Geopolitics 2025: कैसे India-Russia Relations ने बदला US Tariffs का खेल?

India-US Trade War: भारत की रणनीति और ट्रंप प्रशासन की मुश्किलें

Geopolitics 2025: कैसे India-Russia Relations ने बदला US Tariffs का खेल?

दुनिया की दो सबसे बड़ी लोकतांत्रिक ताकतें – भारत और अमेरिका – इस समय एक ऐसे दौर से गुजर रही हैं, जहां राजनीति, कूटनीति और अर्थव्यवस्था तीनों स्तरों पर गंभीर तनाव दिखाई दे रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन जहां टैरिफ, वीज़ा और दबाव की नीति के जरिए भारत पर अपनी पकड़ बनाने की कोशिश कर रहा है, वहीं भारत इस बार झुकने के बजाय आत्मविश्वास से भरे रुख के साथ खड़ा है।

भारत न केवल अमेरिकी दबाव को नज़रअंदाज कर रहा है, बल्कि रूस समेत कई देशों के साथ अपने संबंधों को मज़बूत कर, एक नए वैश्विक व्यापार समीकरण की ओर कदम बढ़ा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह भू-राजनीतिक टकराव आने वाले वर्षों में दुनिया की अर्थव्यवस्था की दिशा बदल सकता है।


ट्रंप प्रशासन का आक्रामक रुख

अमेरिका की मौजूदा सरकार लगातार टैरिफ बढ़ाने, वीज़ा पाबंदियां लगाने और भारत को व्यापार समझौते पर मजबूर करने की रणनीति अपना रही है। ट्रंप प्रशासन का मानना है कि भारत पर इस तरह दबाव डालकर उसे झुकाया जा सकता है।

लेकिन, इस नीति का असर उलटा होता दिखाई दे रहा है। भारत की ओर से किसी भी तरह की हड़बड़ी या समझौता न करने की रणनीति ने अमेरिकी प्रशासन को असहज स्थिति में खड़ा कर दिया है।

  • अमेरिका की कोशिश थी कि भारत जल्दबाजी में कोई व्यापारिक समझौता कर ले।
  • भारत ने इस पर बिल्कुल ठंडा रुख अपनाया और यह संदेश दिया कि उसे दबाव से झुकाया नहीं जा सकता।
  • विशेषज्ञ मानते हैं कि यह रुख भारत की कूटनीतिक परिपक्वता और आत्मविश्वास को दर्शाता है।

भारत की कूटनीतिक चाल

भारत ने अमेरिकी नाराज़गी से डरने के बजाय अपने विकल्प तलाशने शुरू कर दिए।

  • रूस के साथ ऊर्जा, रक्षा और तकनीक के क्षेत्र में सहयोग को और गहरा किया गया।
  • लगभग 50 देशों ने भारत से व्यापारिक साझेदारी में रुचि दिखाई है। इनमें एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के देश भी शामिल हैं।
  • कई देश उन उत्पादों की पेशकश भी कर रहे हैं, जिन्हें भारत अब तक अमेरिका से आयात करता था।

इससे साफ है कि भारत अपनी निर्भरता घटाकर वैश्विक स्तर पर बहु-आयामी रणनीति अपना रहा है।


अमेरिका के लिए बढ़ती मुश्किलें

जहां भारत अपनी स्थिति को मज़बूत करता दिख रहा है, वहीं अमेरिका के लिए हालात और जटिल होते जा रहे हैं।

  1. आंतरिक राजनीतिक संकट
    ट्रंप प्रशासन पर यह आरोप है कि उसने पिछले 25 वर्षों से चले आ रहे कूटनीतिक संतुलन को तहस-नहस कर दिया।

  2. महाभियोग की संभावना
    ट्रंप परिवार पर इंसाइडर ट्रेडिंग (Insider Trading) में शामिल होने के गंभीर आरोप लगे हैं। अगर जांच आगे बढ़ी तो ट्रंप को सत्ता से बेदखल तक किया जा सकता है।

  3. घटती वैश्विक साख
    ट्रंप प्रशासन की आक्रामक नीतियों ने अमेरिका की वैश्विक छवि को कमजोर किया है। सहयोगी देश अब उस पर उतना भरोसा नहीं कर पा रहे हैं।

  4. आर्थिक दबाव
    व्यापार युद्ध ने अमेरिकी बाज़ार में असुरक्षा बढ़ा दी है। निवेशक असमंजस की स्थिति में हैं, और बेरोज़गारी का खतरा भी गहराता जा रहा है।


भारत बनाम अमेरिका: स्थिरता और अस्थिरता का फर्क

विशेषज्ञ मानते हैं कि दोनों देशों के बीच बड़ा फर्क प्रशासनिक ढांचे में है।

  • भारत: एक स्थिर, समर्पित और परिपक्व प्रशासनिक व्यवस्था।
  • अमेरिका: एक अस्थिर, बचकाना और मनमाना नेतृत्व।

भारत में नीतियां निरंतरता और रणनीतिक सोच पर आधारित हैं। वहीं, अमेरिका में राष्ट्रपति की मनमानी ने व्यापारिक सहयोग और कूटनीतिक सहजता को गंभीर झटका दिया है।


वैश्विक दृष्टिकोण: भारत के लिए अवसर

आज की स्थिति को देखते हुए भारत के पास कई अवसर हैं:

  1. विकल्पी बाज़ार
    अमेरिका से हटकर भारत एशिया, अफ्रीका और यूरोप में अपने लिए नए व्यापारिक रास्ते बना रहा है।

  2. ऊर्जा और रक्षा सहयोग
    रूस और मध्य एशिया के साथ ऊर्जा साझेदारी भारत को दीर्घकालिक सुरक्षा देती है।

  3. वैश्विक भरोसा
    भारत का संतुलित रवैया और स्थिर प्रशासन उसे दुनिया की नज़रों में भरोसेमंद साझेदार बना रहा है।

  4. टेक्नोलॉजी और स्टार्टअप्स
    भारत की आईटी और स्टार्टअप इंडस्ट्री को दुनिया भर से निवेश मिल रहा है। अमेरिका की पाबंदियों का असर यहां न्यूनतम है।


अमेरिकी दबाव से भारत क्यों नहीं झुका?

भारत के इस आत्मविश्वासी रवैये के पीछे कुछ मुख्य कारण हैं:

  • आर्थिक आत्मनिर्भरता की दिशा में लगातार प्रगति।
  • कूटनीतिक विविधीकरण – भारत केवल एक देश पर निर्भर नहीं।
  • मजबूत घरेलू बाज़ार – 140 करोड़ की जनसंख्या वाला विशाल उपभोक्ता आधार।
  • रक्षा और ऊर्जा सुरक्षा – रूस और अन्य देशों से सहयोग के जरिए सुरक्षित भविष्य।

विशेषज्ञों की राय

भू-राजनीति विशेषज्ञों का कहना है कि यह टकराव लंबे समय तक चल सकता है।

  • अमेरिका के लिए यह जोखिम भरा है क्योंकि उसके पास घरेलू राजनीतिक संकट भी है।
  • भारत के लिए यह एक अवसर है, जिससे वह खुद को एक नई वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित कर सकता है।
  • आने वाले वर्षों में भारत की अर्थव्यवस्था अमेरिका से हटकर अधिक विविध और आत्मनिर्भर होगी।

WORLD HEADLINES का निष्कर्ष

भारत-अमेरिका संबंध इस समय बेहद नाज़ुक दौर से गुजर रहे हैं। ट्रंप प्रशासन की आक्रामक नीतियों ने तनाव बढ़ाया है, लेकिन भारत ने जिस ठंडे दिमाग और आत्मविश्वास से इसका सामना किया है, वह उसकी कूटनीतिक परिपक्वता का प्रमाण है।

आज की स्थिति यह बताती है कि –

  • भारत अमेरिकी दबाव में नहीं झुका।
  • अमेरिका अपनी आंतरिक और बाहरी चुनौतियों में उलझा हुआ है।
  • आने वाले समय में भारत के पास कहीं ज्यादा विकल्प होंगे।

भविष्य की वैश्विक व्यापारिक संरचना अब भारत की मज़बूत स्थिति और अमेरिका की घटती साख के बीच संतुलन पर टिकी हुई है।



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