Trump-Putin Alaska Summit 2025: शांति की कोशिश या नई रणनीति?

ट्रम्प-पुतिन अलास्का शिखर वार्ता: शांति की नई पहल या अधूरी कोशिश?

Alaska Summit 2025: Trump ✦ Putin की ऐतिहासिक मुलाक़ात

दुनिया की निगाहें 15 अगस्त 2025 को अलास्का पर टिकी थीं, जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन एक ऐतिहासिक शिखर वार्ता के लिए आमने-सामने बैठे। यह मुलाकात ऐसे समय हुई जब रूस-यूक्रेन युद्ध ने न केवल पूर्वी यूरोप बल्कि पूरी दुनिया की राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा संतुलन को हिला दिया है।

यह वार्ता खास इसलिए भी थी क्योंकि पुतिन 2015 के बाद पहली बार अमेरिकी धरती पर आए थे और 2022 में यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद उनकी किसी पश्चिमी देश में यह पहली यात्रा थी। अलास्का का चयन भी प्रतीकात्मक था—यह वही इलाका है जिसे अमेरिका ने 1867 में रूस से खरीदा था और शीतयुद्ध के दौरान यह दोनों महाशक्तियों के बीच तनाव का प्रतीक रहा।


वार्ता का स्वरूप: तीन घंटे की गुप्त बातचीत

ट्रम्प और पुतिन के बीच हुई यह वार्ता करीब तीन घंटे चली। शुरुआत में इसे केवल दोनों नेताओं और उनके दुभाषियों के बीच रखा जाना था, ताकि बातचीत ज्यादा सीधी और व्यक्तिगत हो सके। लेकिन बाद में दोनों पक्षों के कुछ सलाहकार और वरिष्ठ अधिकारी भी इसमें शामिल हुए।

वार्ता के प्रमुख उद्देश्य

  1. यूक्रेन युद्ध का समाधान खोजना – ताकि तीन साल से चल रहे इस संघर्ष को समाप्त किया जा सके।
  2. वैश्विक स्थिरता बहाल करना – युद्ध के कारण तेल-गैस सप्लाई चेन और खाद्य संकट ने पूरी दुनिया को प्रभावित किया है।
  3. अमेरिका-रूस संबंध सुधारना – वर्षों से बिगड़े रिश्तों में बातचीत की एक नई शुरुआत करना।

नेताओं के बयान और रुख

वार्ता के बाद दोनों नेताओं ने प्रेस से सीधे सवाल नहीं लिए, बल्कि केवल लिखित बयान जारी किए।

  • डोनाल्ड ट्रम्प का रुख

    • उन्होंने वार्ता को “उत्पादक” और “प्रगति” वाला बताया।
    • ट्रम्प ने कहा कि “हम केवल अस्थायी संघर्षविराम तक सीमित नहीं रहना चाहते, बल्कि एक स्थायी शांति समझौते तक पहुँचना चाहते हैं।”
    • उनका विवादित बयान था—“रूस एक बहुत बड़ी शक्ति है, और यूक्रेन नहीं है।” इसके जरिए उन्होंने संकेत दिया कि यूक्रेन को कुछ समझौते करने ही होंगे।
  • व्लादिमीर पुतिन का बयान

    • पुतिन ने वार्ता को “सकारात्मक और आगे बढ़ने वाला” बताया।
    • उन्होंने कहा कि पश्चिम को “रूस की सुरक्षा चिंताओं को समझना होगा।”
    • पुतिन ने यह भी इशारा किया कि शांति प्रक्रिया केवल रूस और अमेरिका के बीच की बातचीत से आगे बढ़ सकती है, न कि यूरोप की शर्तों से।

परिणाम: डील नहीं, पर पहल की शुरुआत

सबसे अहम बात यह रही कि इस बैठक में कोई ठोस संघर्षविराम या शांति समझौता नहीं हुआ। हालांकि, दोनों नेताओं ने इसे “पहला कदम” बताते हुए आगे बातचीत जारी रखने का संकेत दिया।

  • ट्रम्प ने कहा: “No deal until there’s a deal” यानी “जब तक वास्तविक समझौता न हो जाए, तब तक किसी समझौते की घोषणा नहीं की जाएगी।”
  • पुतिन ने कहा कि “काफी हद तक सहमति बनी है,” लेकिन उन्होंने विवरण साझा नहीं किए।

वैश्विक प्रतिक्रियाएँ

यूक्रेन की नाराज़गी

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने इस बैठक पर नाराज़गी जताई, क्योंकि उन्हें इसमें आमंत्रित नहीं किया गया था। उनका कहना था:
“यूक्रेन के बिना शांति की कोई भी चर्चा अधूरी और बेकार है। हम अपने भविष्य पर किसी और को फैसला लेने की अनुमति नहीं देंगे।”

यूरोप की प्रतिक्रिया

यूरोपीय देशों ने जोर देकर कहा कि किसी भी समझौते में यूक्रेन की सुरक्षा गारंटी सबसे अहम शर्त होनी चाहिए। फ्रांस और जर्मनी के नेताओं ने कहा कि अगर यूक्रेन को सुरक्षा का भरोसा नहीं मिला, तो शांति केवल “कागज़ी” साबित होगी।

अमेरिका के अंदर प्रतिक्रिया

अमेरिका में इस वार्ता को लेकर राजनीतिक विभाजन साफ दिखा। ट्रम्प समर्थकों ने इसे उनकी “डील मेकिंग” क्षमता का सबूत बताया, जबकि विरोधियों ने कहा कि इससे पुतिन को “कूटनीतिक वैधता” मिल रही है।


आलोचना और चिंताएँ

इस वार्ता को लेकर कई आलोचनाएँ भी सामने आईं—

  1. यूक्रेन की अनुपस्थिति: वास्तविक हितधारक को शामिल किए बिना किसी भी वार्ता को टिकाऊ नहीं माना जा सकता।
  2. पुतिन की कूटनीतिक जीत: विशेषज्ञों का मानना है कि पुतिन ने अमेरिकी धरती पर रेड कार्पेट स्वागत पाकर यह संदेश दिया कि रूस को अलग-थलग नहीं किया जा सकता।
  3. ट्रम्प की रणनीति: आलोचकों का कहना है कि ट्रम्प ने यूक्रेन की संप्रभुता पर सवाल खड़े कर दिए, जो नाटो और यूरोप के लिए चिंता का विषय है।
  4. गोपनीयता पर सवाल: मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, वार्ता स्थल के पास कुछ संवेदनशील दस्तावेज़ों के लीक होने की खबर आई, जिससे पारदर्शिता पर संदेह बढ़ा।

ऐतिहासिक महत्व: अलास्का क्यों?

अलास्का का चयन संयोग नहीं था।

  • 1867 में अमेरिका ने अलास्का को रूस से खरीदा था।
  • शीतयुद्ध के समय यह क्षेत्र अमेरिका-रूस के बीच सामरिक तनाव का प्रतीक रहा।
  • अब इसे फिर से वार्ता का मंच बनाना इतिहास के चक्र की तरह माना जा रहा है।

आगे की राह: मॉस्को में अगली बैठक?

ट्रम्प और पुतिन दोनों ने संकेत दिया कि यह बातचीत का अंत नहीं है। अगली बैठक संभवतः मॉस्को में हो सकती है। ट्रम्प ने कहा कि वे जल्द ही ज़ेलेंस्की और यूरोपीय नेताओं से मिलकर आगे की रणनीति पर चर्चा करेंगे।

पुतिन ने भी हंसते हुए कहा: “Next time, in Moscow.”

इससे साफ है कि आने वाले महीनों में दुनिया और कई कूटनीतिक ड्रामे देखने वाली है।


विशेषज्ञों की राय

अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के जानकारों का मानना है कि:

  • यह बैठक संभावनाओं का द्वार खोलती है, लेकिन नतीजों की गारंटी नहीं देती।
  • पुतिन को इससे कूटनीतिक मंच मिला है।
  • ट्रम्प ने खुद को एक “शांति निर्माता” के रूप में पेश किया, लेकिन उनके बयान यूरोपीय सहयोगियों के लिए चिंता का कारण बने।

WORLD HEADLINES का निष्कर्ष: उम्मीद और अनिश्चितता

ट्रम्प-पुतिन अलास्का शिखर वार्ता ने दुनिया को यह संदेश दिया कि शांति की कोशिशें जारी हैं, लेकिन यह रास्ता आसान नहीं है। कोई समझौता नहीं हुआ, पर बातचीत की संभावना बनी रही।

यह मुलाकात इतिहास में दर्ज हो चुकी है, लेकिन इसका असर भविष्य की वार्ताओं पर कितना गहरा होगा, यह समय ही बताएगा।

फिलहाल, दुनिया की नजरें अब अगले कदम पर टिकी हैं—क्या मॉस्को की अगली वार्ता यूक्रेन युद्ध को समाप्त कर पाएगी या यह भी इतिहास में सिर्फ एक और अधूरी कोशिश बनकर रह जाएगी?


© 2025 WORLD HEADLINES | भारत और विश्व की सबसे भरोसेमंद खबरें |

Website: www.worldheadlines.in 

 “सच्ची खबर, साफ़ नजर”

यह भी जाने:-



एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.