50% Tariff के बीच मोदी का दमदार बयान—किसानों से No Compromise

मुझे बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी, लेकिन किसानों से समझौता नहीं: ट्रंप के टैरिफ वॉर के बीच बोले PM मोदी

50% Tariff के बीच मोदी का दमदार बयान—किसानों से No Compromise

     अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 50% तक का टैरिफ लगाने के फैसले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को दो टूक कह दिया कि भारत किसानों, पशुपालकों और मछुआरों के हितों से कभी समझौता नहीं करेगा, चाहे इसकी व्यक्तिगत और राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी कीमत क्यों न चुकानी पड़े।

प्रधानमंत्री मोदी का यह बयान एम.एस. स्वामीनाथन शताब्दी अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के मंच से आया, जिसमें उन्होंने कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के महत्व को रेखांकित करते हुए अमेरिका के दबाव को सिरे से खारिज कर दिया।

पीएम मोदी बोले:
"हमारे लिए अपने किसानों का हित सर्वोच्च प्राथमिकता है। भारत अपने किसानों, पशुपालकों और मछुआरे भाई-बहनों के हितों के साथ कभी भी समझौता नहीं करेगा। मुझे व्यक्तिगत रूप से बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी, लेकिन मैं इसके लिए तैयार हूं।"

 


पृष्ठभूमि: कैसे शुरू हुआ टैरिफ विवाद

अमेरिका और भारत के बीच यह विवाद अचानक नहीं फूटा। इसकी जड़ें पिछले कई महीनों की व्यापारिक और कूटनीतिक तनातनी में हैं।

  1. पहला कदम — 25% टैरिफ
    ट्रंप प्रशासन ने सबसे पहले भारतीय सामान पर 25% आयात शुल्क लगाने की घोषणा की।
    कारण बताया गया — भारत द्वारा रूस से कच्चा तेल खरीदना, जो अमेरिका के मुताबिक पश्चिमी प्रतिबंधों का उल्लंघन था।

  2. दूसरा कदम — अतिरिक्त 25% टैरिफ
    25% टैरिफ के बाद भी भारत ने रूस से तेल खरीदना जारी रखा और अमेरिकी दबाव में नहीं आया।
    इसके बाद ट्रंप ने अतिरिक्त 25% टैरिफ का ऐलान कर दिया, जिससे कुल शुल्क 50% हो गया।

  3. भारत की प्रतिक्रिया
    भारत ने इसे "अनुचित, अन्यायपूर्ण और अविवेकपूर्ण" बताया और साफ कहा कि राष्ट्रीय आर्थिक हितों और ऊर्जा सुरक्षा पर समझौता नहीं किया जाएगा।


अमेरिका की मांग और भारत का इंकार

अमेरिका की मांग और भारत का इंकार


     अमेरिका का एक बड़ा दबाव यह भी था कि भारत अपने कृषि और डेयरी बाजार अमेरिकी उत्पादों के लिए पूरी तरह खोल दे।
लेकिन भारत के लिए यह कदम छोटे किसानों, पशुपालकों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर सीधा प्रहार होता।

भारत की चिंताएं:

  • अमेरिकी सस्ते कृषि उत्पाद भारतीय बाजार में आने से देशी किसानों को नुकसान
  • दूध और डेयरी उत्पादों में मूल्य असंतुलन
  • ग्रामीण रोजगार और स्थानीय उत्पादन श्रृंखला पर असर

पीएम मोदी का रुख साफ रहा — "किसानों के हित सर्वोपरि हैं, चाहे इसके लिए आर्थिक कीमत क्यों न चुकानी पड़े।"


किसानों, मछुआरों और पशुपालकों पर संभावित असर

यदि भारत अमेरिकी दबाव में आकर टैरिफ कम करता या बाजार खोलता, तो संभावित नुकसान इस तरह हो सकता था:

  1. किसान — गेहूं, चावल, कपास, गन्ना जैसे फसलों में विदेशी प्रतिस्पर्धा बढ़ जाती, जिससे दाम गिर जाते।
  2. पशुपालक — अमेरिकी दूध और मांस उत्पाद बाजार में सस्ते दाम पर आने से स्थानीय डेयरी और मांस उत्पादन प्रभावित होता।
  3. मछुआरे — समुद्री उत्पादों के आयात में वृद्धि से घरेलू मछली बाजार में दाम घटते और आय में कमी आती।

ऊर्जा सुरक्षा पर भी टकराव

ऊर्जा सुरक्षा पर भी टकराव


अमेरिका की नाराजगी का एक बड़ा कारण भारत का रूस से कच्चा तेल खरीदना है।
विदेश मंत्रालय ने जवाब दिया —

  • भारत का आयात बाजार की परिस्थितियों और ऊर्जा सुरक्षा को ध्यान में रखकर होता है।
  • 1.4 अरब लोगों की ऊर्जा जरूरतें प्राथमिकता हैं।
  • रूस से आयात करना किसी के खिलाफ नहीं, बल्कि भारत के राष्ट्रीय हित में है।

राजनीतिक विश्लेषण: मोदी का ‘राष्ट्रीय हित पहले’ संदेश

विशेषज्ञ मानते हैं कि पीएम मोदी का यह बयान केवल अमेरिका को संदेश नहीं, बल्कि घरेलू राजनीति के लिए भी अहम है।

  • 2024 के आम चुनावों के बाद ग्रामीण और कृषि मतदाता मोदी सरकार का मजबूत समर्थन आधार हैं।
  • किसानों से जुड़े मुद्दों पर समझौता करने का मतलब राजनीतिक जोखिम उठाना।
  • "व्यक्तिगत कीमत चुकाने" का बयान मोदी की राष्ट्रीयतावादी छवि को मजबूत करता है।

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर असर


अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर असर


भारत-अमेरिका का व्यापारिक संबंध पहले से ही कई मुद्दों पर अटका हुआ था —

  • कृषि और डेयरी बाजार
  • डिजिटल व्यापार नियम
  • रक्षा सौदे और तकनीकी सहयोग
    अब टैरिफ वॉर से
  • द्विपक्षीय व्यापार धीमा पड़ सकता है।
  • भारतीय निर्यातक खासकर टेक्सटाइल, इंजीनियरिंग और फार्मा सेक्टर में असर महसूस करेंगे।
  • निवेश माहौल पर नकारात्मक प्रभाव संभव है।

आगे क्या हो सकता है?

  1. कूटनीतिक बातचीत — संभव है कि अगले कुछ महीनों में उच्चस्तरीय वार्ता से तनाव कम करने की कोशिश हो।
  2. विकल्पी बाजार तलाशना — भारत अमेरिकी बाजार पर निर्भरता घटाकर यूरोप, एशिया और अफ्रीका में नए व्यापारिक अवसर तलाश सकता है।
  3. घरेलू कृषि सुधार — किसानों की प्रतिस्पर्धा क्षमता बढ़ाने के लिए नई नीतियां आ सकती हैं।

WORLD HEADPHONES का निष्कर्ष

ट्रंप के टैरिफ वॉर के बीच पीएम मोदी का यह स्पष्ट संदेश है कि भारत अपनी कृषि, डेयरी और मत्स्य अर्थव्यवस्था के हितों से कोई समझौता नहीं करेगा।
चाहे इसकी आर्थिक और राजनीतिक कीमत कितनी भी क्यों न हो, सरकार का रुख किसानों के पक्ष में रहेगा।
यह विवाद सिर्फ व्यापारिक नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्वाभिमान और आत्मनिर्भरता की लड़ाई भी है।


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