‘राइजिंग नॉर्थईस्ट इन्वेस्टर समिट’ से पूर्वोत्तर भारत को मिलेगी विकास की नई उड़ान: विशेषज्ञ
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को ‘राइजिंग नॉर्थईस्ट इन्वेस्टर समिट’ का उद्घाटन करते हुए पूर्वोत्तर भारत को 'भारत का डिजिटल गेटवे' करार दिया। समिट का उद्देश्य इस क्षेत्र की आर्थिक क्षमताओं को निवेश के माध्यम से वैश्विक मंच पर लाना है। इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स और क्षेत्रीय नेताओं ने उम्मीद जताई कि यह समिट पूर्वोत्तर राज्यों की तकदीर बदलने वाला कदम साबित हो सकता है।
पूर्वोत्तर की छुपी हुई क्षमताओं को मिलेगी पहचान
समिट में शामिल हुए उद्योग जगत के प्रतिनिधियों का मानना है कि पूर्वोत्तर भारत में अपार संभावनाएं हैं—चाहे वह प्राकृतिक संसाधन हों, पर्यटन, कृषि, टेक्सटाइल या युवा जनशक्ति। पावर गिल्ट ट्रेजरीज़ के निदेशक विनीत नाहटा ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की सरकार ने बीते एक दशक में जो आधारशिला रखी है, यह समिट उसे निवेश के स्तर पर मजबूत करेगा।
राजनीतिक नेतृत्व से भी मिला समर्थन
त्रिपुरा के शाही परिवार के उत्तराधिकारी और टिपरा मोथा पार्टी के प्रमुख प्रद्योत माणिक्य देवबर्मा ने समिट को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि पूर्वोत्तर की केवल 50% क्षमता का भी यदि सही उपयोग हो, तो यह क्षेत्र एशिया का एक बड़ा आर्थिक केंद्र बन सकता है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि बांग्लादेश के हालिया बयान, जिसमें पूर्वोत्तर की समुद्री निर्भरता की बात कही गई थी, को यह समिट सशक्त उत्तर देता है।
पूर्वी एशियाई देशों से तुलना और भारत की रणनीति
प्रद्योत ने आगे कहा कि जहां पाकिस्तान और अफगानिस्तान जैसे देश वैश्विक विकास की दौड़ में पिछड़ गए, वहीं मलेशिया, सिंगापुर और थाईलैंड ने पूर्वी एशिया को आर्थिक रूप से समृद्ध बनाया। भारत के पास भी अब मौका है कि वह पूर्वोत्तर को केंद्र में रखकर इसी दिशा में आगे बढ़े।
इंफ्रास्ट्रक्चर और कनेक्टिविटी पर विशेष फोकस
नॉर्थईस्ट ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष हरप्रीत सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार और आठों राज्यों की सरकारों के संयुक्त प्रयास से सड़क, रेल और एयर कनेक्टिविटी पर बड़े पैमाने पर काम किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि बेहतर कनेक्टिविटी से न केवल निवेश में वृद्धि होगी, बल्कि पर्यटक, व्यापारी और स्थानीय समुदायों को भी सीधा लाभ मिलेगा।
शिक्षा और कौशल विकास में ऐतिहासिक निवेश
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में बताया कि बीते 10 वर्षों में नॉर्थईस्ट के शिक्षा तंत्र में ₹21,000 करोड़ से अधिक का निवेश किया गया है। इस दौरान 850 नए स्कूल, 9 मेडिकल कॉलेज, मिजोरम में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन का नया कैंपस और 200 से अधिक स्किल डेवलपमेंट संस्थान स्थापित किए गए हैं।
नॉर्थईस्ट की सांस्कृतिक विविधता भारत की पहचान
प्रधानमंत्री ने नॉर्थईस्ट की सांस्कृतिक विविधता को भारत की ताकत बताया। उन्होंने कहा कि ट्रेड, टेक्सटाइल, ट्रेडिशन और टूरिज्म में इस क्षेत्र की भूमिका अनूठी है और वैश्विक मंच पर भारत को विविधता में एकता का परिचायक बनाने में पूर्वोत्तर अग्रणी है।
2047 तक विकसित भारत का सपना और नॉर्थईस्ट की भूमिका
मोदी ने स्पष्ट किया कि भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में पूर्वी भारत, खासकर पूर्वोत्तर का तेजी से विकास आवश्यक है। उन्होंने कहा कि सरकार अब इस क्षेत्र को सीमावर्ती चिंता नहीं, बल्कि रणनीतिक संपत्ति के रूप में देख रही है।
समिट से संभावित लाभ
इस समिट के माध्यम से पूर्वोत्तर को एफडीआई, पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप और लोकल स्टार्टअप्स को सपोर्ट जैसे अवसर मिल सकते हैं। क्षेत्रीय विशेषताओं के अनुसार टार्गेटेड इनवेस्टमेंट जैसे- चाय उद्योग, हस्तशिल्प, बांस आधारित उत्पाद, जैविक कृषि और इको-टूरिज्म को बल मिलेगा। इसके साथ ही रोजगार के नए अवसर और प्रशिक्षण संस्थानों के माध्यम से स्थानीय युवाओं को सीधा फायदा मिलेगा।
WORLD HEADLINES का निष्कर्ष: भविष्य की दिशा तय करता यह समिट
‘राइजिंग नॉर्थईस्ट इन्वेस्टर समिट’ अब केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि पूर्वोत्तर की दिशा और दशा बदलने का रोडमैप बन चुका है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह पहल नॉर्थईस्ट को भारत के ग्रोथ इंजन में तब्दील करने की दिशा में निर्णायक सिद्ध हो सकती है। भारत के समावेशी और संतुलित विकास की कहानी में अब पूर्वोत्तर एक अहम अध्याय लिखने को तैयार है।
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