामिल हो सकते हैं।
ISA का मिशन: ‘Towards 1000’ रणनीति
ISA ने अपने दीर्घकालिक लक्ष्यों को तीन बिंदुओं में समाहित किया है जिन्हें ‘Towards 1000’ रणनीति कहा जाता है:
- 2030 तक 1000 अरब डॉलर का निवेश आकर्षित करना।
- 1000 मिलियन लोगों को सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा तक पहुंच देना।
- 1000 गीगावाट (GW) सौर ऊर्जा क्षमता स्थापित करना।
इन लक्ष्यों की प्राप्ति से हर साल 1000 मिलियन टन CO2 उत्सर्जन में कटौती की जा सकती है, जिससे पृथ्वी की जलवायु पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
मॉरीशस की भूमिका और इसका महत्व
मॉरीशस, जो अफ्रीका के पूर्वी तट पर स्थित एक छोटा द्वीपीय राष्ट्र है, अब ISA के इस अग्रणी रणनीतिक कार्यक्रम का हिस्सा बन गया है। यह कदम न केवल मॉरीशस को स्वच्छ ऊर्जा के मार्ग पर अग्रसर करेगा, बल्कि अन्य अफ्रीकी देशों को भी इस दिशा में प्रेरित करेगा।
प्रभाव:
- ऊर्जा आत्मनिर्भरता में वृद्धि
- सौर परियोजनाओं में तेज निवेश
- स्थानीय रोजगार सृजन और तकनीकी ज्ञान का विस्तार
- अफ्रीका में सौर ऊर्जा की सुलभता और अपनाने की दर में सुधार
भारत की भूमिका: वैश्विक नेतृत्वकर्ता के रूप में
भारत ISA का सह-संस्थापक देश है और इस संगठन की रीढ़ की हड्डी के रूप में कार्य करता है। भारत ने न केवल ISA की स्थापना में सक्रिय भूमिका निभाई, बल्कि इसके विभिन्न कार्यक्रमों में भी निवेश और तकनीकी सहायता प्रदान की है।
प्रमुख पहलें जो भारत द्वारा समर्थित हैं:
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SolarX Start-up Challenge
स्टार्टअप्स को नवाचार और फंडिंग में मदद -
STAR-C कार्यक्रम
सदस्य देशों की संस्थागत और तकनीकी क्षमता को सुदृढ़ बनाना -
Global Solar Facility
निवेश को प्रोत्साहित करने हेतु भुगतान गारंटी फंड -
Green Hydrogen Innovation Center
सौर और हाइड्रोजन ऊर्जा के संभावनाओं की खोज -
OSOWOG (One Sun, One World, One Grid)
एक वैश्विक ग्रिड की कल्पना जो सौर ऊर्जा को दुनिया भर में जोड़ सके।
वित्तीय सहायता:
भारत हर वर्ष ISA को 100 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता देता है, जिससे विकासशील और उभरती अर्थव्यवस्थाओं को स्वच्छ ऊर्जा अपनाने में मदद मिलती है।
ISA का भविष्य और वैश्विक संदर्भ
आज जब दुनिया जलवायु संकट, ऊर्जा संकट और आर्थिक असमानता से जूझ रही है, ISA जैसे संगठन भविष्य की ऊर्जा नीतियों की नींव रख रहे हैं। मॉरीशस का CPF पर हस्ताक्षर एक संकेत है कि सौर ऊर्जा अब सिर्फ तकनीक नहीं, बल्कि कूटनीति, विकास और संरक्षण का प्रमुख साधन बन चुकी है।
अफ्रीका जैसे महाद्वीपों में जहां ऊर्जा पहुंच एक चुनौती है, वहां ISA की भूमिका बहुआयामी हो जाती है – तकनीक, वित्त, नीति और प्रशिक्षण के रूप में।
निष्कर्ष
मॉरीशस द्वारा CPF पर हस्ताक्षर करना एक प्रतीकात्मक कदम है जो बताता है कि स्वच्छ ऊर्जा का भविष्य बहुपक्षीय सहयोग और नवाचार में निहित है। ISA का यह ढांचा न केवल ऊर्जा क्षेत्र में बदलाव लाएगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक हरित और टिकाऊ भविष्य की ओर रास्ता खोलेगा।
भारत, ISA के माध्यम से दुनिया को यह संदेश दे रहा है कि "एक सूर्य, एक विश्व, एक ऊर्जा नेटवर्क" अब सिर्फ एक विचार नहीं, बल्कि एक क्रियान्वित होता सपना है।

