नेपाल हिंसा 2025: सोशल मीडिया बैन से भड़की आग, 20 मौतें और पीएम ओली का इस्तीफा

नेपाल में हिंसा: सोशल मीडिया बैन से भड़की आग, 20 मौतें, 500 से ज्यादा घायल और प्रधानमंत्री ओली का इस्तीफा

नेपाल हिंसा 2025: सोशल मीडिया बैन से भड़की आग, 20 मौतें और पीएम ओली का इस्तीफा

नेपाल इन दिनों भीषण राजनीतिक और सामाजिक संकट से गुजर रहा है। सोशल मीडिया बैन को लेकर शुरू हुआ विरोध देखते-ही-देखते हिंसा में बदल गया और हालात इतने बिगड़े कि प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा। अब तक की रिपोर्टों के अनुसार, इस हिंसा में करीब 20 लोगों की मौत हो चुकी है और 500 से अधिक लोग घायल हुए हैं। संसद भवन और सुप्रीम कोर्ट तक को आग के हवाले कर दिया गया, जबकि सेना को सड़कों पर उतारना पड़ा और कई इलाकों में कर्फ्यू लगाना पड़ा।

यह संकट सिर्फ सोशल मीडिया बैन तक सीमित नहीं है, बल्कि नेपाल के युवाओं की लंबे समय से चली आ रही नाराजगी, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और राजनीतिक अस्थिरता से भी जुड़ा है।


हिंसा की जड़: सोशल मीडिया बैन का विवाद

नेपाल सरकार ने 4 सितम्बर 2025 को अचानक एक बड़ा फैसला लिया। सरकार ने फेसबुक, व्हाट्सऐप, इंस्टाग्राम, एक्स (पूर्व ट्विटर) और यूट्यूब जैसे प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लगा दिया। तर्क यह दिया गया कि ये “अनरजिस्टर्ड” प्लेटफॉर्म हैं और इनसे फेक न्यूज़ और साइबर क्राइम का खतरा बढ़ रहा है।

सरकार का यह कदम युवाओं को बिल्कुल रास नहीं आया। नेपाल के शहरी इलाकों में खासकर युवा वर्ग सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय रहता है। पढ़ाई, रोजगार, व्यवसाय और मनोरंजन से जुड़ी गतिविधियों के लिए भी लोग इन प्लेटफॉर्म्स पर निर्भर हैं। ऐसे में अचानक लगाया गया बैन उनके लिए किसी झटके से कम नहीं था।

विरोध की शुरुआत

8 सितंबर को हजारों छात्र-युवा सोशल मीडिया बैन के खिलाफ सड़कों पर उतर आए। शुरुआत में ये प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहे। लोगों ने नारे लगाए, बैन वापस लेने की मांग की और सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया। लेकिन अगले ही दिन हालात हिंसक हो गए।


हिंसा की लपटें: संसद और सुप्रीम कोर्ट पर हमला

युवाओं का आक्रोश: सिर्फ सोशल मीडिया नहीं, और भी दर्द है


9 सितंबर को प्रदर्शनकारियों ने राजधानी काठमांडू में संसद भवन, सुप्रीम कोर्ट और कई सरकारी कार्यालयों को आग के हवाले कर दिया। कई मंत्रियों और नेताओं के घरों पर भी हमला किया गया।

सरकार ने हालात काबू करने के लिए बैन वापस ले लिया, लेकिन तब तक आक्रोश का ज्वालामुखी फट चुका था।

सुरक्षाबलों की कार्रवाई

हिंसा फैलने के बाद सुरक्षाबलों ने मोर्चा संभाला। सेना को तैनात किया गया, दंगे रोकने के लिए फायरिंग की गई और कई जगह कर्फ्यू लागू करना पड़ा। आधिकारिक रिपोर्ट के अनुसार, अब तक 20 लोगों की मौत हो चुकी है और 500 से अधिक लोग घायल हुए हैं


युवाओं का आक्रोश: सिर्फ सोशल मीडिया नहीं, और भी दर्द है

युवाओं का आक्रोश: सिर्फ सोशल मीडिया नहीं, और भी दर्द है

इस आंदोलन में सबसे ज्यादा भागीदारी 18 से 28 साल के युवाओं की रही। उनका कहना है कि यह सिर्फ सोशल मीडिया बैन का विरोध नहीं है। असली वजह है:

  • बढ़ती बेरोजगारी
  • नेताओं का भ्रष्टाचार
  • प्रशासन का दोहरा रवैया
  • लंबे समय से जारी राजनीतिक अस्थिरता

युवाओं का मानना है कि नेपाल में अवसर कम हो रहे हैं और भ्रष्टाचार ने व्यवस्था को खोखला कर दिया है। यही कारण है कि उनका गुस्सा बैन के खिलाफ प्रदर्शन से कहीं आगे निकल गया।

बिना नेतृत्व का आंदोलन

विशेषज्ञों का कहना है कि यह आंदोलन किसी केंद्रीय नेतृत्व के बिना चल रहा है। यह स्वतःस्फूर्त आंदोलन है, लेकिन इसमें हिंसक तत्वों के शामिल होने के आरोप भी लगाए जा रहे हैं।


प्रधानमंत्री ओली का इस्तीफा: राजनीतिक अस्थिरता और गहरी

नेपाल हिंसा 2025: सोशल मीडिया बैन से भड़की आग, 20 मौतें और पीएम ओली का इस्तीफा

स्थिति के बिगड़ने के बाद प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने पद से इस्तीफा दे दिया। उनका कहना था कि वे देश की स्थिति को संभालने में नाकाम रहे और अब कोई नया नेतृत्व इसे बेहतर तरीके से संभाल सके।

प्रधानमंत्री के इस्तीफे के साथ ही नेपाल में सत्ता का शून्य पैदा हो गया है। संसद में राजनीतिक दलों के बीच नई सरकार बनाने को लेकर बातचीत जारी है, लेकिन फिलहाल राजनीतिक अस्थिरता और गहरी हो गई है।


अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया: भारत समेत पड़ोसी देशों की चिंता

नेपाल में हिंसा को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता जताई जा रही है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेपाली भाषा में ट्वीट करते हुए इसे “हृदयविदारक” बताया और नेपाल के लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की।

इसके अलावा, चीन और अन्य पड़ोसी देशों ने भी चिंता जताते हुए नेपाल में स्थिरता बहाल करने की आवश्यकता पर जोर दिया है।


क्या नेपाल दोराहे पर है?

यह सवाल अब नेपाल के सामने सबसे बड़ा है कि आगे देश किस दिशा में जाएगा।

  • क्या यह आंदोलन देश में बड़े सुधारों का रास्ता खोलेगा?
  • या फिर हिंसा और अस्थिरता नेपाल को और गहरे संकट में धकेल देगी?

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह सिर्फ सोशल मीडिया पर पाबंदी का मामला नहीं है। यह नेपाल के सामाजिक और राजनीतिक ढांचे में गहरे असंतोष की अभिव्यक्ति है।


WORLD HEADLINES का निष्कर्ष

नेपाल की मौजूदा स्थिति यह साफ करती है कि देश का युवा वर्ग बेहद आक्रोशित है। सोशल मीडिया बैन सिर्फ चिंगारी थी, लेकिन असली वजह है भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और राजनीतिक अस्थिरता।

प्रधानमंत्री के इस्तीफे और सेना की तैनाती के बावजूद हालात अभी नियंत्रण में नहीं हैं। नेपाल का भविष्य इस बात पर निर्भर करेगा कि उसकी राजनीति इस संकट से कितना सबक लेती है और युवाओं की मांगों को किस हद तक पूरा किया जाता है।


मुख्य बिंदु संक्षेप में:

  • 20 लोगों की मौत और 500 से ज्यादा घायल
  • संसद और सुप्रीम कोर्ट में आगजनी
  • सेना की तैनाती और कर्फ्यू लागू
  • प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली का इस्तीफा
  • आंदोलन में युवाओं की प्रमुख भूमिका
  • भारत समेत पड़ोसी देशों की चिंता

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