"30 साल से अमेरिका का गंदा काम कर रहे हैं और अब वही आतंकियों का मेज़बान बन गया है" – पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ का बयान
लेखक: रामजन्म कुमार | WORLD HEADLINES
प्रकाशन तिथि: 26 अप्रैल 2025
एक बयान जो विश्व राजनीति को झकझोर गया
हाल ही में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने ब्रिटेन की प्रतिष्ठित स्काई न्यूज को दिए एक इंटरव्यू में ऐसा बयान दिया, जिसने न केवल भारत-पाकिस्तान संबंधों को एक बार फिर तनावपूर्ण मोड़ पर ला खड़ा किया है, बल्कि वैश्विक कूटनीति में भी हलचल मचा दी है। उन्होंने कहा:
“हम पिछले 30 सालों से अमेरिका का डर्टी वर्क कर रहे हैं, और अब वही देश आतंकियों का मेज़बान बन गया है।”
यह बयान ऐसे समय आया है जब भारत के जम्मू-कश्मीर में पहलगाम के पास सुरक्षाबलों पर हुए आतंकी हमले के बाद भारत-पाक रिश्तों में ज़बरदस्त तल्खी आई है। भारत ने इस हमले के पीछे लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े संगठन The Resistance Front (TRF) को ज़िम्मेदार बताया है, जबकि पाकिस्तान इसे एक "फर्ज़ी झंडा ऑपरेशन" यानी False Flag Operation कह रहा है।
अमेरिका और पाकिस्तान—तीन दशक पुराना ‘गंदा रिश्ता’?
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने अपने इंटरव्यू में सीधे-सीधे कहा कि 1980 के दशक में सोवियत संघ के खिलाफ अफगानिस्तान में लड़े गए युद्ध से लेकर 2001 में अमेरिका द्वारा शुरू किए गए War on Terror तक, पाकिस्तान ने हमेशा अमेरिका का साथ दिया। लेकिन इसके परिणामस्वरूप उसका सामाजिक, राजनीतिक और सुरक्षा तंत्र चरमरा गया।
उन्होंने कहा:
“जब रूस ने अफगानिस्तान में घुसपैठ की, तो हम अमेरिकी हितों के लिए मोहरा बने। हमने अपने इलाके को हथियारों और कट्टरपंथियों के लिए खोल दिया। आज वही कट्टरपंथ हमारे लिए कैंसर बन गया है।”
यह स्वीकारोक्ति अपने आप में अहम है, क्योंकि पाकिस्तान लंबे समय से यह स्वीकार नहीं करता था कि उसने अमेरिका के कहने पर अपनी धरती का उपयोग आतंकवादियों के लिए किया।
लश्कर और TRF—भारत का आरोप, पाकिस्तान का इनकार
भारत ने पहलगाम हमले के बाद स्पष्ट रूप से कहा कि यह हमला The Resistance Front (TRF) ने अंजाम दिया है, जो लश्कर-ए-तैयबा का ही नया नाम है। भारत के सुरक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, TRF को ISI और पाकिस्तानी सेना से अप्रत्यक्ष समर्थन मिलता है ताकि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान को आतंकवाद से जुड़ी आलोचना से बचाया जा सके।
लेकिन ख्वाजा आसिफ ने इस आरोप को सिरे से खारिज करते हुए कहा:
"जब लश्कर-ए-तैयबा अब अस्तित्व में ही नहीं है, तो उसकी कोई शाखा कैसे हो सकती है?"
इस बयान को विश्लेषकों ने deflection strategy यानी ध्यान भटकाने की कोशिश करार दिया है।
पुलवामा से पहलगाम तक—False Flag की थ्योरी
पाकिस्तान ने पुलवामा हमले (2019) को लेकर भी वही रुख अपनाया था। ख्वाजा आसिफ ने कहा:
"पुलवामा भी एक झूठा झंडा था और अब भारत फिर से वही प्रयोग कर रहा है।"
यह बयान न केवल भारत के आतंकवाद-निरोधी प्रयासों को चुनौती देता है, बल्कि शहीद हुए भारतीय जवानों का भी अपमान है।
भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि पाकिस्तान इस प्रकार के झूठे आरोप लगाकर अपने देश के आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करने से बच रहा है।
भारत का सीधा संदेश—“आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा”
भारत के रक्षा मंत्री, गृहमंत्री और विदेश मंत्रालय ने मिलकर एक स्पष्ट संदेश दिया है कि कश्मीर में किसी भी आतंकी हमले की जवाबदेही पाकिस्तान पर है, चाहे वह प्रत्यक्ष हो या परोक्ष।
भारत ने यह भी संकेत दिए हैं कि यदि आतंकी हमले रुकते नहीं हैं, तो “सर्जिकल स्ट्राइक से भी आगे का कदम” उठाया जा सकता है। वहीं पहलगाम हमले के बाद सीमा पर BSF और सेना को अलर्ट मोड पर डाल दिया गया है।
परमाणु चेतावनी—क्या तनाव किसी बड़े संघर्ष की ओर बढ़ रहा है?
ख्वाजा आसिफ ने कहा:
"हम दो परमाणु शक्तियां हैं। अगर भारत ने हमला किया, तो हमारी प्रतिक्रिया संयमित लेकिन प्रभावशाली होगी। हम पीछे नहीं हटेंगे।"
इस बयान के बाद परमाणु युद्ध की आशंका को लेकर अंतरराष्ट्रीय चिंता और गहरी हो गई है। भारत ने अपने बयान में कहा कि वह शांति का पक्षधर है, लेकिन अपनी संप्रभुता और नागरिकों की सुरक्षा के मामले में किसी तरह की ढील नहीं दी जाएगी।
अमेरिका की भूमिका—मौन या मध्यस्थता?
ख्वाजा आसिफ ने अमेरिका और पश्चिमी देशों से हस्तक्षेप की अपील करते हुए कहा:
“अगर अमेरिका ने अब चुप्पी साधी, तो दुनिया को भुगतना पड़ेगा। दक्षिण एशिया आग का गोला बन सकता है।”
अभी तक अमेरिका की तरफ से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि अमेरिका भारत की आतंकवाद के खिलाफ नीति के समर्थन में है और पाकिस्तान के आतंकी नेटवर्क पर पहले ही कई बार सवाल उठा चुका है।
पाकिस्तान का आत्म-स्वीकार—"हमसे भी गलतियां हुईं"
यह पहला मौका है जब पाकिस्तान के किसी उच्च पदस्थ मंत्री ने यह माना है कि:
“हमसे भी गलतियां हुईं। हमने प्रॉक्सी संगठनों का इस्तेमाल किया, लेकिन हम अकेले दोषी नहीं हैं। अमेरिका और पश्चिम भी बराबर के भागीदार रहे हैं।”
इस बयान के पीछे एक बड़ी कोशिश यह भी मानी जा रही है कि पाकिस्तान FATF (Financial Action Task Force) की ग्रे लिस्ट से बाहर निकलने की उम्मीद में है और आतंकवाद से जुड़ी छवि को थोड़ा साफ करने की कोशिश कर रहा है।
क्या भारत-पाक रिश्तों की आखिरी डोर भी टूट चुकी है?
विश्लेषकों के अनुसार, कश्मीर के मुद्दे पर संवाद की अंतिम डोर भी अब टूट चुकी है। भारत का कहना है कि “आतंक और बातचीत एक साथ नहीं चल सकते”, जबकि पाकिस्तान कहता है कि “भारत ने बातचीत के सारे रास्ते बंद कर दिए हैं”।
वहीं सिंधु जल संधि, LOC सीज़फायर समझौते, और शांति बहाली के कई पुराने प्रोटोकॉल अब केवल कागज़ों पर बचे हैं।
समाधान संवाद में या शक्ति-प्रदर्शन में?
ख्वाजा आसिफ के विवादास्पद बयान और पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान संबंध एक बार फिर सबसे निचले स्तर पर पहुंच चुके हैं। दोनों देशों की सेनाएं सतर्क हैं, अंतरराष्ट्रीय समुदाय चिंतित है, और आम नागरिकों की सांसें अटकी हुई हैं।
अब सवाल यह है:
- क्या अमेरिका और वैश्विक संस्थाएं इस तनाव को नियंत्रित करने के लिए कोई प्रभावी कदम उठाएंगी?
- क्या पाकिस्तान अपने आतंकी नेटवर्क पर वास्तव में कार्रवाई करेगा?
- और सबसे अहम, क्या भारत को एक और सर्जिकल या एयर स्ट्राइक करनी पड़ेगी?
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