India-Pak Clash Ceasefire पर जयशंकर का बड़ा बयान: No Third Party Needed

भारत-पाक संघर्ष विराम पर डॉ. जयशंकर का दो टूक संदेश: "किसी तीसरे देश की जरूरत नहीं, यह पूरी तरह द्विपक्षीय मामला है"

India-Pak Clash Ceasefire पर जयशंकर का बड़ा बयान: No Third Party Needed

WORLD HEADLINES  

भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्तों की डोर वर्षों से खिंचती-ढीलती रही है। कभी युद्ध, कभी बातचीत, और कभी संघर्ष विराम की पहल—यह सिलसिला दशकों से जारी है। लेकिन हाल ही में भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने एक बयान देकर इस बहस को नया मोड़ दे दिया है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि भारत-पाक संघर्ष विराम और आपसी मुद्दे पूरी तरह द्विपक्षीय हैं और इनमें किसी तीसरे देश की मध्यस्थता की जरूरत नहीं है।

डॉ. जयशंकर का यह बयान उस समय आया जब पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया था कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता करने को कहा था। इस पर विदेश मंत्री ने दो टूक जवाब देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री उस समय अमेरिका में थे ही नहीं। उन्होंने मजाकिया लहजे में कहा, "अमेरिका, अमेरिका में ही था।"

भारत की विदेश नीति: आत्मनिर्भरता और स्पष्टता की राह पर

भारत की विदेश नीति में एक बड़ा बदलाव पिछले कुछ वर्षों में देखने को मिला है। जहां पहले भारत कूटनीतिक मामलों में संयम और संतुलन की नीति अपनाता था, वहीं अब यह नीति आत्मविश्वास और दृढ़ता से परिपूर्ण होती जा रही है। डॉ. जयशंकर ने साफ किया कि भारत अब अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी बात मजबूती से रखता है और अपने हितों से कोई समझौता नहीं करता।

उन्होंने कहा:

“हम किसी भी द्विपक्षीय मुद्दे में तीसरे पक्ष की भूमिका नहीं मानते। भारत और पाकिस्तान के बीच जो भी विवाद हैं, उन्हें शिमला समझौते और लाहौर घोषणा के तहत द्विपक्षीय तरीके से ही सुलझाया जाना चाहिए।”

 


शिमला समझौता और लाहौर घोषणा: भारत की मजबूत नींव

विदेश मंत्री के बयान की पृष्ठभूमि में 1972 का शिमला समझौता और 1999 की लाहौर घोषणा महत्वपूर्ण दस्तावेज हैं। शिमला समझौते में यह स्पष्ट किया गया था कि भारत और पाकिस्तान अपने सभी विवादों को शांतिपूर्ण और द्विपक्षीय बातचीत के माध्यम से हल करेंगे। यह समझौता आज भी भारत की नीति का आधार है।

लाहौर घोषणा ने इस नीति को और भी स्पष्ट किया और यह विश्वास जताया कि दोनों देशों के बीच किसी भी मुद्दे पर बातचीत हो सकती है—बशर्ते आतंकवाद और हिंसा को समर्थन न मिले।

राष्ट्रीय सुरक्षा पहले, व्यापार बाद में

डॉ. जयशंकर ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा किसी भी प्रकार के आर्थिक संबंध से ऊपर है। जब उनसे पूछा गया कि क्या भारत पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देश के साथ व्यापार बढ़ाने की दिशा में कदम उठाएगा, तो उन्होंने दो टूक जवाब दिया:

"जिस देश से हमें राष्ट्रीय सुरक्षा का खतरा है, उससे आर्थिक संबंध संभव नहीं। हमारे लिए पहले सुरक्षा, फिर सहयोग।"

भारत ने पिछले कुछ वर्षों में पाकिस्तान के साथ व्यापारिक संबंधों को लगभग खत्म कर दिया है। पुलवामा हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान से मोस्ट फेवर्ड नेशन (MFN) का दर्जा वापस ले लिया था। इसके बाद कई तरह के आयातों पर भी पाबंदी लगा दी गई।

डोनाल्ड ट्रंप के दावे पर करारा जवाब

जब पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता के लिए कहा था, तो भारत सरकार ने तुरंत इस दावे को खारिज कर दिया था। अब विदेश मंत्री ने इस पर फिर से बात की और इसे “हास्यास्पद” बताया।

जयशंकर ने कहा:

“प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उस समय अमेरिका में नहीं थे। यह बयान पूरी तरह गलत और बेबुनियाद है। हमें किसी तीसरे देश की जरूरत नहीं है। यह हमारी संप्रभुता का विषय है।”

चीन और पाकिस्तान के दबाव में नहीं आता भारत

भारत की विदेश नीति अब केवल पाकिस्तान तक सीमित नहीं है, बल्कि चीन के साथ भी इसकी रणनीतिक सोच स्पष्ट है। डॉ. जयशंकर ने कहा कि भारत अब दबाव में आने वाला देश नहीं रहा। उन्होंने कहा:

“हम उत्तर-पूर्वी भारत में चीन और पाकिस्तान की गतिविधियों पर नजर रखते हैं। भारत अब आत्मनिर्भर और रणनीतिक रूप से सशक्त देश है।”

 

भारत की अर्थव्यवस्था और वैश्विक स्थिति

जयशंकर ने भारत की आर्थिक प्रगति का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत आज एक चार ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन चुका है और जल्द ही यह पांच ट्रिलियन डॉलर की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने कहा:

“हम लगातार 8% की विकास दर बनाए हुए हैं। हमारे पास युवा जनसंख्या, डिजिटल ताकत और वैश्विक बाजार में भरोसा है।”

उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारत की ताकत उसकी "स्थायित्व नीति" और "आंतरिक संस्थानों की मजबूती" में है।

युवाओं और निवेशकों को भारत में भरोसा

भारत के इस आत्मनिर्भर दृष्टिकोण को अब विश्व के निवेशक और युवा दोनों समर्थन दे रहे हैं। जहां एक ओर स्टार्टअप्स और डिजिटल इंडिया ने नई संभावनाओं को जन्म दिया है, वहीं दूसरी ओर भारत की वैश्विक छवि एक सशक्त लोकतांत्रिक शक्ति के रूप में उभरी है।

WORLD HEADLINES का निष्कर्ष: भारत की नीति स्पष्ट, कूटनीति मजबूत

भारत अब केवल प्रतिक्रिया नहीं देता, बल्कि स्पष्ट नीतियों के साथ अंतरराष्ट्रीय मंच पर नेतृत्व करता है। डॉ. एस. जयशंकर के इस बयान ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि भारत अपने मुद्दों को खुद सुलझाने की क्षमता रखता है।

भारत-पाक संघर्ष विराम और कश्मीर जैसे संवेदनशील विषयों पर भारत की नीति बिल्कुल स्पष्ट है: "बातचीत द्विपक्षीय होगी, मध्यस्थता की कोई जरूरत नहीं।" यह न सिर्फ एक कूटनीतिक बयान है, बल्कि भारत की नई विदेश नीति की पहचान भी।


© 2025 WORLD HEADLINES | भारत और विश्व की सबसे भरोसेमंद खबरें |

Website: www.worldheadlines.in 

 “सच्ची खबर, साफ़ नजर”



इसे भी पढ़ें :- 




UNESCO रिपोर्ट का खुलासा: STEM में सिर्फ 35% महिलाएं, डिजिटल दुनिया में भी लैंगिक असमानता


ISRO’s 101st Mission असफल: National Security को पड़ा असर

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.