GST 2025 Update: नई दरें नवरात्र से लागू, कार-टीवी-कपड़े होंगे सस्ते

नई जीएसटी दरों में बदलाव पर व्यापक अपडेट – नवरात्र 2025 से लागू होने की संभावनाएं

GST 2025 Update: नई दरें नवरात्र से लागू, कार-टीवी-कपड़े होंगे सस्ते

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्वतंत्रता दिवस 2025 पर की गई ऐतिहासिक घोषणा के बाद अब केंद्र सरकार देश में जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) के ढांचे में बड़ा सुधार लाने जा रही है। सरकार का लक्ष्य है कि टैक्स सिस्टम को और सरल, पारदर्शी और उपभोक्ता-मित्र बनाया जाए। यही वजह है कि 22 सितंबर 2025 यानी नवरात्र से पहले नए जीएसटी स्लैब लागू होने की पूरी संभावना है।

जीएसटी काउंसिल की बैठक 3 और 4 सितंबर को होने जा रही है, जिसमें नई दरों पर अंतिम मुहर लग सकती है। इस बदलाव का असर न केवल उपभोक्ताओं और कारोबारियों पर पड़ेगा, बल्कि इसका सीधा प्रभाव देश की अर्थव्यवस्था, बाजार और राज्यों के राजस्व पर भी देखने को मिलेगा।


क्या बदल रहा है जीएसटी में– नई संरचना ?

अभी तक जीएसटी चार स्लैब में लागू है – 5%, 12%, 18% और 28%। लेकिन सरकार अब इसे और सरल बनाते हुए केवल तीन स्लैब में बांटने की योजना बना रही है:

  • 5% स्लैब – रोजमर्रा की जरूरतमंद वस्तुएं और आवश्यक सामान।
  • 18% स्लैब – अधिकांश सामान और सेवाएं।
  • 40% स्लैब – लक्जरी आइटम और "सिन गुड्स" जैसे तंबाकू, शराब, महंगी गाड़ियां आदि।

सबसे बड़ा बदलाव यह है कि 12% स्लैब में आने वाले 99% सामान अब 5% स्लॉट में चले जाएंगे, वहीं 28% स्लैब में आने वाले अधिकांश सामानों को 18% श्रेणी में लाया जाएगा।

इससे सीधा फायदा उपभोक्ताओं को होगा क्योंकि रोजमर्रा की जरूरतों से जुड़े सामानों जैसे—किचन आइटम, जूते, कपड़े, स्टेशनरी, साइकिल, गद्दे, फर्नीचर और इलेक्ट्रॉनिक्स—की कीमतें काफी घटेंगी।

GST 2025 Update: नई दरें नवरात्र से लागू, कार-टीवी-कपड़े होंगे सस्ते

ऑटोमोबाइल सेक्टर को मिलेगा सबसे बड़ा बूस्ट

भारत का ऑटोमोबाइल उद्योग लंबे समय से मंदी की मार झेल रहा है। ऊंचे टैक्स और धीमी मांग ने कंपनियों की बिक्री को प्रभावित किया है। लेकिन नई जीएसटी दरें इस सेक्टर के लिए "गेमचेंजर" साबित हो सकती हैं।

  • वर्तमान में कारों पर 28% जीएसटी के साथ-साथ अलग-अलग सेस भी लगता है।
  • नए ढांचे में ज्यादातर कारें 18% जीएसटी स्लैब में आ जाएंगी (हालांकि लक्जरी और प्रीमियम कारों पर 40% तक टैक्स रहेगा)।

संभावित कीमतों में गिरावट

  • मारुति वैगन आर – लगभग ₹60,000 तक सस्ती।
  • बलेनो – करीब ₹75,000 की कमी।
  • ह्यूंडई क्रेटा – लगभग ₹55,000 तक सस्ती।
  • महिंद्रा XUV700 – 1.15 लाख रुपए तक की भारी गिरावट।

सिर्फ कार की कीमत ही नहीं, बल्कि EMI पर भी इसका असर होगा। जैसे, वैगन आर की ईएमआई में लगभग ₹1,047 प्रति माह और XUV700 की ईएमआई में लगभग ₹1,935 प्रति माह की कमी हो सकती है।

इससे त्योहारी सीजन में कारों और बाइकों की मांग रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच सकती है, जिससे ऑटोमोबाइल सेक्टर को नई रफ्तार मिलेगी।


कंज्यूमर ड्यूरबल्स और इलेक्ट्रॉनिक्स होंगे सस्ते

भारत में टीवी, एसी, फ्रिज और वॉशिंग मशीन जैसे कंज्यूमर ड्यूरबल्स की मांग तेजी से बढ़ रही है। लेकिन ऊंचे टैक्स रेट के कारण ये उत्पाद कई परिवारों की पहुंच से बाहर हो जाते हैं।

नई जीएसटी दरों में:

  • इन उत्पादों पर टैक्स घटकर 18% हो जाएगा।
  • कीमतों में 10%-15% तक गिरावट देखने को मिल सकती है।
  • मिडिल क्लास और लोअर मिडिल क्लास परिवारों के लिए यह बड़ा राहत भरा कदम होगा।

त्योहारी सीजन (दशहरा, दिवाली) में इलेक्ट्रॉनिक्स खरीदने का ट्रेंड काफी ज्यादा होता है। ऐसे में यह बदलाव रिटेल और ई-कॉमर्स बाजार दोनों के लिए वरदान साबित होगा।


कपड़े, जूते और टेक्सटाइल उद्योग को राहत

भारत का टेक्सटाइल उद्योग करोड़ों लोगों की आजीविका का आधार है। नए बदलाव का सीधा फायदा इस सेक्टर को भी मिलेगा।

  • ₹1,000 से कम मूल्य वाले जूते-चप्पल और कपड़े अब केवल 5% जीएसटी स्लैब में आएंगे।
  • पहले जहां 12% और 18% दरें लागू थीं, अब इन्हें सरल बनाकर केवल 5% या 12% तक सीमित किया जा सकता है।
  • सरकार यह भी चाहती है कि पूरे टेक्सटाइल वैल्यूचेन (कॉटन, यार्न, फाइबर आदि) पर एक समान टैक्स दर लागू हो।

इससे उद्योग में पारदर्शिता बढ़ेगी, टैक्स चोरी रुकेगी और छोटे कारोबारियों को राहत मिलेगी।


रोजमर्रा की जरूरी वस्तुएं और सेवाएं

नए ढांचे का सबसे बड़ा फायदा आम नागरिक को मिलने वाला है।

  • ग्रॉसरी, किताबें, स्कूल स्टेशनरी, साइकिल, बर्तन, फर्नीचर और दवाएं और भी सस्ती होंगी।
  • हेल्थ और एजुकेशन जैसी सेवाओं पर जीएसटी में छूट पर विचार हो रहा है।
  • बीमा प्रीमियम और स्वास्थ्य सेवाओं पर टैक्स घटाने की तैयारी भी चल रही है।

किसानों के लिए इस्तेमाल होने वाले कृषि उपकरण और बीज भी सस्ते हो सकते हैं। यह बदलाव ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत है।


बाजार और अर्थव्यवस्था पर असर

  • त्योहारी सीजन में खरीदारी का बूम – उपभोक्ता पहले ही नई दरों का इंतजार कर रहे हैं। बाजार में दुकानदार पुराने स्टॉक पर खुद डिस्काउंट देने लगे हैं।
  • GDP में बढ़ोतरी – विशेषज्ञों का अनुमान है कि इन सुधारों से देश की GDP में 0.6% की अतिरिक्त वृद्धि हो सकती है।
  • राजस्व पर असर – सरकार को सालाना लगभग 20 अरब डॉलर का राजस्व घाटा हो सकता है। लेकिन केंद्र का मानना है कि बढ़ी हुई खपत और टैक्स बेस के विस्तार से यह घाटा पूरा हो जाएगा।
  • राज्यों की भूमिका – राज्य सरकारें भी इन सुधारों के पक्ष में हैं, हालांकि राजस्व घाटे की भरपाई को लेकर वे केंद्र से गारंटी चाहती हैं।

चुनौतियां और जमीनी सच्चाई

  • नई दरों को लागू करने में समय लग सकता है। यदि यह नवरात्र से पहले लागू नहीं हुईं तो त्योहारी सीजन का फायदा कम हो सकता है।
  • व्यापारी और ग्राहक दोनों ही नई दरों का इंतजार कर रहे हैं, जिससे बाजार में अभी हल्की सुस्ती दिख रही है।
  • छोटे कारोबारियों को नई टैक्स दरों और इनवॉइसिंग सिस्टम को समझने में समय लग सकता है।

WORLD HEADLINES का क्या कहना हैं ?

नवरात्र 2025 से लागू होने वाली नई जीएसटी दरें भारत की टैक्स प्रणाली में अब तक का सबसे बड़ा सुधार मानी जा रही हैं। इन बदलावों से न केवल आम उपभोक्ता को राहत मिलेगी, बल्कि ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, टेक्सटाइल और कृषि जैसे प्रमुख सेक्टरों को नई जान मिलेगी।

त्योहारी सीजन में इन सुधारों का असर सीधा देखने को मिलेगा—जहां गाड़ियों की बिक्री रिकॉर्ड तोड़ेगी, वहीं मॉल और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर खरीदारी का जबरदस्त बूम देखने को मिल सकता है।

आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम आम आदमी की जेब को राहत देने के साथ-साथ देश की अर्थव्यवस्था को नई गति देगा। आने वाले समय में ये बदलाव भारत की टैक्स व्यवस्था को और सरल और पारदर्शी बनाने की दिशा में अहम मील का पत्थर साबित होंगे।


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