सेना का 'देसी सुपरहीरो': 'आकाश' ने रात के अंधेरे में दिखाई पाकिस्तान को उसकी औकात | Operation Sindoor Exclusive Report
WORLD HEADLINES
तारीख: 9 मई 2025
8 और 9 मई की रात, भारतीय सीमाओं पर एक बार फिर पाकिस्तान की ओर से शरारती गतिविधियों की कोशिश की गई। जम्मू-कश्मीर (LoC) और पश्चिमी सीमा पर ड्रोन और मिसाइल हमलों का एक समन्वित प्रयास हुआ, जिसे भारतीय सेना ने समय रहते नाकाम कर दिया। लेकिन इस बार इस जवाबी कार्रवाई का नायक बना भारत का 'देसी सुपरहीरो' – 'आकाश' मिसाइल सिस्टम।
क्या हुआ 8 और 9 मई की रात?
इस विशेष रात को पाकिस्तान ने एक साथ कई ड्रोन भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ के लिए भेजे। इन हमलों का लक्ष्य भारतीय सैन्य प्रतिष्ठानों और नागरिक क्षेत्रों को क्षति पहुँचाना था। लेकिन भारतीय सेना पहले से अलर्ट थी। जैसे ही रडार पर हलचल दिखी, 'ऑपरेशन सिंदूर' शुरू हो गया।
भारतीय सेना ने आकाश मिसाइल सिस्टम और रूस से प्राप्त S-400 डिफेंस सिस्टम के संयोजन से एक के बाद एक ड्रोन और मिसाइलों को मार गिराया। यह सिर्फ एक सैन्य सफलता नहीं, बल्कि स्वदेशी टेक्नोलॉजी की विजय थी।
'आकाश' मिसाइल सिस्टम: भारत का स्वदेशी वायु रक्षक
आकाश एक मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली है, जिसे DRDO (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन) ने विकसित किया है। इसकी सबसे बड़ी खासियत है – पूरा देश इसे अपनी जमीन से चलाकर अपने आसमान की रक्षा कर सकता है।
- मारक क्षमता: आकाश-1 की रेंज 25 से 45 किमी है, जबकि आकाश-NG (न्यू जनरेशन) की रेंज 70 से 80 किमी तक जाती है।
- स्पीड: सुपरसोनिक मिसाइल जो 3,500 किमी/घंटा की रफ्तार से दुश्मन के टारगेट को भेद देती है।
- रडार टेक्नोलॉजी: इसमें अत्याधुनिक रडार है जो 150 किमी तक 64 टारगेट्स को ट्रैक कर सकता है और एक साथ 12 मिसाइलों को गाइड कर सकता है।
- स्मार्ट गाइडेंस: टारगेट को आखिरी क्षण तक ट्रैक और लॉक करने की क्षमता।
मोबिलिटी और ऑपरेशनल फ्रीडम
आकाश सिस्टम की एक बड़ी ताकत इसकी मोबाइल क्षमता है। इसे ट्रक, टैंक या ट्रेलर पर रखकर LoC से लेकर राजस्थान, पंजाब या पूर्वोत्तर तक कहीं भी तैनात किया जा सकता है। युद्ध के समय तेजी से मूव करना इसे और प्रभावशाली बनाता है।
'मेक इन इंडिया' का स्टार
आकाश का 82% हिस्सा भारत में निर्मित होता है, जिससे यह रक्षा आत्मनिर्भरता का प्रतीक बन चुका है। यह 'मेक इन इंडिया' का गर्व है जो आज भारत की सीमाओं को पहले से कहीं अधिक सुरक्षित बना रहा है।
ड्रोन और मिसाइल हमलों में आकाश की भूमिका
पाकिस्तान ने जिन ड्रोन का इस्तेमाल किया उनमें से कुछ थे:
- JF-17 जैसे लड़ाकू विमान
- तुर्की का TB2 ड्रोन
- चीन का CH-4 ड्रोन
- बाबर क्रूज मिसाइल
इन सभी को आकाश मिसाइल प्रणाली ने सफलतापूर्वक इंटरसेप्ट किया और जमीन पर गिरा दिया। सेना के सूत्रों के अनुसार, 8 और 9 मई को आकाश ने एक साथ 10 पाकिस्तानी ड्रोन और 2 मिसाइलों को मार गिराया।
'ऑपरेशन सिंदूर': दुश्मन के घर में घुसकर जवाब
भारतीय वायुसेना ने न केवल अपने क्षेत्र में पाकिस्तानी हमलों को विफल किया बल्कि लाहौर के पास स्थित एक वायु रक्षा प्रणाली को भी निशाना बनाकर निष्क्रिय कर दिया। यह पाकिस्तान के लिए एक स्पष्ट संदेश था – भारत अब केवल रक्षात्मक नहीं, बल्कि आवश्यक होने पर आक्रामक रणनीति अपनाने में भी सक्षम है।
S-400 और आकाश का कॉम्बिनेशन: अपराजेय जोड़ी
जहां S-400 लंबी दूरी के मिसाइल खतरे को कवर करता है, वहीं आकाश मध्यम रेंज के टारगेट्स को संभालता है। यह संयोजन भारत की हवाई रक्षा को अभेद्य बनाता है। दोनों सिस्टम मिलकर आसमान में 'लोहे की दीवार' बनाते हैं।
आकाश: आने वाले युद्धों का गेमचेंजर
भविष्य की लड़ाइयाँ पारंपरिक नहीं होंगी। ड्रोन, AI, मिसाइल और सैटेलाइट आधारित हमलों में ‘तेजी’ और ‘सटीकता’ निर्णायक भूमिका निभाएगी। ऐसे में आकाश जैसे स्वदेशी और तेज़-प्रतिक्रिया वाले सिस्टम भारत को रणनीतिक बढ़त देते हैं।
सैन्य विशेषज्ञों की राय
रक्षा विश्लेषक मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) डी.के. मेहरा के अनुसार:
“आकाश एक क्लासिक उदाहरण है कि कैसे स्वदेशी हथियार प्रणाली सीमाओं पर त्वरित प्रतिक्रिया देती है। इसकी सफलता ने भारत को आत्मनिर्भरता की दिशा में और मजबूत किया है।”
भारत की वायु रक्षा का 'आकाशीय कवच'
आज भारत की सीमाएं जितनी सुरक्षित हैं, उसमें आकाश मिसाइल सिस्टम की भूमिका केंद्रीय है। यह एक ऐसा कवच है जो दुश्मन के मंसूबों को धराशायी कर देता है, चाहे रात हो या दिन। और यही कारण है कि 8-9 मई की रात को आकाश ने न केवल पाकिस्तान को उसकी औकात दिखाई, बल्कि भारत के नागरिकों को भी एक विश्वास दिया – हमारे आसमान की रक्षा एक ‘देसी सुपरहीरो’ के हाथ में है।
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